- शिक्षा बचाओ आंदोलन समिति ने एचआरडी मिनिस्ट्री को सौंपी है एक स्पेशल रिपोर्ट

- एजुकेशन सिस्टम में बदलाव को लेकर बनाई है खास रिपोर्ट

Meerut : स्कूलों में वैल्यू एजुकेशन को ज्यादा अहमियत दी जाए और सेक्स एजुकेशन पर रोक लगाई जाए। इस बात की परिचर्चा जोरों पर चल रही है। विवादों में रहे शिक्षाविद दीनानाथ बत्रा का संगठन शिक्षा बचाओ आंदोलन समिति एजुकेशन सिस्टम में अहम बदलावों के लिए रिपोर्ट तैयार कर रहा है। इसे एचआरडी मिनिस्ट्री को सौंपा जाएगा। बत्रा आरएसएस के करीबी हैं और माना जाता है कि बत्रा के जरिए आरएसएस शिक्षा में अपना एजेंडा लागू करवाने की कोशिश करती है। फिलहाल इस संबंध में तय नहीं हो पाया है कि स्कूलों में सेक्स एजुकेशन हटाई जाएगी या नहीं लेकिन इस मुद्दे पर बहस जरूर छिड़ गई है।

रिव्यू होना चाहिए

समिति के सदस्यों का मानना है कि वेल्यू एजुकेशन को प्राइमरी से लेकर हायर एजुकेशन तक हर स्तर पर लागू किया जाए। इसे महज थ्योरी में नहीं बल्कि एक्टिविटी साथ जोड़ जाए। विदेशों की नकल कर यहां बिना सोचे समझे सेक्स एजुकेशन थोपा गया है। पहले यह रिव्यू होना चाहिए कि जिन देशों में सेक्स एजुकेशन दी जा रही हैं। वहां इसका अच्छा असर पड़ रहा है या बुरा। समिति के को-कनविनर राहुल कोठारी का कहना है कि सातवीं क्लास से ऊपर के बच्चों को फिजिक्स स्ट्रक्चर के बारे में बताया जा सकता है, लेकिन जिन बच्चों के मन में सेक्स से जुड़ी बातें नहीं है, उन्हें भी बताकर उत्सुकता बढ़ाना ठीक नहीं है। इस टॉपिक के कारण ही स्टूडेंट्स काफी बुरी संगत में पहुंच रहे हैं। इसलिए इस टॉपिक को स्कूलों से हटाना की मांग समिति कर रही है। समिति का कहना है कि बच्चों में वैल्यू एजुकेशन की कमी होने के कारण ही लगातार दुघर्टनाओं की बढ़ोतरी हो रही है। इसलिए वैल्यू एजुकेशन को बढ़ावा देना बहुत जरुरी है।

जून तक सौंपी जाएगी रिपोर्ट

समिति का मानना है कि सिलेबस में मॉडर्न के साथ वैदिक गणित को मैथ्स में शामिल किया जा सकता है। कोठारी ने बताया कि देश भर में क्फ् जगहों पर क्फ् सब्जेक्टस में सेमिनार किए जाएंगे। अब तक एजुकेशन पर जो कमिशन बने हैं उनकी रिपोर्ट का रिव्यू किया जा रहा है। जून तक एजुकेशन सिस्टम में बदलाव की पूरी रिपोर्ट तैयार कर एचआरडी मिनिस्ट्री को सौंप दी जाएगी।

रुकेगा साइबर क्राइम

समिति का मानना है कि अगर स्कूलों में सेक्स एजुकेशन न पढ़ाया जाए, तो उससे बच्चों में जानने की उत्सुकता भी नहीं आएगी। अक्सर कम उम्र के बच्चे इस एजुकेशन को गलत सोच की तरफ ले जाते हैं। इसी के चलते साइबर क्राइम के केस भी ज्यादा बढ़ते हैं। अभी हाल फिलहाल में समिति की एक रिसर्च में भी यह सामने आया है कि साइबर क्राइम करने वाले म्9 प्रतिशत क्ख् से क्7 की उम्र के ही स्टूडेंट्स होते हैं। इसी रिसर्च के आधार पर सेक्स एजुकेशन को हटाने की बाद की जा रही है।

आरएसएस के करीबी हैं बत्रा

समिति के कनविनर दीनानाथ बत्रा आरएसएस के करीबी हैं। कहा जाता है कि बत्रा के जरिए आरएसएस शिक्षा में अपना एजेंडा लागू करवाने की कोशिश करती है। उनकी राय एचआरडी मिनिस्ट्री में भी अहमियत दी जाती रहीं है। इसके अलावा उनकी लिखी बुक्स गुजरात के स्कूलों में भी पढ़ाई जाती है।

हटाना नहीं चाहिए सब्जेक्ट

वैल्यू एजुकेशन को बढ़ाया जाए यह तो बिल्कुल ठीक बात है, लेकिन अगर सेक्स एजुकेशन की बात आती है तो हमें कोशिश करनी चाहिए कि सेक्स एजुकेशन को भी वैल्यू एजुकेशन से जोड़कर दिया जाए तभी उसकी वैल्यू है।

- डॉ। पूनम देवदत्त, सीबीएसई काउंसलर

यह सेंसेटिव इशू है। स्कूलों में सेक्स एजुकेशन देने के लिए प्रशिक्षित और सक्षम टीचर्स ही होने चाहिए। कोई भी एजुकेशन गलत नहीं सिखाती है, बस यह देखना जरूरी है कि एजुकेशन देने का तरीका क्या है।

- मधु सिरोही, प्रिंसीपल, एमपीजीएस

बायोलॉजी जैसे सब्जेक्ट में कुछ टॉपिक सेक्स एजुकेशन संबंधित होते हैं, लेकिन एजुकेशन को एजुकेशन के तरीके से वैल्यू एजुकेशन के साथ जोड़कर दिया जाए तो उसमें कुछ गलत नही है।

- कपिल सूद, प्रिंसीपल, जीटीबी

स्कूलों में वैल्यू एजुकेशन को बढ़ावा देना चाहिए यह काफी अच्छी बात है। बच्चों को संस्कारवान बनाने में स्कूलों और पेरेंट्स दोनों की ही अहम भूमिका होती है, लेकिन इस मामले में सेक्स एजुकेशन पर रोक लगाने से बेहतर है उसे वैल्यू एजुकेशन से जोड़ा जाए।

- एचएम राउत, प्रिंसीपल, दीवान पब्लिक स्कूल

Posted By: Inextlive