मौसम में बदलाव के साथ लगातार बढ़ती ठंड के साथ साथ शहर का बढ़ता प्रदूषण लोगों की सेहत को बिगाड़ रहा है।

मेरठ (ब्यूरो)। मौसम में हुए बदलाव के कारण 60-70 प्रतिशत लोगों को सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार और सांस संबंधित शिकायतें होनी शुरू हो गई है, लेकिन बढ़ते प्रदूषण के कारण सर्दी जुकाम के साथ दमा, अस्थमा, सांस लेने में परेशानी से लेकर सिर दर्द, सीने में जकडऩ तक की परेशानियों का लोगों को सामना करना पड़ रहा है। डॉक्टर्स की मानें तो इन सबका प्रमुख कारण प्रदूषण स्तर है।

हो रही विटामिन की कमी
दिन के समय गर्मी और रात को हल्की सर्दी होनें से वायरल होना आम हो गया है। ऐसे मौसम में चिकित्सक भी लोगों को सावधान रहने की सलाह दे रहे हैं। प्रतिदिन वायरल के चलते 60 से 70 प्रतिशत मरीज एलएलआरएम हॉस्पिटल, पीएल शर्मा जिला अस्पताल समेतं निजी अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। इनमें से अधिकतर बुखार, जुकाम और खांसी, एलर्जी से पीडि़त हैं। विशेषज्ञों की माने तो सर्दियां के साथ सांस में घुल रहा प्रदूषण बीमारियों को बढ़ा रहा है। प्रदूषण के कारण इंफेक्शन से जुड़ी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। पिछले कुछ दिनों से मरीजों में भी बढ़ोतरी हुई है। ऐसे मौसम में शरीर में विटामिन सी और बी-कॉप्लेक्स का स्तर भी काफी कम हो जाता है, जिस कारण सर्दी, खांसी, बुखार, सिर दर्द सहित अन्य समस्या तेजी से बढ़ती हैं।

ब्रॉन्काइटिस का खतरा
वायु प्रदूषण से ब्रोंकाइटिस होने की आशंका बढ़ जाती है। फेफड़ों में जाने वाले वायुमार्ग में होने वाली सूजन है। जब वायुमार्ग (ट्रेकिया और ब्रॉन्काई) में जलन होती है, तो वे सूज जाते हैं और बलगम से भर जाते हैं, जिससे आपको खांसी होती है। वायु प्रदूषण भी वायुमार्ग में सूजन का कारण बन सकता है, जिससे लोग ब्रॉन्काइटिस के शिकार हो सकते हैं। ऐसे में सावधान न बरती जाए तो हालात गंभीर बन जाते हैं। अस्थमा को लेकर सतर्क रहें। बता दें कि जो लोग पहले से अस्थमा से पीडि़त हैं, प्रदूषण उनकी स्थिति को बिगाड़ सकता है या लोग अस्थमा के शिकार भी हो सकते हैं। जो लोग ओजोन और कण प्रदूषण में सांस ले रहे हैं उनमें अस्थमा के दौरे बढ़ सकते हैं। अस्थमा के रोगियों को सावधान रहने की जरूरत है।

दिल की बीमारी का भी खतरा
लंबे समय तक वायु प्रदूषण के सम्पर्क में रहने से निमोनिया और यहां तक कि दिल की बीमारियां भी हो सकती हैं। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की शिथिलता को भी जन्म दे सकता है। इन बीमारियों की गंभीरता हर व्यक्ति में अलग तरह से हो सकती है, जो उनकी मौजूदा लाइफस्टाइल, स्वास्थ्य स्थिति, उम्र और लिंग पर निर्भर करता है।

Posted By: Inextlive