बाजार में स्वदेशी चीजों को खरीदने के अभियान का मूर्तियों पर भी असर

मिट्टी के लक्ष्मी-गणेश की मांग ने चीन की मूर्तियों को पीछे छोड़ा

मिट्टी के दीयों की बिक्री की भी इस बार ज्यादा मांग

Meerut । इस दीपावली स्वदेशी सामान की धूम है, मिट्टी की बनी लक्ष्मी-गणेश की मूíतयां इस बार बाजार में आकर्षण का केंद्र बन गई हैं, ये मूíतयां चीन से आने वाली लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों से अधिक पसंद की जा रही हैं। मिट्टी के बने लक्ष्मी-गणेश की पूजा को ज्योतिषी भी शुभ बता रहे हैं।

सज गया बाजार

दीपावली का बाजार सज गया है। बाजार में खरीदारों की भीड़ उमड़ पड़ी है। दीपावली के लिए लइया, खील-बतासा, गट्टा और खिलौने के बाजार ने जोर पकड़ लिया है। मिट्टी की लक्ष्मी-गणेश की मूíतयां चीनी मूíतयों से सस्ती भी हैं। 20 रुपए से लेकर सौ रुपए तक और उससे ऊपर की स्वदेशी मूíतयां बिक रही हैं। वहीं गणेश जी के लिए जनेउ तथा पीले वस्त्र की खरीदारी लोग कर रहे हैं। महालक्ष्मी के लिए अधिकांश लोग लाल वस्त्रों की खरीदारी कर रहे थे कपड़े के हिसाब से इन वस्त्रों के लिए अलग-अलग रेट निर्धारित हैं। 50 रुपये से 200 रुपये तक भगवान गणेश और लक्ष्मी के वस्त्रों की खरीदारी कर रहे हैं।

सबसे अधिक बिके दीये

अजंता मूर्ति के ओनर सोनू ने बताया कि इस बार लोगों को मिजाज बदला है, चायनीज सामानों को छोड़कर अधिकांश लोग मिट्टी के दीए ही खरीद रहे हैं। इस बार मिट्टी के दीपक व मूर्ति की मांग अधिक है, बाजार में 100 रुपये में 100 दीये मिल रहे हैं, वहीं मिट्टी के बने कलश और बड़े दीए के अलग-अलग रेट हैं। प्रजापति मूर्ति वाले आरती प्रजापति ने बताया कि इस समय बाजार में कलश की भी डिमांड है, जिनके रेट 30 रुपये से लेकर 60 रुपये तक हैं।

पर्यावरण के लिए अच्छे

पर्यावरणविद् गिरिश शुक्ला के अनुसार स्वदेशी लक्ष्मी-गणेश की मूíतयां इस बार पर्यावरण के लिए भी काफी लाभकारी हैं, मिट्टी और मिट्टी के रंग में ही अधिकतर मूíतयां रंगी हुई हैं, इसके अलावा ग्रीन कलर का भी प्रयोग किया गया है जो नुकसानदेय नहीं होगा, बल्कि ये फायदेमंद ही होती है।

Posted By: Inextlive