सीसीएस यूनिवर्सिटी में भारतीय ज्ञान परम्परा शिक्षक प्रशिक्षण की कार्यशाला हुई

मेरठ ब्यूरो। सीसीएसयू के राजनीति विज्ञान विभाग व भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद के तत्वावधान में भारतीय ज्ञान परंपरा शिक्षक प्रशिक्षण पर दो दिवसीय कार्यशाला हुई। यह कार्यक्रम चाणक्य सभागार में हुआ। कार्यशाला में विभिन्न देश के यूनिवर्सिटीज एवं विद्वानों को सम्मानित किया गया। अध्यक्ष प्रो। पवन कुमार शर्मा ने अतिथियों का परिचय कराया।
इच्छाशक्ति की कमी थी
उन्होंने वर्कशॉप के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कई सूत्र भारतीय ज्ञान परम्परा के शामिल किए गए हैं। वर्तमान समय तक प्रशासनिक एवं शासकीय इच्छा शक्ति की कमी के कारण अभी तक नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू नहीं हो पाई थी।

उन्होंने कहा कि सीसीएसयू का राजनीति विज्ञान विभाग कई वर्षों से भारतीय ज्ञान परंपरा से संबंधित आयामों पर कार्य कर रहा है। पिछले वर्ष भारतीय ज्ञान परंपरा से सम्बन्धित शोध केंद्र का आरंभ भी हुआ है। अभी तक लगभग 500 पुस्तके राजनीति विज्ञान विभाग में भारतीय ज्ञान परंपरा से संबंधित साहित्य पर उपलब्ध हैं।
अद्भुत है भारतीय ज्ञान
उन्होंने विभागाध्यक्ष प्रो। संजीव कुमार शर्मा ने भारतीय ज्ञान परंपरा शिक्षक प्रशिक्षण दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन उनके कुशल निर्देशन एवं मार्गदर्शन में किया जा रहा है। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा में कहीं दृष्टांत व कहानियों के माध्यम से यह बताया कि भारतीय ज्ञान परंपरा कितनी सुदृढ़ एवं सम्पन्न थी। प्रोफेसर काशीनाथ जेना ने विशिष्ट वक्तव्य में कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा एवं संस्कृति पर पूरा विश्व अविलम्बित है।लेकिन भारतीय परिप्रेक्ष्य में भारतीय ज्ञान परंपरा पर अभी और अधिक कार्य किए जाने की आवश्यकता है।

अंतरर्राष्ट्रीय संबंधों पर काम नहीं हुआ
जवाहरलाल यूनिवर्सिटी से आयुषी केतकर ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा पर अंतरराष्ट्रीय संबंधों को लेकर अधिक कार्य नहीं हो पाया है।उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा में जननी एवं मातृ शक्ति पर कहा कि प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा में प्राचीन समय से ही नारीवादी चिंतन था जो आधुनिक समय के नारीवादी आंदोलन से भिन्न है।
आधुनिक विज्ञान के प्रमाण
प्रो। राजवीर सिंह दलाल ने विशिष्ट वक्तव्य में कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में चक्र संहिता, विज्ञान पद्धति एवं आधुनिक वैज्ञानिकता के प्रमाण विभिन्न ग्रन्थों में मिलते हैं। जिनका उपयोग आधुनिक विज्ञान में भी किया जा रहा है, भारतीय विज्ञान परंपरा प्राचीन समय से ही समृद्ध एवं उन्नत रही है।इसके पश्चात कार्यशाला में शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए कार्यशाला में प्रतिभाग करने वाले प्रतिभागियों को कार्यशाला से संबंधित अभ्यास करने के लिए पाठ्यक्रम से संबंधित समूह वर चर्चा की गई।कार्यशाला की अध्यक्षता वीसी प्रो। संगीता शुक्ला ने की, प्रो। संजीव कुमार शर्मा,डॉ। नितिन त्यागी, डॉ। रवि पोसवाल, यतेन्द्र कुमार, आंचल चौहान, सुमित देशवाल, नन्दनी, प्रियंका,लोहिया, सचिन गिरि, गगन सिखारवर, विशाल कुमार आदि का सहयोग रहा।

Posted By: Inextlive