- आलू-प्याज की चल रही है जमाखोरी

- मार्केट में बिक रही केमिकल युक्त हरी सब्जियां

Meerut : जमाखारों की दाल हरी सब्जियों में नहीं गली तो उन्होंने आलू-प्याज में पैंतरा दिखाना शुरू कर दिया। इसके चलते हरी सब्जियों के मुकाबले आलू-प्याज के रेट लगातार बढ़ रहे हैं। मंडी से चलकर होलसेल व फिर रिटेलर तक पहुंचते-पहुंचते आलू-प्याज के रेट लगभग डबल हो जाते हैं, जबकि सब जानते हुए भी एडमिनिस्ट्रेशन मौन है। वर्ष की शुरुआत में बढ़ते दाम को लेकर शहरवासियों ने विरोध किया तो एडमिनिस्ट्रेशन ने स्टॉल लगवाकर हरी सब्जियों की बिक्री शुरू करवाई, लेकिन ज्यादा दिन नहीं चला। नतीजतन जमाखोर फिर सक्रिय हो गए और लोगों को लूटना शुरू कर दिया।

आलू-प्याज में जमाखोरी

सब्जियों की सबसे बड़ी मंडी नवीन मंडी है। यहां पर आसपास जिलों के किसान भी सब्जियां सप्लाई करते हैं। शहर में क्00 से ज्यादा होलसेलर हैं, जो हरी सब्जियों के बिजनेस से जुड़े हैं। मंडी व्यापारियों ने बताया कि मंडी में मुजफ्फरनगर, हस्तिनापुर, गढ़, सहारनपुर, बागपत सहित अन्य एरिया के किसान सब्जी लाते हैं। आलू व प्याज कोल्ड स्टोर में रखने उसमें खराबी नहीं आती। इसका फायदा उठाकर जमाखोर मार्केट में इनकी कमी होने पर बेचते हैं।

रिटेलर तक आते ही रेट डबल

नवीन मंडी में इस समय आलू ब्.ब्0-8.क्0 और प्याज मैक्सिमम 9.क्भ् रुपए प्रति केजी बिक रही है। वहीं मंडी से रिटेलर तक आकर इनके रेट लगभग दोगुना हो जाता है। रिटेलर प्याज फ्0 और आलू ख्0 रुपए प्रति किलो बिक्री कर रहे हैं। चार महीने पहले एडमिनिस्ट्रेशन के साथ ही एक मीटिंग में कच्चे उत्पाद पर प्रति क्विंटल सिर्फ भ्0 परसेंट तक मुनाफा लेने की बात कही थी, लेकिन रिटेलर निर्देशों को धता बताते हुए अपने हिसाब से बिक्री कर रहे हैं।

हरी सब्जी के रेट में अंतर नहीं

हरी सब्जियों को जमाखोर चाह कर भी होल्ड नहीं कर पाते हैं। सब्जियों को कोल्ड स्टोर में भी रख पाना संभव नहीं होता फिर भी इसे रखने की कोशिश उनकी तरफ से जारी रहती है लेकिन सब्जी खराब न हो जाए इस डर से होलसेलर और रिटेलर अपनी पूंजी निकलने में लग जाते हैं। यही कारण है कि, हरी सब्जियों के दाम में मंडी, होलसेलर और रिटेलर के यहां कोई खास अंतर नहीं है।

होता है केमिकल लोचा

सब्जी मंडी में लगी हरी सब्जियां देखकर मन भी फ्रेश हो जाता है। हेल्दी बने रहने के लिए आप इन्हें अच्छी कीमत देकर खरीदते हैं और यूज करते हैं। पर क्या आपको पता है इनकी ग्रीनरी के पीछे छिपा है केमिकल का राज। लंबे समय तक सब्जियों को फ्रेश रखने लिए किसानों से लेकर सब्जी बेचने वाले तक इन पर केमिकल का यूज कर रहे हैं। तभी तो भरी गर्मी में भी इनका रंग जस का तस बना रहता है।

हफ्ते भर तक बनी रहती हैं हरी

सेलर्स सब्जियों को फ्रेश बनाए रखने के लिए हैवी मेटल्स यूज करते हैं। जैसे लैड, जिंक, कैलरिंग, निकिल, बोरॉन, बायोविटा, विल्सन, ट्राइकैंटीनर। इन केमिकल के यूज से सब्जियों में ग्रीनरी बनी रहती है। इतना ही नहीं बोरॉन का यूज करने से सब्जियां चमकदार और कलरफुल बनाया जाता है। दूसरी ओर सब्जियों का वेट और लेंथ बढ़ाने के लिए किसान ऑक्सीटोसिन और प्लांट ग्रुप हार्मोन का यूज करते हैं, जो बेहद खतरनाक है।

