Meerut : रफ्तार के सौदागर के दिल में रोमांच का जुनून भरा होता है. बेशक बिना चोट खाए तो कोई भी इस खेल में प्रोफेशनल नहीं बन सकता है. इन्हीं प्रोफेशनलर्स में से एक मनिंदर सिंह प्रिंस की कहानी भी कुछ यूं ही मिलती जुलती है.


- इस खेल का शौक कैसे लगा?मैं शुरू से ही इस खेल का शौकीन रहा हूं। 16 साल की उम्र से मैंने दिल्ली में बाइक पर स्टंट कर रहा हूं। ये मेरा पैशन हैं। - कितना मुश्किल रहा इस खेल से जुडऩा?मेरे लिए बहुत मुश्किल रहा है। शुरुआत में सीखते वक्त में 5-6 बार गिरा हूं। टे्रनिंग शुरू हुई तो इंजरी भी हुई। मैंने अमेरिका में ट्रेंनिग ली है। - चैंपियन बने तो कितना कांफीडेंस आया?सच बताऊं तो बहुत कांफीडेंस आया है। 2009, 2010 में लगातार दो साल मैं चैंपियन बना हूं। साथ ही मैं प्राइवेट ईयर में इंडिया का बेस्ट राइडर भी हूं। - खुद को कहां अलग पाते हैं आप?मैंने अमेरिका में ट्रेंनिग ली फिर यूएस में भी 2009 में डानी हैनसेन से ट्रेनिंग ली है। वहीं 2007 में मैंने विक्टोरिया रेस में 3 राउंड तक पहुंचा था।
- आपकी बाइक देखने में सबसे जुदा दिखती है, खास वजह?मेरी बाइक मोडिफाइड नहीं है। ये केएक्स 250 है। से बाइक खासकर मोटोक्रास के लिए ही बनी है। अमेरिका में मैंने इसे बनवाया था। मैं आज खुश हूं कि मुझे जेके टायर, बीजी प्रोडेक्ट, गोवा मोटर स्पोट्र्स जैसी कंपनियां मुझे सपोर्ट कर रही हैं।


- मेरठ सहित देश में इस खेल का कैसा भविष्य देखते हैं?मेरठ का ये टै्रक बाइकिंग के लिए बहुत अच्छा है। वहीं देश में भी ये खेल अब तरक्की कर रहा है। क्योंकि भारतीय युवा शुरू से ही रोमांच के शौकीन रहे हैं। हाल ही में पुणे में अंडर-14 बच्चों की भी 65 सीसी की मोटो क्रास हुई। तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस खेल का भविष्य भारत में बहुत अच्छा है।

Posted By: Inextlive