- जीआई सर्वे के प्रभारी ने कैंट बोर्ड और आईआईटी-रूड़की के डायरेक्टर को लिखा लेटर

- जवाब को लेकर कैंट बोर्ड ने जताई नाराजगी

Meerut : कैंट बोर्ड की सीमाओं के जीआई सर्वे का काम तय समय में पूरा न करने को लेकर कैंट बोर्ड द्वारा आईआईटी-रूड़की को भेजे गए कानूनी नोटिस के बाद विवाद और बढ़ता जा रहा है। कैंट बोर्ड ने कानूनी नोटिस में लगाए गए आरोपों को नकारते हुए प्रोजेक्ट प्रभारी को ही कटघरे में खड़ा किया है। मेरठ कैंट बोर्ड ने आईआईटी-रूड़की के डायरेक्टर को लेटर लिखकर पहले समय पर काम न करने और अब जटिलताओं में इस मामले के फंसाने के लिए प्रोजेक्ट प्रभारी को कटघरे में खड़ा किया गया है।

दिखाया असली चेहरा

कैंट बोर्ड के कानूनी नोटिस में प्रोजेक्ट प्रभारी ने जो जवाब कैंट बोर्ड को भेजा और उसकी प्रति अपने डायरेक्टर को भेजी, उसमें एकरूपता की बजाए काफी विभेद था। इस बात का खुलासा डायरेक्टर की ओर से मिली प्रति के बाद हुआ। प्रोजेक्ट प्रभारी डॉ। एसके घोष ने कैंट बोर्ड के सीईओ के नाम से जो पत्र भेजा उसमें कैंट बोर्ड को ही दोषी ठहराया और असहयोग का आरोप लगाते हुए कैंट बोर्ड को कटघरे में खड़ा किया, जबकि डायरेक्टर को लिखे पत्र में तमाम बहानेबाजी के साथ यह भी लिखा है कि अब भी हम काम करने को तैयार हैं, अगर कैंट बोर्ड मौका दे तो जल्द ही काम पूरा हो जाएगा। इसका खुलासा तब हुआ जब डायरेक्टर ने भी एसके घोष की प्रति को कैंट बोर्ड सीईओ को भेजा।

प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर सवालों में

ऐसे में मेरठ कैंट बोर्ड ने कड़ा ऐतराज जताते हुए डायरेक्टर को जवाबी पत्र लिखा है और तय समय पर काम न कर पाने और आईआईटी-रूड़की जैसे संस्थान का नाम धूमिल होने पर प्रोजेक्ट प्रभारी और उनकी टीम को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। बता दें कि जीआई सर्वे के लिए ब्0 लाख रुपए में वर्ष ख्0क्क् में करार हुआ था। काम पूरा न होने पर कैंट बोर्ड ने भुगतान की गई ख्0 लाख की राशि मांगते हुए आईआईटी को कानूनी नोटिस भेजा।

आईआईटी डायरेक्टर को लिखे पत्र में परियोजना प्रभारी के दोहरे रवैए का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि यह व्यक्ति समस्या के समाधान की बजाए लिटिगेशन को बढ़ावा दे रहा है। इस पर उपयुक्त कार्रवाई की मांग की गई है।

- डॉ। डीएन यादव, सीईओ, कैंट बोर्ड

Posted By: Inextlive