गणेश चतुर्थी को लेकर बड़े पैमाने पर चल रही तैयारियां

घरों में सजेंगे गजानन, छोटी मूर्तियों की मांग ज्यादा

Meerut। 22 अगस्त को गणेश चतुर्थी है। इस बार भी भगवान श्री गणेश अलग रूप में देखने को मिलेंगे। दशरथ नंदन के भवन में पार्वती सुत विराजेंगे, आयोध्या राम मंदिर में शीर्ष पर कोई दंड मर्यादा पुरूषोत्तम सुशोभित होंगे। 22 अगस्त से प्रारंभ हो रहे 10 दिवसीय गजानन उत्सव के लिए इस साल मूíतकारों ने ऐतहासिक राममंदिर में गणेश स्थापना की है। गणेश प्रतिमाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है। सबसे अधिक मांग आयोध्या के भव्य राम मंदिर में राम संग विराजे गौरीसुत की हो रही है। राम मंदिर के साथ गणेश जी की मूíतयां बहुत ही खूबसूरत हैं।

मूíतयों की मांग बढ़ी

गणेश चतुर्थी पर इस साल सामूहिक गणेशोत्सव का आयोजन नहीं किया जा रहा है। कोरोना से बचाव को सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करने के लिए गणेश पंडाल नहीं सजेंगे। पंडाल में गणपति की स्थापना न होने के कारण इस साल बड़ी मूíतयों की मांग शून्य है। केवल दो फुट के आकार वाली मूíतया ही तैयार हो रही हैं। मंदिरों व घरों में रखने के लिए इन्हें ही ठीक बताया जा रहा है।

परिवार बना रहा मूर्तियां

कोरोनाकाल के चलते अब आय के प्रमुख साधन खत्म हो रहे हैं। ऐसे में इस समय में पूरे-पूरे परिवार मूर्तियों की सजावट करने में कलर करने में बनाने में लगे हैं। घर की आर्थिक तंगी के चलते इस सीजन टाइम में हर मूíतकार ज्यादा से ज्यादा काम पकड़ रहा है। ऐसे में परिवार के सभी लोग काम में जुटे हैं। प्रजापति मूíत वाले सोनी प्रजापति ने बताया इस बार राम दरबार के साथ गणेश जी की मूíत ज्यादा बनवाई जा रही है। सोनकर जी मूíत वाले जगदीश सोनकर ने बताया कि उनके परिवार के सभी सदस्य मूर्ति बना रहे हैं, क्योंकि समय कम है काम ज्यादा है। आर्डर हाथ से जाने नहीं देना चाहते, मुश्किल से काम आया है।

छोटी मूíतयों की मांग बढ़ी

हर साल गणेश उत्सव में सामूहिक समारोह होते हैं। इस बार अधिक लोग घरों में मूíत स्थापना करते हैं। ऐसे में छोटी मूíत की डिमांड लगभग दोगुनी हो चुकी है। अजंता मूर्ति वाले अशोक ने बताया कि इसबार छोटी मूíत की मांग दोगुनी हो गई है। बड़ी मूर्तियों की मांग बिल्कुल नहीं है।

मामा-भांजे की मूíत

रिद्धी सिद्धी के स्वामी, माता संतोषी के पिता लंबोदर और कमाल नयन विष्णु में मामा भांजे का संबंध है। विष्णु प्रथम पूज्य के मामाश्री हैं। श्री राम विष्णु के अवतार हैं। इस नाते राम व गणेश भी मामा भांजे हुए, आयोध्या के राम मंदिर में बैठे राम व गणेश की यह प्रतिमा इसलिए भी खास मानी जा रही है। गणेश पूजन के लिए बाजार में मिट्टी चॉक, माटी और प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूíतयां तैयार हो रही हैं। दस इंच की छोटी मूíत से लेकर दो फुट तक मूíतयां मूíतकार बना हैं।

मिट्टी की चुनौती

अजंता मूíत केंद्रं के संचालक मनोज का कहना है कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए मिट्टी की प्रतिमा बनाने को कहती है। शुद्ध मिट्टी की मूíत बहुत ही नाजुक होती है। जरा सी ठोकर पर भी खंडित हो जाती है। मिट्टी मिलती नहीं है तो मूíत कैसे बनेगी। अब किसी तरह थोड़ी मिट्टी मिलती है तो उससे जो मूर्ति बनती है उसकी कीमत बढ़ जाती है। जो मूíत पहले 50 की थी, अब वो 125 रुपये की है। जो दो हजार की थी अब उसका रेट 25 सौ रुपए हो गया है।

Posted By: Inextlive