Meerut। एनएच-119 पर कब्जा लेने पहुंचे एनएचएआइ के अधिकारियों को किसानों ने विरोध करते हुए मंगलवार को घेर लिया। किसानों ने हंगामा करते हुए आरोप लगाया कि जिला प्रशासन ने मुआवजा वितरण में उनके साथ न्याय नहीं किया है। शहरी क्षेत्र में होने के बावजूद उन्हें जान-बूझकर कृषि भूमि के आधार पर अवार्ड दिया जा रहा है। किसानों के उग्र रूख को देखते हुए एनएचएआइ अधिकारियों ने पुलिस बल की सहायता ली, लेकिन कार्रवाई के लिए आगे नहीं बढ़ पाए। बाद में किसानों का प्रतिनिधिमंडल एसडीएम सदर से मिलने उनके कार्यालय पहुंचे और उचित मुआवजे की मांग रखी।

मुआवजे की मांग

किसानों का नेतृत्व कर रहे आशीष चौधरी, र¨वद्र सिवाच व केपी सिंह आदि ने बताया कि अपर जिलाधिकारी ने भूमि अर्जन अधिनियम 2013 के तहत मुआवजा नहीं तैयार किया है। किसी भी आपत्ति को नियमानुसार निस्तारण नहीं किया गया। बिना नोटिस दिए मनमाने तरीके से किसानों की आपत्तियों का निस्तारण भी कर दिया गया। एसडीएम ने किसानों से कहा कि वह स्वयं डीएम से इस संबंध में वार्ता करेंगे, फिलहाल भूमि का कब्जा देने में सहायता करें। इस प्रस्ताव को किसानों ने ठुकरा दिया। किसानों ने स्पष्ट तौर पर कहा कि जब तक उन्हें नियमानुसान मुआवजा नहीं मिलेगा, वह कब्जा नहीं देंगे। किसानों में र¨वद्र सिवाच, आशीष चौधरी, केपी सिंह, सर्वेश, प्रवेश, प्रवीन, पवन, हरपाल सिंह, सुभाष, प्रमोद व सतबीर आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।

सर्किल रेट 16 हजार

किसानों ने आरोप लगाया कि गंगानगर क्षेत्र में मवाना रोड पर शहरी क्षेत्र लगता है। जो एमडीए के अनुसार व्यवसायिक श्रेणी में आता है लेकिन इन प्रतिष्ठानों को भी कृषि भूमि करार देकर अवार्ड घोषित किया जा रहा है। इस मौके पर सर्किल रेट 16 हजार रुपये है जबकि मुआवजा वितरण धनराशि 15612 रुपये की दर से दी जा रही है। वहीं, छोटा मवाना, सैफपुर व फिरोजपुर आदि कई ऐसे गांव हैं, जो मेरठ मुख्यालय से 30 किमी दूरी पर स्थित हैं। बावजूद इसके उन्हें बाजार मूल्य से अधिक मुआवजा दिया जा रहा है। मुआवजा वितरण में अनियमितता बरती जा रही है।

Posted By: Inextlive