मील से मीलों दूर बच्चे
- बच्चों ने लिखकर दिया, नहीं खाना ऐसा खाना
- मिड डे मील कोऑर्डिनेटर की रिपोर्ट पर होगी जांच आई एक्सक्लूसिव मेरठ। लाखों रुपये खर्च कर चलाई जा रही मिड डे मील में कीड़े होने और बेहद घटिया क्वॉलिटी की वजह से बच्चे खुद ही यह खाना नहीं खाना चाहते। इसका खुलासा हाल ही में मिड डे मील के डिविजनल कोओर्डिनेटर की ओर से शहर के तीन स्कूलों में किए औचक निरीक्षण में हुआ है। इन स्कूलों में कई अन्य कमियां भी मिली हैं, जिसके रिपोर्ट बीएसए को सौंप दी गई है। मील की जानकारी ही नहींरिपोर्ट के मुताबिक, शांता स्मारक इंटर कॉलेज में पहुंची टीम ने जब बच्चों से मिड डे मील के बारे में पूछा तो ज्यादातर ने कहा कि उन्हें इस योजना की जानकारी नहीं है। कई ने बताया कि उन्हें मीडिया से पता चला है कि मिड डे मील की क्वॉलिटी बेहद खराब होती है और इसमें कीडे़ मिलते हैं, इसलिए हम इसे खाना नहीं चाहते। यह बात उन्होंने स्कूल में पहले ही लिखकर दी है। यहां टीम ने बच्चों को मिड डे मील के बारे में बताते हुए इसे लेने के लिए प्रोत्साहित किया।
कम बच्चों को बंट रहारिपोर्ट में बताया गया है कि आरजी इंटर कॉलेज और एनएएस इंटर कॉलेज में दोबारा हुई चेकिंग के दौरान भी यहां नामांकन से कम संख्या में मिड डे मील बंटता पाया गया। इस दौरान पिछली चेकिंग के मद्देनजर जो निर्देश दिए गए थे, उन्हें भी पूरा नहीं किया गया है। शांता स्मारक स्कूल में 497 में से जहां मात्र 140 बच्चों को ही मिड डे मील परोसा जाता मिला। आरजी इंटर कॉलेज में 108 में से केवल 90 बच्चों को ही मिड डे मील परोसा गया है।
स्कूलों को निर्देश जारी मिड डे मील के डिविजनल कोऑर्डिनेटर की इस रिपोर्ट पर कार्रवाई हो गई है। एडी बेसिक अशोक कुमार ने डीआईओएस और बीएसए को स्कूलों में मिड डे मील की व्यवस्था तुरंत सुधारने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, मीड डे मिल वितरण की जांच करने के लिए विभागीय स्तर पर टास्क फोर्स बनवाकर जांच करवाने के भी निर्देश दिए हैं। ---- स्कूलों में कई खामियां पाई गई हैं। मिड डे मील की व्यवस्था पूरी नहीं है। बच्चों को फल और दूध का वितरण नहीं किया जा रहा है। वीरेंद्र कुमार, डिविजनल कोऑर्डिनेटर मिड डे मील विभाग ---------हमने जिला कोऑर्डिनेटर को जांच करने के निर्देश दे दिए हैं। मिड डे मील वितरण में खामियों पर कार्रवाई की जाएगी।
सत्येंद्र कुमार ढाका, बीएसए, मेरठ