दिवाली पर पटाखों का शोर किसके दिल को नहीं भाता। मगर इस बार शहर का एक्यूआई लेवल पटाखों वाली दिवाली के रास्ते में रोड़ा बना हुआ है। वहीं जहां एक तरफ व्यापारी लगातार ग्रीन पटाखा बाजार लगाए जाने की अनुमति जिला प्रशासन से मांग रहे हैैं। मगर प्रशासनिक अधिकारी शासन की तरफ से मिले शासनादेश के आधार पर ही अनुमति दिए जाने की बात कर रहे हैैं।

मेरठ (ब्यूरो)। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे बेचने व चलाने पर प्रतिबंध लगा रखा है। हालांकि शहर का एक्यूआई लेवल मानविक होने की स्थिति में प्रशासन को अनुमति देने का अधिकार भी दिया है। हालांकि शासन की तरफ से भी प्रशासनिक अधिकारियों के पास शहर का एक्यूआई लेवल 200 के नीचे आने के बाद ही ग्रीन पटाखा बाजार लगाए जाने की अनुमति देने का शासनादेश आया हुआ है। प्रशासनिक अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) को स्टैैंडर्ड लेवल पर लाने के लिए लगातार कोर्डिनेट कर रहे हैैं। बावजूद इसके पिछले एक सप्ताह के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो मेरठ का एक्यूआई लेवल 250 से 350 के बीच आ रहा है। जो न केवल लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि इससे लोगों की सांसें भी फूल रही हैैं। ऐसे में पटाखा बाजार लगाए जाने की अनुमति देना प्रशासन के लिए चुनौती भरा साबित हो सकता है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
शहर का एक्यूआई लेवल नियंत्रित रखने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन किया गया है, लेकिन मेरठ के एक्यूआई लेवल को घटाने में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उदासीन बना हुआ है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से न तो पानी का छिड़काव किया जा रहा है और न ही जहरीला धुआं छोडऩे वाले उद्योगों पर रोक लगाई जा रही है। जिसकी वजह से शहर का एक्यूआई लेवल स्टैैंडर्ड नहीं हो पा रहा है।

क्या होते हैैं ग्रीन क्रैकर्स
औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की संस्था नीरी ने ऐसे पटाखों की खोज की है जिनके जलने पर कम प्रदूषण होता है। दरअसल, ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवाज में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं। हालांकि ये जलने पर 50 फीसदी तक कम प्रदूषण करते हैं।

कई तरह के ग्रीन केकर्स
1. ग्रीन पटाखे मुख्य तौर पर तीन तरह के होते हैं। एक जलने के साथ पानी पैदा करते हैं जिससे सल्फर और नाइट्रोजन जैसी हानिकारक गैसें इन्हीं में घुल जाती हैं। इन्हें सेफ वाटर रिलीजर भी कहा जाता है।

2. दूसरी तरह के पटाखे स्टार क्रैकर्स के नाम से जाने जाते हैं और ये सामान्य से कम सल्फर और नाइट्रोजन पैदा करते हैं। इनमें एल्युमिनियम का इस्तेमाल कम से कम किया जाता है।

3. तीसरी तरह के पटाखे अरोमा क्रैकर्स के नाम से जाने जाते हैैं जो कम प्रदूषण के साथ-साथ खुशबू भी पैदा करते हैं।

एक्यूआई लेवल सही मिलने पर ही ग्रीन पटाखे बेचने और चलाने की मंजूरी देने का शासनादेश मिला है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एक्यूआई लेवल की मॉनिटरिंग की जा रही है। यदि एक्यूआई लेवल स्टैैंडर्ड मिलता है तो ग्रीन पटाखे बेचने और चलाने की मंजूदरी दे दी जाएगी।
दिवाकर सिंह, एडीएम सिटी, मेरठ

पटाखा बाजार की मांग को लेकर धरना
मेरठ। ग्रीन पटाखा बाजार सजाए जाने के लिए व्यापारी लगातार अनुमति देने की मांग कर रहे हैैं। व्यापारियों की मांग को देखते हुए डीएम ने दो दिन का समय मांगा था लेकिन कुछ हल नहीं निकल सका। जबकि व्यापारी सिर्फ एक दिन के लिए ही अनुमति दिए जाने की मांग को लेकर अड़े हुए हैैं।

ये है मामला
शहर में शास्त्रीनगर, जिमखाना, कंकरखेड़ा, रुड़की रोड, गंगा नगर आदि में पटाखा बाजार लगाया जाता है। ग्रीन पटाखे बेचने की अनुमति के लिए व्यापारियों ने दो दिन पहले डीएम को ज्ञापन दिया था। इस दौरान डीएम ने दो दिन में समाधान का आश्वासन दिया। जिसके बाद सोमवार को व्यापारी जिलाधिकारी से मिलने के लिए पहुंचे थे। डीएम के कार्यालय में मौजूद न होने के बाद व्यापारी अनुमति की मांग को लेकर कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए। हालांकि सूचना पर सिटी मजिस्ट्रेट अमित कुमार भट्टï ने व्यापारियों की समस्या सुनी।

एक दिन की अनुमति
व्यापारियों ने एक दिन के लिए ही पटाखा बाजार लगाए जाने की अनुमति दिए जाने की विनती की। इस दौरान व्यापारियों ने कहा कि आगरा और मुजफ्फरनगर में व्यापारियों को बाजार सजाए जाने की अनुमति दी जा चुकी है। जहां पर मेरठ से भी अधिक प्रदूषण है। ऐसे में मेरठ प्रशासन व्यापारियों को पटाखा बाजार लगाने के लिए अनुमति न देकर उदासीन बना हुआ है। इस पर सिटी मजिस्ट्रेट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों से कोर्डिनेट कर जल्द समाधान का आश्वासन दिया। जिसके बाद व्यापारी वापस लौट गए। इस मौके पर कुलदीप सिंघल, सुनील ठाकुर, सुनील मित्तल, शरद गुप्ता आदि व्यापारी मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive