बिना अनुमति शहर में उठाए जा रहे मकान और फैक्ट्री के लेंटर

किसी मैनुअल में शामिल नहीं लेंटर को उठाने वाली गाइडलाइन

Meerut। लिसाड़ी गेट में बुधवार को गाडि़यों के जैक के सहारे कैंची फैक्ट्री का लेंटर उठाने के दौरान हुए हादसे में एक जान चली गई। दरअसल, शहर में अवैध रुप से गाडि़यों के जैक के माध्यम से पुराने भवनों और फैक्ट्रियों को ऊंचा उठाया जा रहा है। हालांकि इस बाबत अभी तक किसी तरह की कोई गाइडलाइन नहीं हैं लेकिन हाई रिस्क के चलते इस तरह के कार्य के लिए प्रशासन या संबंधित प्राधिकरण की अनुमति जरुरी है। प्रशासन भवन की स्थिति और इंजीनियरिंग विंग से सलाह के बाद ही भवन उठाने की अनुमति देता है। मगर इन सब झंझट से बचने के लिए शहर में जगह-जगह हाई रिस्क पर गाडि़यों के जैक से भवन ऊंचे किए जा रहे हैं।

बिना अनुभव दे रहे गारंटी

लिसाड़ी गेट के श्यामनगर निवासी हाजी समीरूद्दीन, फिरोज नगर घंटे वाली गली निवासी रहीस और विकासपुरी निवासी जियाउद्दीन साझेदार है। काफी साल पहले उन्होंने मेवगढ़ी जामिया चौक मदरसे के पास में छपाई का कारखाना खरीदा था। तीनों ने यहां कैंची की फैक्ट्री शुरू की। लोगों ने बताया कि यहां स्पो‌र्ट्स का सामान भी बनता था। 300 गज के लेंटर को उठाने के लिए 42 जैक लगाए गए थे, जबकि नौ मजदूर काम कर रहे थे। बुधवार को काम के दौरान अचानक लेंटर भरभराकर गिर गया था। सभी मजदूर मलबे में दब गए थे। धमाके के साथ लेंटर गिर गया। इस दौरान आसपास के लोग दौड़े और घायलों को मलबे से निकालने में जुट गए थे। आनन-फानन में सभी को निकालकर मेडिकल कालेज भेजा गया था, जहां चिकित्सकों ने रामपुर निवासी अजित को मृत घोषित कर दिया। रशीदनगर निवासी आमिर का उल्टा आधा हाथ कट गया, जबकि रामपुर निवासी बंटी, रवि, रविंद्र, टीटू, तारापुरी निवासी भाई आसिफ और नाजिम (ठेकेदार) भी घायल हो गए थे। एंबलेंस और पुलिस के देरी से पहुंचने पर हंगामा हो गया था।

लापरवाही पर किया पत्राचार

सीओ कोतवाली दिनेश शुक्ला के आदेश पर लिसाड़ी गेट पुलिस ने नगर निगम और एमडीए से पत्राचार किया है। लिसाड़ी गेट पुलिस ने एमडीए और नगर निगम को पत्र भेजा है। इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि लेंटर गिरने से हादसा हुआ है, इस मामले को गंभीरता के साथ लेते हुए कार्रवाई कराई जाए।

नगर निगम और एमडीए को पत्र भेजकर पूरे मामले से अवगत कराया गया है। इस मामले में संबंधित विभाग के अधिकारियों से मिलकर कार्रवाई की जाएगी।

दिनेश शुक्ला, सीओ कोतवाली

मकान या फैक्ट्री का लेवल सड़क से नीचे होने के कारण पुराने शहर के इलाकों में ही यह काम तेजी से किया जा रहा है। वहीं कुछ लोग अपने मकान को भविष्य के लिहाज से ऊंचा उठा रहे हैं। जबकि इस हाई रिस्क कार्य के लिए अनुभवी इंजीनियर का होना जरुरी है, जो भवन की स्थिति के अनुसार भवन को ऊंचा उठा सके। मगर मकान बनाने वाले देसी मिस्त्री या ठेकेदार ही कुछ रूपयों के लालच में इस काम को अंजाम दे रहे हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने शहर के कुछ ठेकेदारों से इस बारे में बात की तो इस खेल की पूरी जानकारी मिली।

1.

