- कूड़ा करकट और सिल्ट से ठसाठस भरे शहर के बरसाती नाले

- सीवरेज लाइन ब्लॉक होने से नालों में बह रही समूचे शहर की गंदगी

-पॉलीथीन पॉल्यूशन बढ़ा रहा शहर में जल भराव की समस्या

Meerut: शहर के लिए जल भराव की समस्या कोई नई बात नहीं है। हर साल मानसून में आधे से अधिक शहर बारिश के पानी में डूब जाता है। वो बात अलग है कि हर साल मानसून से पहले नगर निगम समूची व्यवस्था रखने के बड़े-बड़े दावों करता है, लेकिन बरसात आते ही उसके सारे वादे और दावे बारिश के पानी में धुल जाते हैं।

अटे पड़े बरसाती नाले

शहर में जल भराव का सबसे बड़ा कारण यह है कि बरसाती नाले कूड़ा करकट और सिल्ट से ठसाठस भरे हैं। शहर में इस समय 250 से ऊपर नाले हैं। इनमें से मुख्य नालों को तो निगम की ओर से साफ करा दिया जाता है, लेकिन शहर के भीतरी इलाकों से गुजर रहे नालों की सफाई व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। क्षेत्र के लोगों का तो यहां तक कहना है कि पिछले दस-दस सालों से वहां के नालों की सफाई नहीं की गई, परिणाम यह हुआ है कि नालों से सिल्ट उफन कर गली-मोहल्लों में घुस रही है।

सीवेज लाइन ब्लॉक

शहर की अधिकतर सीवेज लाइन तीस साल पूर्व बिछाई गई थी, जो वर्तमान स्थिति में खस्ता हाल और जर्जर हो चुकी है। हालांकि शहर के कई क्षेत्रों में तो सीवेज लाइन डाली ही नहीं गई हैं। नतीजा यह है कि घरों से निकलने वाला सीवेज सीधा आकर नालों में पड़ता है और नालों में सिल्ट जमा होने लगती है, जो पानी के बहाव को रोक देती है। सरकारी इंतजामों के हालात ये हैं कि शहर में आज भी चार हजार घरों में शौचालय नहीं बनाए गए हैं, जिसके चलते प्रभावित लोग इन्हीं नालों को शौचालयों के रूम में इस्तेमाल करते हैं।

पॉलीथीन बड़ी समस्या

शहर जल निकासी में सबसे बड़ी बाधा तो पॉलीथीन पॉल्यूशन है। शहर में प्लास्टिक और पॉलीथीन बैक का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। इस्तेमाल के बाद ये पॉलीथीन नालों में बहा दी जाती है। पानी में बहती ये पॉलीथीन सीवेज लाइन में जाकर फंस जाती हैं, जिससे पानी की निकासी बंद हो जाती है। उधर, दूसरी ओर निगम की कमजोर सफाई व्यवस्था के चलते कई सालों तक सीवेज लाइन साफ नहीं की जाती और बारिश होते ही जल भराव का संकट आ जाता है।

नाले बने डंपिंग ग्राउंड

शहर के जिन इलाकों में नगर निगम की और से डस्टबिन नहीं रखे गए हैं, वहां क्षेत्रीय नालें डंपिंग ग्राउंड बने हुए हैं। यहां के लोग अपने घर का कूड़ा करकट इकठ्ठा कर इन्हीं नालों में फेंक दे देते हैं और देखते ही देखते नाला डंपिंग ग्राउंड में तब्दील हो जाता है। ऐसे में इन नालों में मानसून आते ही न केवल जल भराव की समस्या खड़ी हो जाती है, बल्कि नालों में जमा कूड़ा करकट और पॉलीथीन पानी के साथ बहकर बाहर सड़कों पर आ जाती है।

यहां-यहां रही जल भराव का संकट

लिसाड़ी रोड

लिसाड़ी रोड स्थित नूर नगर इलाका पिछले कई सालों से जल भराव की समस्या से ग्रसित है। यहां पूरे साल बरसात जैसे हालात बने रहते हैं। जल भराव की वजह से यहां मुख्य मार्ग की सड़क बिल्कुल बैठ चुकी है। यहां के लोगों का कहना है कि यहां की सबसे बड़ी समस्या तालाब से बहने वाला पानी है। नगर निगम की ओर से यहां तालाब की तट बंदी को लेकर कोई इंतजाम नहीं किया गया है, जिससे बरसात आते ही तालाब का पानी बहकर घरों में घुस जाता है और पूरा इलाका पानी में डूब जाता है।

प्रहलाद नगर

लिसाड़ी रोड का दूसरा इलाका प्रहलाद नगर में भी जल भराव की समस्या से ग्रसित है। यहां जल भराव का एक कारण घरों में खोली गई मिनी डेयरियां हैं। यहां के लोगों की मानें तो डेयरियों का गोबर और कूड़ा करकट नालियों में बहा दिया जाता है, जिससे सीवेज लाइन चोक हो जाती है। सिल्ट से अटी इन नालियों में पानी की निकासी बंद हो जाती है। बरसात आते ही क्षेत्र जल मग्न हो जाता है।

पांडव नगर

पांडव नगर स्थित गन्ना भवन के पास जल भराव की भारी समस्या है। नीचा पड़ चुका यह इलाका जल भराव की समस्या से तंग हैं। यहां के लोगों निगम के अफसरों से कई बार शिकायत की, लेकिन कोई हल न निकल सका।

मुल्तान नगर

बागपत रोड स्थित मुलतान नगर का यह इलाका पिछले कई सालों से वाटर लॉगिंग की समस्या से जूझ रहा है। यहां पानी की कोई निकासी न होने से गली-मोहल्लों में हर समय पानी भरा रहता है। सड़के जमीन में धंस चुकी हैं। नालियां उफन कर बाहर तक आ चुकी है। लाख प्रयास के बाद भी जब निगम ने यहां की सुध नहीं ली तो कुछ लोगों ने चंदा इकठ्ठा कर सड़कों को ऊंचा व ठीक कराया, लेकिन समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो सका।

घंटाघर

घंटा घर टाउन हॉल इलाका वाटर लॉगिंग के लिए मशहूर है। चौंकाने वाली बात तो यह है इसी क्षेत्र में शहर के खेवनहार नगर निगम का दफ्तर भी है। बारिश होते ही सबसे यहां सबसे पहले नगर निगम का कार्यालय ही जल भराव की भेंट चढ़ जाता है। निगम कार्यालय में दो फुट तक पानी जमा हो जाता है। उधर, जुडे़ हुए क्षेत्र बरसात के मौसम को अभिशाप मानता है।

Posted By: Inextlive