अंतराष्ट्रीय नर्स डे आज, एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में कोविड-19 पेशेंट्स के इलाज में दिन-रात जुटी हैं नर्सेज

Meerut। लेडी विद द लैंपरात के अंधेरों में लालटेन लेकर घायलों की सेवा करने वाली नर्स फ्लोरेंस निटेंगल ने जो उदाहरण दुनिया के सामने प्रस्तुत किया, उसी को आधार बनाकर आज कई फ्लोरेंस मेरठ के लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज समेत तमाम अस्पतालों में कोविड-19 पेशेंट्स के इलाज में जुटी हैं। एक तरफ कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच जहां चारों और हाहाकार मचा है, वहीं ये नर्स धैर्य, स्नेह और दुलार के साथ हर मरीज के साथ आत्मीयता और सेवाभाव का रिश्ता निभाने में जुटी हैं।

पिता ने किया प्रेरित : शर्ली भंडारी

मेडिकल कॉलेज में नर्सिग ऑफिसर शर्ली भंडारी करीब 16 साल से यहां मरीजों की सेवा में जुटी हैं। इस प्रोफेशन को चुनने के पीछे की वजह वह बताती हैं कि उनके पिता को कैंसर हो गया था। इलाज के दौरान उनकी देखभाल करते हुए ही ठान लिया था कि उन्हें नर्सिग में जाना है। बचपन से ही मानवता की सेवा से जुड़े किसी कार्य को करना चाहती थी। पिता की बीमारी ने उन्हें नर्सिग प्रोफेशन चुनने के लिए प्रेरित किया। वह बताती है मूल रूप से केरल की रहने वाली हैं। मगर मेरठ में उनकी पढ़ाई-लिखाई हुई और शादी के बाद उन्होंने यहीं पर जॉब ज्वॉइन कर लिया। 51 साल की शर्ली कहती हैं कि 16 साल के करियर में उन्होंने इतना कठिन दौर कभी नहीं देखा। कोविड-19 ने सब कुछ बदलकर रख दिया है। वह बताती हैं कि मरीजों के बीच में रहकर वह खुद भी दो बार पॉजिटिव हो चुकी हैं। बावजूद इसके मरीजों की देखभाल करने से लेकर इलाज में किसी तरह की ढील नहीं बरतती। शर्ली बताती हैं कि कई बार तो डबल शिफ्ट में भी काम करना पड़ता है, बावजूद इसके उन्हें थकान कभी महसूस नहीं होती। मरीजों के बीच वह हर संभव प्रयास करती हैं कि उन्हें बेहतर से बेहतर नर्सिग सेवा दी जा सके। वह बताती है कि हालांकि इस दौर में उन्होंने कई मुश्किल पड़ाव भी देखे हैं। अपनों को खोते हुए देखा, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। बल्कि हर बार दोगुनी क्षमता के साथ मरीजों की सेवा करने में जुट गईं।

सेवाभाव ने भगाया कोरोना का डर : सुनीता

एलएलआरएम के आईसीयू वार्ड में ड्यूटी कर रही नर्सिग स्टाफ सुनीता कहती हैं कि कोरोना काल में हमने कई डरावने मंजर देखे हैं। मगर उम्मीद हैं कि हम जल्द जीत जाएंगे। सुनीता बताती हैं कि कोविड-19 में शुरू से ही उनकी ड्यूटी लगी हुई है। शुरुआत में डर लगा, लेकिन जल्द ही सेवाभाव ने मन से हर डर को दूर कर दिया। वे बताती हैं कि कोरोना की दूसरी लहर बहुत खतरनाक है। तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। जरा सी लापरवाही मरीजों के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। ऐसे में बहुत सावधानी के साथ इस वक्त मरीजों का ख्याल रखना पड़ रहा है। सुनीता बताती है घर पर एक अलग कमरे में उन्होंने अपने रहने का इंतजाम किया है। ड्यूटी से लौटकर वहीं रहती हैं। इस बीच परिवार में न किसी से मिलती हैं, न करीब जाती हैं। सुनीता कहती हैं कि यह बिल्कुल भी आसान नहीं है लेकिन हर मरीज हमारे लिए परिवार के सदस्य जैसा ही बन जाता है। मरीज के प्रति फर्ज और कर्तव्य निभाने के लिए इस वक्त अपने परिजनों से दूर रहना बहुत जरूरी है ताकि उन्हें भी सुरक्षित रखा जा सके।

शिद्दत से ड्यूटी पर डटी रही : आशिमा

मेडिकल कॉलेज में वैक्सिनेशन सेंटर में तैनात आशिमा कहती हैं कि वह कुछ ऐसा करना चाहती थी, जिसमें लोगों की सेवा हो सके। वहीं समाज के लिए भी कुछ किया जा सके। इसलिए ही उन्होंने नर्सिग प्रोफेशन चुना। आशिमा बताती हैं कि नर्सिग स्टाफ सिर्फ मरीज से ही नहीं जुड़ता बल्कि उसके परिवार के साथ भी जुड़ जाता है। ऐसे में उनके लिए मरीज की देखभाल और अन्य जिम्मेदारी दोगुनी हो जाती है। आशिमा कहती हैं कि कोरोना काल में ड्यूटी करते हुए डर जरूर लगता है। कोविड-19 का ध्यान रखते हुए ही सबको ट्रीट करना पड़ता है लेकिन इसकी वजह से अपने फर्ज से पीछे नहीं हट सकती। मरीजों की सेवा ही उनकी पहली प्राथमिकता है। वह बताती हैं कि बीते एक साल में उन्होंने सबसे ज्यादा संकट के पल देखें हैं। अपनी ड्यूटी में पहली बार इस तरह की मेडिकल इमरजेंसी देखी। शुरुआती दौर में लगा कि सब कुछ बहुत कठिन हैं। एक अदृश्य दुश्मन से सामना करना था और कुछ समझ नहीं आ रहा था। मगर हालातों को देखते हुए जिम्मेदारी के साथ शिद्दत और लगन से मरीजों की सेवा शुरू कर दी। अशिमा बताती हैं कि इस मुश्किल दौर में जब मरीज ठीक होकर घर जाते हैं तो वो पल सबसे ज्यादा सुकून देने वाले होते हैं।

सीख लिए बचाव के तरीके : मुकुल

कोरोना काल में हर चुनौती का डटकर सामना कर रही मेडिकल कॉलेज नर्सिग स्टाफ मुकुल कहती हैं कि मरीजों की सेवा ही हमारी जिम्मेदारी है। इस वक्त में हालात मुश्किल और डरावने जरूर हैं लेकिन इससे लड़कर हम ये जंग जरूर जीत जाएंगे। मेडिकल में कोविड और वैक्सीनेशन में ड्यूटी दे रही मुकुल बताती हैं कि अस्पताल में मरीज के लिए डॉक्टर और नर्स ही उसका परिवार हो जाता है। ऐसे में उनकी हर संभव मदद करना और बीमारी की हालत में उनका मनोबल बढ़ाना न केवल हमारा काम है बल्कि सेवा के इसी भाव को देखते हुए ही ये प्रोफेशन बना है। ऐसे कठिन वक्त में अपनी जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता। मुकुल बताती हैं कि कोरोना के शुरुआती दौर में जरूर डर लगता था लेकिन अब इससे बचने के तरीके उन्होंने सीख लिए हैं। वह दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करती हैं। मुकुल बताती हैं कि इस प्रोफेशन में आने वाले स्टूडेंट्स को भी वह इसकी अहमियत के बारे में बताती हैं।

Posted By: Inextlive