वेंटिलेटर पर 'हेल्थ' सिस्टम
सिर्फ 9 सरकारी वेंटिलेटर के भरोसे कोरोना से लड़ने की तैयारी
कोरोना वायरस से बचाव के लिए परतापुर में बनाया क्वारंटाइन वार्ड प्राइवेट अस्पतालों ने भेजी लगभग 150 वेंटिलेटर्स की सूची Meerut। कोरोना का कहर दुनिया भर में तबाही मचा रहा है। भारत भी इसके तीसरे चरण में पहुंच चुका है। तीसरा चरण यानी कम्यूनिटी इंफेक्शन का फेज शुरू हो चुका है। इसे रोकने के लिए युद्धस्तर पर काम हो रहा है। लेकिन लेकिन स्वास्थ्य विभाग के पास इससे लड़ने के लिए पर्याप्त साधन ही नहीं है। फिलहाल पूरा शहर लगभग 150 बेड और 9 सरकारी वेंटीलेटर्स के भरोसे है। 150 वेंटिलेटर्स की मिली सूचीकोरोना वायरस कभी भी किसी भी शहर को अपनी चपेट में ले सकता है। 22 लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहर में स्वास्थ्य विभाग के पास नाम मात्र की सुविधाएं ही मौजूद हैं। जिसके मद्देनजर प्राइवेट अस्पतालों से मदद मांगी जा रही है। वेंटिलेटर्स और आइसोलेशन वार्ड के लिए विभाग ने प्राइवेट अस्पतालों से डेटा कलेक्ट करना शुरू कर दिया है। हालांकि प्राइवेट अस्पतालों से भी अभी तक लगभग 150 वेंटिलेटर्स की सूची उपलब्ध हो पाई है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इमरजेंसी से निपटने के लिए विभाग पूरी तैयारी कर रहा है।
परतापुर में आइसोलेशनविदेश से आने वाले संदिग्ध कोरोना मरीजों के लिए परतापुर घाट रोड स्थित एक हॉस्टल को क्वारंटाइन वार्ड में बदल दिया गया है। 59 कमरों में फिलहाल एक-एक बेड की व्यवस्था की गयी है। 28 दिन तक लोगों को यही पर आइसोलेट किया जाएगा
फैक्ट फ़ाइल वेंटिलेटर्स 9-मेडिकल कॉलेज 150 करीब प्राइवेट अस्पताल आइसोलेशन वार्ड 40-40 बेड के दो वार्ड मेडिकल कॉलेज की सुपर स्पेशिलिटी विंग में 20 बेड का प्राइवेट वार्ड मेडिकल कॉलेज में 10 बेड का वार्ड जिला अस्पताल में 10 बेड मिलिट्री अस्पताल ने तैयार किया हमारे पास फिलहाल पर्याप्त सुविधाएं हैं। प्राइवेट अस्पतालों से बात की जा रही है। 150 वेंटिलेटर्स की सूची आ चुकी है और भी सूचना आ रही है। आइसोलेशन के लिए प्राइवेट में अलर्ट जारी है डॉ। राजकुमार, सीएमओ, मेरठ हर मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत नहीं डॉ। विरोत्तम तोमर के मुताबिक कोरोना से पीडि़त हर मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत नहीं होती है। सिर्फ गंभीर मरीजों को ही वेंटिलेटर पर रखा जाता है।पहली स्टेज- पहली स्टेज पर अगर मरीज है तो इसको माइल्ड कोरोना है। इस स्टेज में मरीज में खांसी, ज़ुखाम, बुखार, सांस फूलना जैसे लक्षण होंगे। 7-8 दिन में ये ठीक हो जाता है। मरीज को आइसोलेशन में रखा जाता है।
दूसरी स्टेज- दूसरी स्टेज में मरीज को एक्यूट कोरोना के लक्षण मिलते हैं। कई दिन तक सूखी खांसी बनी रहती है। सांस फूलना, बुखार, बदन दर्द, निमोनिया जैसे लक्षण बढ़ जाते है। शुरुआती लक्षणों पर ध्यान न दिया जाए तो मरीज इस स्टेज में पहुंच जाता है। तीसरी स्टेज - इस स्टेज में मरीज को सीवियर निमोनिया हो जाता है। सांस लेने में गंभीर परेशानी होने लगती है। फेफड़े सफेद पड़ जाते हैं। फेफड़ों में सूजन के कारण शरीर को ज़रूरत के मुताबिक़ ऑक्सीजन नहीं मिल पाता। ऐसे मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है।