मेडिकल कॉलेज में दो वक्त मरीजों को खाने में रोटी दी जाती है। इसका खर्च सरकार उठाती है और खाने वाला मरीज होता है। मगर यहां एक तीसरा आदमी भी है जो रोटी से खेलता है।

मेरठ (ब्यूरो)। दरअसल, सरकारी अस्पतालों में मरीज को दिए जाने खाने की क्वालिटी हमेशा सवालों के घेरे में रहती है। मगर ये सुनकर कोई भी हैरत में पड़ जाएगा कि मेडिकल कॉलेज में जिस आटे से रोटी बनाकर मरीजों को खिलाई जा रही है, उस आटे को इकट्ठा करने के लिए सफाई वाली झाड़ू का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका खुलासा दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के स्टिंग ऑपरेशन में हुआ।

फैल सकता है इंफेक्शन
स्टिंग ऑपरेशन में सामने आया कि एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों के साथ-साथ उनके तीमारदारों को हेल्दी डाइट के नाम पर अनहाईजेनिक खाना खिलाया जा रहा है। हजारों मरीजों की डाइट तैयार करने वाली रसोई में रोटियों के आटे को बार-बार फैल जाने पर उसे झाडू की मदद से एकत्र किया जाता है। इतना ही नहीं, रोटियों के आटे का ढेर में रोटी बनाने वाले कर्मचारी पैर डालकर बैठे हुए हैं।

ऑटोमैटिक मशीन बनी शोपीस
मेडिकल कॉलेज के किचन के यह हालात तब है जब यहां सीसीटीवी कैमरों से लेकर अत्याधुनिक रोटी मेकर मशीन उपलब्ध है। लेकिन पिछले एक साल से इस मशीन का उपयोग नहीं हो रहा है। रसोई के कर्मचारियों की मानें तो पावर सप्लाई में परेशानी के चलते यह मशीन आने के कुछ समय बाद से ही बंद है जबकि किचन प्रभारी की मानें तो मशीन मरीजों की अधिक संख्या के हिसाब से चलाई जाती है।

हर बीमारी की एक डाइट
गौरतलब है कि सरकारी अस्पतालों में वायरल, फीवर, टाइफाइड हो या ज्वाइनडिस जैसी अलग-अलग बीमारी में हो डाइट भी अलग-अलग होती है। लेकिन मेडिकल कॉलेज में सभी बीमारियों के मरीजों को एक ही डाइट दी जा रही है। डाइट भी ऐसी, जिसे खाने से मरीज और भी बीमार हो जाए। मसलन, सूखी रोटी, दाल और कोई भी एक सब्जी।

झाड़ू का प्रयोग मानक के हिसाब से नहीं किया जाना चाहिए। हमने इसके लिए मना भी किया हुआ है। इसकी जांच की जाएगी। बाकि रोटी मेकर मशीन का उपयोग मरीजों की अधिक संख्या होने पर किया जाता है।
डॉ। वीडी पांडेय, किचन प्रभारी, मेडिकल कॉलेज

यहां तो जो दाल दी जाती है, उसमें दाल कम और पानी ज्यादा नजर आता है। साफ सफाई न होना आम बात है लेकिन झाडू के साथ रोटी बनाना गलत है।
शहजाद, तीमारदार

यहां जो रोटी परोसी जाती है, वो ठीक से चबाई नहीं जा सकती है और जो सब्जी दी जाती है, उसका टेस्ट भी बहुत अजीब सा होता है। यह इसलिए है क्योंकि गलत तरीके से रोटी-सब्जी बनाई जा रही हैं।
आशाराम, तीमारदार

इस तरह के भोजन से तो मरीज और भी बीमार हो सकता है। झाडू़ भले ही साफ हो लेकिन आप किसी भी प्रकार से झाडू़ का प्रयोग रोटी बनाने के लिए प्रयोग नहीं कर सकते हैं। संजय, तीमारदार

चार रोटियां मरीज और चार तीमारदार को देते हैं। गांव-देहात के मरीज आते हैं इसलिए कोई शिकायत भी नहीं करता। झाड़ू की मदद से रोटी बनाई जा रही है, ये गलत है।
राजा, तीमारदार

Posted By: Inextlive