तेजगढ़ी, माधवपुरम, ईव्ज चौराहा जैसे कई इलाकों में धड़ल्ले से हो रहा गांजे का कारोबार

सूत्रों के अनुसार, मेरठ में हर माह लगभग सवा पांच करोड़ रुपये का गांजा खपाने के लिए भेजा जाता है

Meerut। जिला पिछले कुछ समय से गांजे की तस्करी का बड़ा सेंटर बन चुका है। यहां कई जगह गांजा आसानी से पर्दे के पीछे बिकता हुआ मिल जाएगा तो कई जगह सड़कों पर खुलेआम। इनमें कई इलाके तो ऐसे हैं, जहां से पुलिस थाने कुछ कदमों की ही दूरी पर हैं, जैसे भैसाली बस अड्डा, जिसके आसपास गांजे की बिक्री के कई गुप्त ठिकाने हैं। घंटाघर पर एसपी सिटी का ऑफिस है, लेकिन इस इलाके में भी गांजे की बिक्री की बात सूत्रों ने बताई है। इनके अलावा, तेजगढ़ी, माधवपुरम, ईव्ज चौराहा जैसे कई इलाकों में गांजे का कारोबार धड़ल्ले से हो रहा है।

हर महीने करोड़ों की सप्लाई

सूत्रों के अनुसार, मेरठ में हर माह लगभग सवा पांच करोड़ रुपये का गांजा खपाने के लिए भेजा जाता है। इसके लिए बाकायदा टारगेट फिक्स है। मेरठ को करीब 3500 किलो गांजे का टारगेट मिलता है। यह संभवत: प्रदेश में गांजे की सबसे ज्यादा सप्लाई है।

कई राज्यों से आती है खेप

मेरठ में मेघालय, मणिपुर, मिजोरम और उड़ीसा से गांजे की खेप आती है। शहर में इसकी सबसे बड़ी मंडी मछेरान, भूसामंडी, लालकुर्ती, माधवपुरम और लिसाड़ी गेट हैं। इन्हें सप्लाई करने के बड़े ठिकाने सरकारी भांग के ठेके हैं। इन ठेकों की आड़ में गांजा बेचेने का गैरकानूनी काम भी किया जाता है। शनिवार को जो बड़ी खेप पकड़ी गई, वह भी भांग के ठेकों पर सप्लाई की जानी थी। वहां गांजा, चरस, अफीम और नशे का अन्य सामान भी पुडि़या बनाकर बेचा जाता है।

पुलिस नहीं करती मॉनिटरिंग

पिछले साल के अंत में तत्कालीन एसएसपी ने नियम बनाया था कि जो भी बदमाश या चरस-गांजा के तस्कर जेल से छूटेंगे, उनकी लगातार मॉनिटरिंग की जाएगी। थानों में उनका रजिस्टर मेंटेन होगा और हर माह उनकी हाजिरी लगवाई जाएगी। इसके अलावा, उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी, जिससे कुछ संदिग्ध दिखाई देने पर तुरंत कार्रवाई की जा सके। थानेदारों को गोपनीय टीम बनाकर कार्रवाई करने के लिए भी कहा गया था, जिससे आरोपियों पर कानूनी शिकंजा कसा जा सके। मगर समय के साथ ही ये योजना धरी की धरी रह गई।

Posted By: Inextlive