Hastinapur : पर्यूषण महापर्व के अवसर पर श्री दिगंबर जैन प्राचीन बड़ा मंदिर में चल रहे कल्पद्रुम महामंडल विधान में सर्वप्रथम जाप अनुष्ठान पूर्वक मुख्य वेदी में विराजमान त्रय तीर्थकरों का जलाभिषेक हुआ। तत्पश्चात श्रद्धालुओं ने मल्लिनाथ भगवान के समवशरण में भक्ति में विभोर होकर जिनेंद्र भगवान का अभिषेक किया। भगवान की शांतिधारा करने का सौभाग्य जेपी जैन को प्राप्त हुआ।

प्रवचन सुनने के लिए उमड़े भक्त

पर्यूषण पर्व के आठवें दिन मुनि श्री 108 भाव भूषण जी महाराज ने उत्तम त्याग पर प्रचवन करते हुए कहा कि त्याग कि शिक्षा हमें प्रकृति से लेनी चाहिए। वृक्ष कार्बन-डाई आक्साइड ग्रहण कर हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। गाय घास आदि खा करके हमें दूध प्रदान करती है। वृक्ष अपने पत्तों को स्वयं छोड़ देता है। हम भी आहार करते है तो निहार होता है तभी मनुष्य स्वस्थ रहता है अगर हम ग्रहण तो करते रहे और उसको छोड़ें नहीं तो हम अस्वस्थ हो जाएंगे। इसी प्रकार से धन के अर्जन करने मे ओर वस्तुओं के संग्रह के मूल में राग है। जबकि त्याग हमें परिग्रह से मुक्ति दिलाता है। जीवन में त्याग की महिमा सृष्टि के आरंभ से ही रही है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को त्याग की प्रवृत्ति धारण कर अपने धन का धर्म, राष्ट्र व समाज हित के लिए उपयोग करनी चाहिए। इसके पश्चात श्रद्धालुओं ने कल्पद्रुम महामंडल विधान करते हुए मांडले पर श्रीफल चढ़ाकर पुण्य का संचय किया। विधान में महामंत्री मुकेश जैन, कोषाध्यक्ष सुनील जैन, उपाध्यक्ष हेमचंद जैन, मंत्री प्रद्युमन व शिखरचंद जैन, देवेंद्र जैन आदि श्रद्धालुओं ने विधान में भाग लेकर पुण्य संचय किया। सायंकाल में भगवान की मंगल आरती की गई व रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए । महाप्रबंधक मुकेश जैन, अशोक जैन, भारत जैन, उमेश जैन, कमल जैन, मणिचन्द जैन का सहयोग रहा।

Posted By: Inextlive