-आशंका पर प्रशासन चौकन्ना, गांवों से सीधे मिलावटी दूध ले रही ब्रांडेड कंपनियां

- नकली और मिलावटी दूध बनाने वालों को किया गया चिह्नित, बड़े पैमाने पर होगी छापामारी

आई एक्सक्लूसिव

sharma.saurabh@inext.co.in

Meerut : गाजियाबाद में एक माह पहले प्रतिष्ठित कंपनी के पैक्ड मिल्क में डिटरजेंट मिलने की घटना के बाद से ब्रांडेड कंपनी के पैक्ड मिल्क में गड़बड़ी नहीं होगी, ये मिथक टूटा था। अब मेरठ के प्रशासनिक खुलासे के बाद तो पैक्ड मिल्क पर भरोसा करना भी मुश्किल हो जाएगा। प्रशासन का कहना है कि ब्रांडेड कंपनियां गांवों से जो दूध खरीद रही हैं वो मिलावटी है।

सीधे ले रहे गांवों से दूध

प्रशासन की मानें तो ब्रांडेड मिल्क कंपनियों ने गांवों से टाइअप कर लिया है। जाने-अनजाने मिलावटी दूध इन कंपनियों तक पहुंच रहा है। करीब दो लाख लीटर दूध मेरठ एवं आसपास से ब्रांडेड कंपनियां सीधे गांवों से परचेज कर रही हैं।

नुकसानदायक है यह दूध

प्रसाशनिक सूत्रों के मुताबिक यह दूध अपेक्षाकृत अधिक नुकसानदेह है। दूध को यह कंपनियां कई तरह के केमिकल मिलाकर प्रिजर्व करती हैं। इस प्रक्रिया में मिलावट के साथ केमिकल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।

गांवों में होगी छापेमारी

एडमिनिस्ट्रेशन ने उन गांवों की लिस्ट तैयार कर ली है, जहां यह खेल चल रहा है। गांवों में प्रशासन की टीम देर-सवेर छापा मारकर मिलावट के खेल को पकड़ेगी। टीम अगले चरण में उन ब्रांडेड कंपनियों के दूध का सैंपल लेगी जो इस मिलावटी दूध को खरीद रहे हैं। यह छापामारी अभियान पूर्णतया गोपनीय होगा।

मिल रही हैं शिकायतें

डेयरी के अलावा बाजार और घरों में खुदरा दूध बेचने वाले दूधिए अब तक मिलावटखोरी के लिए जाने जाते थे। नए खुलासे के बाद बड़ी कंपनियों का पैक्ड दूध भी संदेह के घेरे में आ गया है। प्रशासन और फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने गांवों में छापेमारी की बड़ी रणनीति तैयार की है।

पकड़े जाएंगे दूध माफिया

प्रशासन और फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट का मानना है कि दूध में मिलावट करने का खेल गांव के दूधिए से लेकर बड़ी कंपनियों तक चल रहा है। छापे मारने के बाद कई बड़े माफिया के नाम सामने आ जाएंगे। नाम न छापने की शर्त पर एक प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि ब्रांडेड कंपनियों की दूध माफिया से साठगांठ है।

त्योहारों पर दोगुनी मांग

गर जनपद में दूध की डिमांड की बात करें तो दिन में 8 लाख लीटर दूध की डिमांड है। जिनमें से डेयरी दूध की खपत 5 लाख लीटर होती है जबकि 3 लाख लीटर दूध की खपत ब्रांडेड पैक्ड दूध की है। त्योहारों में ये डिमांड बढ़कर 10 से 15 लाख लीटर हो जाती है। अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर त्योहारों पर डबल दूध की व्यवस्था कहा से की जाती है?

उत्पादन पर कंपनियों का कब्जा

मेरठ एवं आसपास के गांवों से कुल दुग्ध उत्पादन का सत्तर फीसदी एक ब्रांडेड कंपनी परचेज कर रही है। यह ब्रांडेड कंपनी करीब दो लाख लीटर दूध रोजाना गांवों से खरीदती है। तीस प्रतिशत में अन्य पैक्ड मिल्क कंपनियां, खुदरा डेयरी, चिलर प्लांट और दूधिए हैं। यह आंकड़ा करीब पचास हजार लीटर का है।

एक नजर

दूध की डिमांड-आठ लाख लीटर

डेयरी से आपूर्ति- पांच लाख लीटर

पैक्ड मिल्क-दो लाख

फुटकर दूध विक्रेता-2500

पशुपालक डेयरी-1500

नोट: त्योहारों पर दूध की डिमांड आम दिनों से दोगुना हो जाती है।

वर्जन

त्योहारों का सीजन शुरू हो चुका है। अब दूध में मिलावट का खेल शुरू हो चुका होगा। ऐसे में सूचना मिली है कि पैक्ड दूध में मिलावट हो रही है। इस ओर भी कार्रवाई की योजना तैयार की गई हैं।

- केशव कुमार, सिटी मजिस्ट्रेट, मेरठ

Posted By: Inextlive