प्रह्लाद नगर से दो बच्चियों के को दो युवकों ने की साथ ले जाने कोशिश

बच्चियों को साथ ले जा रहा आरोपी निकला मंदबद्धि

पीडि़त परिवार की तहरीर वापस, करा दिया समझौता

न डॉक्टर का पर्चा न कोई मेडिकल जांच, मंदबुद्धि मानकर छोड़ दिया

Meerut। लिसाड़ी गेट थाना एरिया के प्रह्लाद नगर में मंगलवार को घर के बाहर खेल रही दो बच्चियों के अपहरण की कोशिश की गई। इस दौरान मां की नजर पड़ गई तो हल्ला मचाने पर आसपास के लोगों ने एक आरोपी को दबोच लिया। भीड़ ने आरोपी को धुना और पुलिस को घटना की जानकारी दे दी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने आरोपी को भीड़ के चंगुल से अपनी गिरफ्त में लेकर थाने ले आई। बाद में पुलिस ने बिना जांच पड़ताल किए खुद डॉक्टर बनकर आरोपी को मंदबुद्धि घोषित कर दिया। आरोपी को परिजनों के सुपुर्द कर दिया।

क्या है मामला

लिसाड़ी गेट थाना क्षेत्र के प्रह्लादनगर में तीन वर्षीय गुनगुन पुत्री रोहित, चार वर्षीय अराध्या पुत्री विकास मंगलवार दोपहर घर के बाहर खेल रही थी। इसी दौरान दो युवक आए और बच्चियों को उठाकर ले जाने लगे। उसी दौरान गुनगुन की मां रौनक देवी वहां आ गई। रौनक देवी ने जब बच्चियों को ले जाने के बारे में पूछा तो युवक बोला कि ट्यूशन छोड़ने जा रहा हूं। महिला ने शोर मचाया तो एक युवक मौके से भाग खड़ा हुआ। वहीं शोर सुनकर भाजपा महानगर उपाधयक्ष सुनील चड्डा भी वहां पर आ गए। इस पर अन्य लोगों की मदद से एक आरोपी को पकड लिया और युवक की जमकर पिटाई कर दी। सूचना पर पहुंची पुलिस आरोपी को पकड़ कर थाने ले गई।

एक आरोपी स्कूटी से भागा

एक आरोपी तो मौके पर धरा गया जबकि उसका दूसरा साथी स्कूटी लेकर भाग गया। पुलिसकर्मियों ने आरोपी को बामुश्किल बचाया और थाने ले गए। परिजन के साथ कालोनी के लोग थाने पहुंचे और हंगामा कर दिया।

थाने का घेराव किया

पकड़े गए आरोपी की पहचान नूर मोहम्मद निवासी सद्दीक नगर के रूप में हुई। बच्चियों के परिजनों ने आरोपी के खिलाफ कड़ी की मांग करते हुए लिसाड़ी गेट थाने का घेराव कर दिया। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया, जिसके बाद ही मामला शांत हुआ। इंस्पेक्टर प्रशांत कपिल ने बताया कि आरोपी मानसिक तौर पर विक्षिप्त है। जिसके चलते परिजनों के संपुर्द कर दिया गया है।

पुलिस खुद बन गई डॉक्टर

पुलिस जब आरोपी से थाने में पूछताछ कर रही थी तो आरोपी हकला कर बोल रहा था। जिसके चलते आरोपी तरह-तरह की बात कर रहा था। पुलिस ने बिना जांच किए बिना मेडिकल बैक ग्राउंड के आरोपी के परिजनों की बात मानते हुए मंदबुद्धि मानकर आरोपी को छोड़ दिया। जबकि नियम यह है कि यदि कोई मानसिक विक्षिप्त है तो आरोपी की सीएमओ कार्यालय से डॉक्टरों के बोर्ड से जांच कराई जाती है लेकिन पुलिस ने ऐसा कुछ नहीं करते हुए आरोपी को मंदबुद्धि घोषित करते हुए एसएसपी को रिपोर्ट सौंप दी और परिजनों के सुपुर्द आरोपी को कर दिया।

खड़े हो रहे सवाल

मानसिक तौर पर बीमार है तो क्यों सरकारी डॉक्टरों और मेडिकल बोर्ड से पुलिस ने जांच नहीं कराई?

पुलिस ने परिजनों की बात पर क्यों विश्वास कर परिजनों को छोड़ दिया?

चौबीस घंटे तक कस्टडी में आरोपी को क्यों नहीं रखा गया?

कल को कोई बड़ी घटना हो जाए तो कौन होगा जिम्मेदार?

बताया जा रहा है कि युवक स्कूटी पर बैठकर आया था क्यों नहीं स्कूटी सवार पर मुकदमा दर्ज किया गया?

आरोपी से पुलिस की बातचीत और उसके परिजनों के द्वारा बताई गई बात का यकीन करते हुए मंदबुद्धि को सुपुर्द कर दिया गया था। यदि मंदबुद्धि नहीं है तो परिजन इस मामले की शिकायत मुझसे कर सकते है। मैं जांच कर आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करूंगा।

डॉ। अखिलेश नारायण सिंह, एसपी सिटी, मेरठ।

पुलिस को अपनी तरफ से मानसिक रूप से विक्षिप्त नहीं मानना चाहिए था न ही परिजनों की बात पर कोई विश्वास किया जाना था। यदि आरोपी के पास कोई डाक्यूमेंट जिला अस्पताल या मेडिकल कालेज के मानसिक रोग विशेषज्ञ का पर्चा है तो उस आधार पर विक्षिप्त माना जाना चाहिए। पुलिस अपनी तरफ से मंदबुद्धि का सर्टिफिकेट देकर नहीं छोड़ सकती है।

डॉ। सम्यक जैन, मानसिक रोग विशेषज्ञ

Posted By: Inextlive