सरायकाजी के ठेकेदार काशीराम ने बताया कि 200 से 250 रुपये प्रति वर्ग फुट के हिसाब से मकान ऊंचा उठाने का रेट तय किया जाता है। इसके लिए ट्रकों के जैक का प्रयोग किया जाता है। ये जैक मार्केट में आसानी से किराए पर मिल जाते हैं। अगर मकान का नीचे का लैंटर मजबूत हो और दीवारें दो ईट की चौड़ाई की हों तो चार-पांच मंजिला मकान भी अधिकतम पांच-छह फीट तक उठाया जा सकता है। खुले में बने मकान को लिफ्ट करने में आसानी होती है।

2.

शिवशक्ति नगर के ठेकेदार हेमचंद ने बताया कि यह काम अनुभव पर आधारित होता है। यदि गलत तरीके से जैक लगाए जाएं तो हादसा हो सकता है। हर कोई ठेकेदार यह काम नहीं कर सकता। मकान के अंदर फर्श की खुदाई कर डेढ़-डेढ़ फुट की दूरी पर जैक लगाए जाते हैं। इसके बाद दीवारों के नीचे चैनल लगाकर चैनलों के नीचे जैक लगते हैं। धीरे-धीरे करके एक साथ इंच के हिसाब से करीब 15 से 30 दिन में मकान को ऊपर उठाया जाता है।

खुलेआम किराये पर मिल रहे जैक

मकान उठाने के लिए हाइड्रोलिक जैक भी शहर में खुलेआम किराए पर मिल रहे हैं। हालांकि जैक कारोबारियों को इस चीज से मतलब नहीं होता है कि जैक किस इस्तेमाल में लिया जाना है। जैक को मकान में लेंटर डालने वाले ठेकेदार भी जैक किराए पर उपलब्ध कराते हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम ने किराए पर जैक लेने की बात की तो 300 रुपये प्रति माह किराये पर जैक मकान उठाने के लिए बाजार में उपलब्ध हैं।

नीचे मकान को उठाने की अनुमति का आवास- विकास से कोई लेना-देना नहीं है। आवास-विकास सिर्फ मकान का नक्शा पास करता है। मकान ऊंचा-नीचा करने से उसका नक्शा नहीं बदलना चाहिए।

प्रमोद सिंह, ईएक्सईएन, आवास-विकास

जिस तरह कार को जैक के जरिए उठाया जाता है, तकरीबन उसी पद्धति पर कई सारे जैकों के माध्यम से मकानों को भी ऊंचा उठाया जा सकता है। यह तकनीक लेंटर या बीम वाले मकानों में कामयाब नहीं है। मगर इसके लिए भी संबंधित विभाग या प्रशासन से अनुमति लेना जरुरी है। यदि भवन उठाए जाने लायक है तो अनुभवी इंजीनियर के निर्देशन में ही यह प्रक्रिया होनी चाहिए।

यशवंत सिंह, चीफ इंजीनियर, नगर निगम

मकान या फैक्ट्री का लेंटर उठाने का मामला एमडीए, नगर निगम या आवास-विकास के अंतर्गत आता है। प्रशासन का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

अजय तिवारी, एडीएम सिटी

एमडीए और नगर निगम को भेजा पत्र

लिसाड़ी गेट के मेवगढ़ी में जर्जर कैंची फैक्ट्री का लेंटर गिरने के मामले में पुलिस ने संजीदगी दिखाई है। इस बाबत लिसाड़ी गेट पुलिस ने नगर निगम और एमडीए को पत्र लिखकर विभागीय अधिकारियों से सख्त कार्रवाई करने को कहा है। साथ ही लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों से जवाब-तलब करने को कहा है। पुलिस की ओर से रिपोर्ट बनाकर एसएसपी को भी भेजी जाएगी।

क्या था मामला

Posted By: Inextlive