हृयूमन बॉडी के लिए हॉर्मफुल

केमिकल वाली सब्जी खाने से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। डिपेंड करता है कि सब्जियों को कितनी देर तक केमिकल ऑब्जर्व कराया गया है। ज्यादा देर तक ऐसा कराने से खतरनाक केमिकल सब्जी के अंदर तक चले जाते हैं। पानी से धोने के बाद भी केमिकल का असर खत्म नहीं होता। ऐसे सब्जियों के इस्तेमाल से किडनी, लीवर, गैस्ट्रिक और अल्सर की प्रॉब्लम हो सकती है। जिन सब्जियों में ऑक्सीटोसिन का यूज हुआ है, उनके इस्तेमाल से ह्यूमन बॉडी में हार्मोनल डिसबैलेंस तक हो जाता है। अनमैरिड ग‌र्ल्स के लिए तो ये कुछ ज्यादा ही हार्मफुल है। उन्हें कई तरह की इंटरनल प्रॉब्लम्स हो सकती हैं।

यह है महंगाई का सफर

क्। किसान द्वारा सब्जियां मंडी परिषद तक लाई जाती है।

ख्। मंडी में किसान सामान की नीलामी करता है।

फ्। व्यापारी सबसे ज्यादा बोली लगाकर सामान को खरीदता है।

ब्। इसके बाद बड़ा व्यापारी छोटे व्यापारी को सब्जी देता है।

भ्। किसान द्वारा उपलब्ध कराई गई सब्जियां मिक्स्ड क्वॉलिटी की होती है।

म्। छोटे व्यापारी इन्हें अलग कर कैटेगरी बनाते हैं।

8. व्यापारी तीन तरह की क्वॉलिटी को अलग करते हैं।

9. इसके बाद आढ़ती के यहां इन सब्जियों को तोला जाता है।

क्0. तुलाई के बाद सब्जियों की पैकेजिंग यानि बोरियों में भरा जाता है।

क्क्। बोरी के साइज के हिसाब से पांच से दस रुपए कीमत ओर बढ़ाई जाती है।

क्ख्। छोटे व्यापारी से मोहल्ले में फेरी वाले अपना मुनाफा जोड़ घर-घर बेचते हैं।

क्फ्। सिटी के डिफ्रेंट एरियाज में लगी मंडियों में लगने वाला ढाई परसेंट टैक्स।

क्ब्। आउटर एरियाज से सिटी में लाए जाने वाले माल पर पुलिस की वसूली।

कुछ ऐसे बढ़ जाते हैं रेट

सब्जी नवीन मंडी सदर मंडी ठेले

आलू ब्.ब्0 क्0 ख्0

प्याज 9.क्भ् फ्0 फ्भ्

टमाटर क्ख्.70 क्भ् ख्0

घिया ब्.भ्0 क्0 क्भ्

टिंडा 9.क्0 ख्0 फ्0

मटर क्ब्.ख्0 80 8भ्

परवल क्0.भ्0 ब्0 ब्भ्

कटहल 8 फ्0 ब्0

खीरा ब्.70 क्भ् ख्0

भिंडी 9.क्भ् ख्0 ख्भ्

कद्दू फ्.क्0 क्0 क्भ्

करेला 7.80 फ्0 फ्भ्

तोरई 8.भ्0 ख्0 ख्भ्

बैंगन भ्.ख्0 ख्0 फ्0

मूली फ्.ख्0 क्भ् ख्0

अरबी क्क् फ्0 ब्0

गाजर 7 ब्0 ब्भ्

हमें जिस रेट पर मंडी से सब्जियां मिलती है। हमें उस टैक्स भी देना पड़ता है। उसके बाद ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा भी देना पड़ता है। हम अपनी ओर कीमत नहीं बढ़ाती है।

- भारत सोनकर, होलसेलर/रिटेलर

सब्जियों के रेट रजिडेंशियल इलाकों में फेरी लगाकर सब्जी बेचने वाले ज्यादा रेट लगाते हैं। उसके बाद बदनाम सब होते हैं। हमारी मंडी में रेट टू रेट दामों पर मिलती है।

- संजय सोनकर, होलसेलर/रिटेलर

वैसे तो सब्जियों को दाम गिरे हुए हैं। कोई सब्जी महंगी नहीं है। जिससे पब्लिक में हाहाकार मच जाए। लेकिन कॉलोनियों में सब्जी की दुकान लगाने वाले काफी महंगी सब्जी बेचते हैं।

- अरुण खटीक, होलसेलर/रिटेलर

कौन सी सब्जी की कितनी खपत

सब्जी खपत (क्विंटल)

आलू ख्ब्,ख्7भ्

प्याज ख्क्,8ब्7

टमाटर 7907

घिया 7फ्ख्म्

गोबी फ्क्8ख्

टिंडा क्क्फ्7

मटर फ्7फ्

परवल क्8म्

कटहल ख्0म्म्

खीरा 80म्क्

भिंडी ब्क्भ्ख्

कद्दू ख्म्भ्फ्

करेला फ्म्फ्भ्

तोरई क्8क्फ्

बैंगन ब्7ब्क्

मूली 7ख्म्

अरबी क्0म्भ्

गाजर 8ब्8

टोटल क्,0भ्,ब्म्7

Posted By: Inextlive