डॉक्टर्स का कहना, 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों पर भी इंजेक्शन करेगा काम

शुरुआती दो दिन में होगा असर, कोरोना के हाई रिस्क मरीजों के लिए फायदेमंद

रविवार को एक डॉक्टर ने लगवाया था इंजेक्शन, हालत में आया सुधार

Meerut। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इलाज में प्रयोग किया गया मोनोक्लोनल एंटीबाडी कॉकटेल इंजेक्शन अब मेरठ में भी पहुंच गया है। रविवार को मेरठ के न्यूटिमा अस्पताल में कोरोना संक्रमित एक डॉक्टर को यही इंजेक्शन दिए जाने के बाद अब इससे काफी उम्मीदें लगाई जा रही है। डॉक्टर्स का कहना है कि अगर तीसरी लहर आई और वायरस ने कहर बरपाया तो ये इंजेक्शन काफी मददगार साबित हो सकता है।

12 से अधिक उम्र पर प्रभावी

न्यूटिमा अस्पताल में पहली बार मोनोक्लोन एंटीबॉडी कॉकटेल इंजेक्शन थेरेपी देने वाले डॉ। अमित उपाध्याय ने बताया कि यह इंजेक्शन 12 से अधिक उम्र के लोगों को आराम से दिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अमेरिका में एक हजार लोगों पर इसकी स्टडी हुई है और रिजल्ट बहुत ही पॉजिटिव आए हैं। जिसके बाद देश में भी इसकी शुरुआत हुई और माना जा रहा है कि तीसरी लहर में यह काफी निर्णायक रोल निभा सकता है। उनका कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण होने के 2 दिन के अंदर यह थेरेपी देनी होती है तभी इसका असर होता है। अगर समय रहते मरीज को यह उपलब्ध करा दी जाए तो संक्रमण बढ़ने का खतरा कई गुना कम हो सकता है।

एक वायल में दो डोज

डॉ। अमित बताते हैं कि सिपला कंपनी के इस इंजेक्शन की एक शीशी में दो डोज होती है। वह कहते हैं कि एक लाख 20 हजार के इस इंजेक्शन से 60-60 हजार की अलग-अलग डोज दो मरीजों को लग सकती हैं। अगर इसके इफेक्ट प्रभावी होते हैं तो संक्रमण को रोकना बहुत ज्यादा मुश्किल नहीं होगा। मरीजों को इलाज पर लाखों रुपये खर्च करने नहीं पड़ेंगे। हालांकि डॉ। अमित यह भी कहते हैं कि ऐसे मरीज जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर आ गए हैं या उनकी स्थिति काफी क्रिटिकल है, उनके लिए यह दवाई कारगर नहीं है।

मरीजों की काउंसलिंग

डॉ। अमित बताते हैं कि इंजेक्शन का प्रयोग शुरू हो चुका है और कंपनी सीधे अस्पताल को ये मुहैया करवा रही हैं। इसके प्रभाव को देखते हुए दूसरे मरीजों को भी काउंसलिंग करके इसके बारे में जानकारी दी जाएगी। वह बताते हैं कि हालांकि अभी कोरोना वायरस संक्रमण काफी घट गया है, लेकिन खतरा अभी भी बरकरार है। वह कहते हैं कि हाई रिस्क मरीजों को भी यह इंजेक्शन दिया जा सकता है। जिससे उनमे दूसरी बीमारियां या पोस्ट इफैक्ट्स को काफी हद तक रोका जा सकेगा। वे बताते हैं किजब शुरुआती स्तर पर ही संक्रमण का प्रभाव कम हो जाएगा तब मरीजों में ब्लैक फंगस या क्लॉटिंग जैसी बीमारियां भी नहीं होंगी।

ऐसे करता है काम

मोनोक्लोनल एंटीबाडी कॉकटेल इंजेक्शन दो मेडिसिंस को मिलाकर बनाया गया है। जिसकी वजह से इसका नाम कॉकटेल पड़ा है। इसमें कासिरिविमाब और इमदेविमाब 600-600 एमजी की मात्रा में मिलाकर तैयार किया जाता है। ये आíटफिशल तरीके से तैयार एंटीबाडी है। शरीर में जाने के बाद ये दवाई वायरस का मल्टीप्लीकेशन रोक देती है जिससे वायरस दूसरी कोशिकाओं में नहीं पहुंच पाता और उसका फैलाव रुक जाता है।

डॉक्टर की हालात में सुधार

डॉ। अमित उपाध्याय ने बताया कि रविवार को 52 साल के वरिष्ठ पैथोलोजिस्ट को ये इंजेक्शन दिया गया था। तब से उनकी हालात में काफी सुधार हुआ है। उन्होंने बताया की उनकी ओर से लगातार मरीज की मॉनिटरिंग की जा रही है।

Posted By: Inextlive