Meerut: परतापुर स्थित एसजी कंपनी में दिन रात काम करके लाल रंग की टेस्ट गेंद तैयार करने वाले 170 कारीगरों की मेहनत का कोई मोल नहीं है. सचिन ने हजारों रन इनकी तैयार की गेंद से बनाए. 20 से अधिक बार शतक मारकर रिकार्ड बनाया. हजारों बार गेंद मैदान से बाहर पहुंचाई. लेकिन इन नादान कारीगरों के चेहरे पर बसी मासूमियत देखने वाली है. इन्हें नहीं पता कि कब सचिन ने इनकी गेंद पर सैंकड़ा बनाया कितने रन बनाए. लेकिन हां जब भी सचिन को खेलते हुए देखा तो एक बार जरूर मन में आया कि हजारों रन में एक रन तो जरूर उनकी बनाई गेंद का होगा ही. तो आइए जानते हैं इनके जज्बात.


हरियाणहरियाण करीब 25 सालों से एसजी कंपनी में गेंद बना रहे हैं। जब सचिन के संन्यास के बारे में इनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि सचिन बहुत अच्छे क्रिकेटर हैं। लेकिन हमारा काम तो दिन रात गेंद बनाने का ही है। कभी मन में ही नहीं आया कि सचिन ने हमारी गेंद से कितने रन बनाए। वीर सिंह वीर सिंह भी करीब 30 सालों से बॉल बना रहे हैं। वीर सिंह कहते हैं कि हमारे लिए गर्व कि बात है। महसूस होता है कि एक ना एक रन तो उन्होंने मेरी बनाई गेंद से बनाया ही होगा। धर्म सिंह धर्म सिंह भी करीब 30 साल से बॉल बना रहे हैं। धर्म सिंह कहते हैं कि बॉल बनाना बेहद मेहनत का काम है। क्रिकेट से जुड़कर भी वो कभी क्रिकेट से नहीं जुड़ पाए, लेकिन हां सचिन एक बहुत अच्छे क्रिकेटर हैं. तीन महीने में तैयार
होती हैं एक गेंद


आप जानकर ताज्जुब होंगे कि एक गेंद को तैयार होने में तीन महीने का समय लगता है। सबसे पहले गोले की बाइंडिंग होती है, जिसे सूखने में तीन महीने का समय लगता है। इस बीच लेदर कटिंग, फोर पीस ज्वाइंट, मोल्डिंग करना, बॉल को जोडऩा, इनर स्ट्रिप कप जोडऩा, वेक्सिन, सिलाई, स्टेपिंग, फाइनल राउंडिंग और अंत में पैकिंग और पॉलिशिंग होती है। एसजी कंपनी में एक दिन में करीब 650 बॉल तैयार होती हैं। कंपनी में 170 कारीगर दिन रात मेहनत करते हैं। एसजी का 82 साल पुराना इतिहाससंसपैरेल्स ग्रीनलैंड्स कंपनी की स्थापना मेरठ में सन 1931 में हुई थी। कैलाश आनंद बताते हैं कि तभी से यहां पर बैट और बॉल बनाने का काम शुरू किया गया। इसके बाद सन 1950 से घरेलू और टेस्ट मैचों में एसजी की गेंद का इस्तेमाल होना शुरू हो गया। एसजी की गेंद भारतीय क्रिकेट में घरेलू मैचों में इस्तेमाल होती हैं, इसके अलावा भारत में खेले जाने वाले प्रत्येक टेस्ट मैच में भी इसी बॉल का इस्तेमाल होता है।  आई वाज शॉक्ड आफ्टर लिसन सचिन रिटायरमेंट न्यूज: पारसएसजी कंपनी के डायरेक्टर कैलाश आनंद के बेटे पारस आनंद सचिन के संन्यास की खबर से शॉक्ड हो गए थे। पारस ने बताया कि सचिन जितने अच्छे क्रिकेटर हैं उससे भी अच्छे इंसान है। द्रविड ने सचिन से मिलाया

सचिन से पारस की मुलाकात सन 2000 में कानपुर में न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच में हुई थी, तब राहुल द्रविड़ ने उन्हें सचिन से मिलवाया था। तब एक बार भी नहीं लगा कि मैं सचिन से पहली बार मिल रहा हूं। उस मुलाकात में सचिन ने उनसे कई बैट बनवाने को भी बोला। तब कई साल तक सचिन ने उनके बैट का इस्तेमाल भी किया। पारस ने कहा कि वो दिल से सचिन को फिल्ड पर मिस करेंगे। सचिन की बेहतरीन पारी के जवाब में पारस ने कहा कि मुझे 1998 की आस्ट्रेलिया के साथ सीरीज में उनका प्रदर्शन उन्हें बेहद खास लगा।सचिन को पता है सब कुछ सचिन के बारे में पारस एक खास बात बताते हुए कहते हैं कि सचिन को क्रिकेट के हर सामान की बहुत ज्यादा नॉलेज है। अगर उनके बैट में जरा सा भी फर्क होगा तो वो उसे एक दम पहचान लेंगे, बैट कितना चलेगा, ग्लव्स कंफर्टेबल हैं या नहीं, क्रिकेट बॉल कैसी है, उन्हें सबकी जानकारी है।  पाकिस्तान के खिलाफ वो सीरीज यादगार: कैलाश
सचिन तेंदुलकर अंडर-16 से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पर्दापण करने से पहले तक इसी एसजी के बैट का ही यूज करते आए हैं। सचिन को तब सुनील गावस्कर ने रिकमेंड किया था, इसके बाद पाकिस्तान दौरे पर जाते हुए पहली बार एसजी कंपनी के निदेशक कैलाश आनंद की उनसे मुलाकात हुई। जब उन्होंने सचिन को दौरे के लिए सामान दिया। कैलाश आनंद कहते हैं कि सचिन एक नायाब शख्स हैं। भले ही एक मुलाकात हुई हो, लेकिन वो मुलाकात सदा जहन में रहेगी, उन्हें 16 साल के लड़के में तभी एक भविष्य का सितारा चमक गया था। रिटायरमेंट के बाद लाइफ पर कैलाश आनंद ने कहा कि वो चाहते हैं कि सचिन एमपी तो हैं ही, अब वो स्पोटर्स मंत्रालय का कार्यभार संभाले, जिससे देश में खेलों का भला हो सके।

Posted By: Inextlive