बिना द्रोणाचार्य पलायन को मजबूर धनुर्धर
कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम में बीते चार सालों से नहीं है तीरंदाजी का स्थाई कोच, वर्तमान में अस्थाई कोच की व्यवस्था भी नहीं
कोच के न होने से खिलाड़ी कर रहे हैं स्टेडियम से पलायन, कुछ खिलाडि़यों को सीनियर दे रहे ट्रेनिंग Meerut। कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम में बीते चार सालों से तीरंदाज बिना कोच के ही खेल की प्रैक्टिस कर एकलव्य और अर्जुन बनने की कोशिश कर रहे हैं। बीते चार सालों से स्टेडियम में तीरंदाजी में किसी भी स्थायी कोच को नियुक्त नहीं किया गया है। वर्तमान में तो स्थिति ऐसी है कि कोई अस्थाई कोच भी तीरंदाजी के खिलाडि़यों को ट्रेनिंग देने के लिए उपलब्ध नहीं है। जिसकी वजह से खिलाड़ी स्टेडियम से पलायन को मजबूर हैं। एक साल पहले उठी थी मांगबता दें कि पिछले साल तीरंदाजी के खेल में कोच की नियुक्ति को लेकर खिलाडि़यों ने आरएसओ को प्रार्थना पत्र लिखा था। इस बाबत तीरंदाजी के सीनियर खिलाड़ी सुमनेश शर्मा व मनु ने बताया कि एक साल पहले जनवरी में तीरंदाजी के सभी खिलाडि़यों ने एक प्रार्थना पत्र आरएसओ को लिखा था। जिसके बाद कोच की नियुक्ति का मामला शासन को भेजा गया था। मगर सालभर बीत जाने के बावजूद आज तक तीरंदाजी के लिए कोच की नियुक्ति नहीं हो सकी है।
हो रहा खिलाडि़यों का पलायन कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम में जो खिलाड़ी दूरदराज से आकर अपने तीरंदाजी में अपना भविष्य संवारना चाहते हैं, अब उनके हाथ सिर्फ मायूसी ही लग रही है। बता दें कि बीते चार सालों से तीरंदाजी के खेल में स्थाई कोच न होने के कारण लगातार खिलाड़ी स्टेडियम से पलायन कर रहे हैं। जहां 2017-18 में तीरंदाजी सीखने वाले खिलाडि़यों की संख्या 40 थी, वहीं 2018-19 में यह संख्या घटकर आधी रह गई। वर्तमान में यह आंकड़ा घटकर मात्र 10 खिलाडि़यों तक पहुंच गया है। 2012 में थी कोच की व्यवस्थाकैलाश प्रकाश स्टेडियम में 2012 में तीरंदाजी कोच अनुपमा की तैनाती की गई थी। उस समय स्टेडियम के तीरदंाजों ने कई प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन कर पदकों की झड़ी लगा दी थी। मगर 2015 में कोच अनुपमा का स्थानांतरण हो गया। जिसके बाद काफी समय तक किसी कोच की नियुक्ति नहीं की गई। इसी के बाद 2017 में अस्थाई कोच विराज ने खिलाडि़यों को तीरंदाजी के गुर सीखाने का जिम्मा संभाला था। मगर स्थाई कोच के तौर पर नियुक्त होने के बाद उन्होंने स्टेडियम छोड़ दिया था। तब से अब तक स्टेडियम में खिलाडि़यों के तीरंदाजी सीखाने के लिए किसी कोच की व्यवस्था नहीं है।
कोच की नियुक्ति का मामला शासन लेवल का है। वहां से इस बाबत अभी तक किसी प्रकार के निर्देश नहीं आए हैं। जैसे ही कोई निर्देश आते हैं तो नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू किया जाएगा। आले हैदर, आरएसओ, कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम काफी समय से तीरंदाजी सीखेने के लिए कोच नहीं हैं। इसलिए खिलाडि़यों को अभ्यास करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई साथी खिलाड़ी कोच न होने के कारण स्टेडियम छोड़ चुके हैं। मनु, सीनियर खिलाड़ी स्टेडियम में न तो स्थाई कोच हैं और न ही अस्थाई, ऐसे में सीनियर खिलाडि़यों की मदद से हमारी ट्रेनिंग चल रही है। मेरे साथ के कई खिलाड़ी दिल्ली का रुख कर चुके हैं। सुलेखा, खिलाड़ी कई साथी स्टेडियम छोड़कर प्राइवेट कोचिंग ले रहे हैं। मगर जिन खिलाडि़यों को उनकी पॉकेट प्राइवेट कोचिंग के लिए अलाउड नहीं करती वो मजबूरी में स्टेडियम में ही प्रैक्टिस कर रहे हैं। अवनी, खिलाड़ी।