आखिर ये कैसा हाई अलर्ट?
देश में ओबामा, मेरठ में ओह मां
- कहीं नहीं दिखी किसी तरह की कोई सिक्योरिटी - स्टेशन से बाहर जाने और आने के दिखे कई रास्ते, कोई चेकिंग नहीं - कहीं से कोई भी जाए आरपीएफ को कोई परवाह नहीं MEERUT@inext.co.im Meerut : अमेरिकन प्रेसीडेंट गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत आ रहे हैं। जिसके कारण पूरे देश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। सभी रेलवे स्टेशनों को भी इसके अंडर में रखा गया। ताकि कोई रेलमार्ग से अप्रिय घटना न कर सके। आई नेक्स्ट ने जब सिटी रेलवे स्टेशन का रियलिटी चेक किया तो इस हाई अलर्ट की पूरी खोल खुल गई। ऐसा लग रहा था कि हाई अलर्ट का मजाक बनाया जा रहा हो। आइए आपको भी बताते हैं कैसे? नहीं हो रही थी कोई चेकिंगजब आई नेक्स्ट रिपोर्टर स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर गया तो किसी भी रेलवे पुलिस के जवान ने रिपोर्टर की चेकिंग नहीं की। करीब पांच मिनट तक रिपोर्टर ने वॉच किया कि तो सामने आया कि आरपीएफ का जवान बिना कोई चेकिंग किए सभी लोगों को प्लेटफॉर्म के अंदर एंटर करने दे रहा था। न तो उनकी कोई तलाशी ली जा रही थी और न ही उनके सामान को चेक किया जा रहा था।
मेटल डिटेक्टर भी नहीं स्टेशन पर एंट्री और एग्जिट के दो अलग-अलग गेट हैं। ताज्जुब की बात तो ये है कि मौजूदा समय में इंक्वायरी विंडो के सामने वाले गेट पर एंट्री करते हुए कोई मेटल डिटेक्टर नहीं है। यानि कोई भी कुछ भी लेकर आ जा सकता है। जिसमें कुछ भी हो सकता है। वहीं दूसरे गेट पर तो मेटल डिटेक्टर तो काफी दूर की बात कोई गार्ड या आरपीएफ का जवान भी नहीं है। ऐसे में सिक्योरिटी को कई तरह के सवाल खड़ा करता है। और भी हैं कई खुले हुए रास्तेअगर बाकी रास्तों की बात करें तो ऐसे करीब स्टेशन के दोनों ओर कुल एक दर्जन रास्ते हैं, जिनमें पब्लिक बेरोकटोक आ जा रही है। उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। कुछ रास्ते पहले के खुले हुए है तो कुछ पब्लिक ने अपने आप जेनरेट कर लिए है। प्लेटफॉर्म नंबर-क् की ओर करीब तीन ओर ओर ऐसे रास्ते हैं जिन्हें भागने के लिए आसानी से अपनाया जा सकता है। यहां पर गेट लगना काफी जरूरी है। वहीं वाशिंग लाइन के पार करीब तीन ऐसे रास्ते हैं जो स्टेशन के अंदर और बाहर जाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। वहां से कोई संदिग्ध आदमी एंट्री और एग्जिट आसानी से कर सकता है।
महत्वपूर्ण शहरों से है कनेक्टीविटी देश के किसी भी हिस्से में कुछ भी संदिग्ध होता है तो सबसे पहले उस घटना की कनेक्टीविटी मेरठ से जरूर होती है। इसका कारण है कि कोई भी यहां से आसानी से कुछ भी लेकर जा सकता है। मेरठ से रेल के थ्रू कनेक्टीविटी की बात करें तो दिल्ली, प्रदेश की राजधानी लखनऊ, देश की आर्थिक राजधानी मुंबई, जम्मू, अंबाला, देहरादून, छत्तीसगढ़, इंदौर, उज्जैन, अहमदाबाद, अमृतसर आदि कई महत्वपूर्ण इलाकों के साथ डायरेक्ट है। इसके बाद भी भारी चूक की जा रही है। आरपीएफ का संसाधनों का रोनावहीं आरपीएफ के अधिकारियों की मानें तो स्टाफ और अन्य संसाधनों की काफी कमी है। अगर मेरठ जंक्शन में आरपीएफ की बात की जाए तो गाजियाबाद से सकौती तक का एरिया कवर करना होता है। जिसमें कई रेलवे स्टेशन आते हैं। रेल से इसकी दूरी करीब 9ख् किलोमीटर है। जबकि स्टाफ की भी काफी कमी है। इस दूरी में सिर्फ मोदीनगर और मेरठ के स्टेशनों पर ही स्टाफ है। मेरठ में कुल ब्क् लोगों का स्टाफ है। जिसमें ख्क् कांस्टेबल, क्ब् हवलदार, क्ब् एएसआई, क् एसआई और और एक इंस्पेक्टर है। जबकि मोदीनगर में क्क् लोगों का ही स्टाफ है। कायदे में मेरठ में कम से भी कम भ्0 लोगों और मोदीनगर में ख्0 लोगों का स्टाफ तो होना ही चाहिए।
संसाधनों के लिए किया सर्वे वहीं आरपीएफ के अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि सिक्योरिटी को लेकर आरपीएफ के आलाधिकारी काफी सीरीयस हैं। सिक्योरिटी पर्पस को लेकर स्टेशन का सर्वे हुआ है जिसमें सीसीटीवी कैमरे कहां और कितने लगेंगे, बैगेज स्कैनर और कई तरह के स्ट्रूमेंट के लिए सर्वे हुआ है। जिसकी रिपोर्ट भेज दी गई है। जल्द ही सामान आने की उम्मीद है। ऑफिशियल स्टैंड सर्वे कर रिपोर्ट भेज दी गई है। बाकी हम अपनी ओर से पूरी तरह से सिक्योरिटी देने का प्रयास कर रहे हैं। सीसीटीवी कैमरे, लगेज स्कैनर और बाकी सामान प्रपोजल स्टेज पर हैं, कब आएगा। अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है। - विजेंद्र सिंह रावत, इंस्पेक्टर, आरपीएफ पब्लिक ओपिनियन स्टेशन के पर ऐसा कुछ भी नहीं लग रहा है कि यहां हाई अलर्ट घोषित हो रखा है। न कोई चेकिंग न ही माहौल। - सतीश कुमार, पैसेंजरयहां तो रोज जैसा माहौल लग रहा है। कोई भी चेकिंग या सर्च टीम यूं कहें आरपीएफ हरकत में नहीं लग रही है।
- गजेंद्र सिंह, पैसेंजर क्या इसे हाई अलर्ट कहते हैं? न कोई चेकिंग और न ही कोई पूछताछ। हाई अलर्ट ही देखना है तो दिल्ली में देखना चाहिए। - दीपक सिंह, पैसेंजर हाई अलर्ट होने के बाद भी गेट पर एक मेटल डिटेक्टर भी नहीं है। चेकिंग तो बहुत दूर की बात है। - अमित गुप्ता, पैसेंजर रोजमर्रा की तरह ही लग रहा है। यहां कोई भी कहीं भी आ जा रहा है। हाई अलर्ट में ऐसा नहीं होता है। - मनोज वर्मा, पैसेंजर मुझे स्टेशन पर करीब ख्0 मिनट से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन रेलवे पुलिस की ऐसी कोई एक्टीविटी नजर नहीं आई जिससे लगे कि हाई अलर्ट है। - कौशल, पैसेंजर मैं रोज सफर करता हूं लेकिन मुझे आज ऐसा नहीं लगा कि हाई अलर्ट है। ऐसे में तो जबरदस्त चेकिंग होनी चाहिए थी। - सत्यप्रकाश, पैसेंजर न तो किसी पैसेंजर की चेकिंग हुई और न ही कोई पूछताछ। बेरोकटोक सब आ जा रहे हैं। क्या हाई अलर्ट में ऐसा ही होता है। - विवेक, पैसेंजर स्टेशन को देखकर ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा है कि यहां हाई अलर्ट है। किसी तरह की कोई चेकिंग नहीं हो रही है। - अशरफ अली, पैसेंजर