इंडस्ट्रियल एरिया में बिजली कटौती का रिकार्ड टूटा
- उद्योगपुरम, मोहकमपुर में सुबह 11 बजे से रात तक कट
- पीवीवीएनएल ने कहा, लखनऊ से होता है कट
- अगर ऐसे ही रहा तो बंद हो जाएगी इंडस्ट्रीज
- इंडिस्ट्रयल एरिया से मिलता है सबसे ज्यादा रेवन्यू
- तयशुदा कटौती से ज्यादा होती है पावर कट
- गर्मी में पावर कट, लोगों की तबियत बिगड़ रही
उद्योगों की पहले से बुरा हाल है। अब बिजली की कटौती से सैकड़ों उद्योगों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैैं। बुधवार को मेरठ के परतापुर, उद्योगपुरम, मोहकमपुर आदि इलाके में सुबह 11 बजे से बिजली कटी तो देर रात तक नहीं आई। इस कटौती की पूर्व कोई सूचना भी नहीं दी गई थी। जब उद्यमियों ने इस बाबत पॉवर के अफसरों से बातचीत की तो जवाब मिला कि लखनऊ से कट हो रहा है। अमूमन ऐसा हाल रोज का ही हो गया है। दिन में अघोषित कटौती तो होती ही है। रात में दस बजे से तीन बजे तक रोज कट लगता है।
कैसे चलेगी इंडस्ट्री
किसी भी इंडस्ट्री के लिए पावर सप्लाई बेसिक शर्त होती है। सरकार का नियम भी है कि इंडस्ट्रीयल एरिया को मैक्सिमम पावर सप्लाई मिले। लेकिन मेरठ में बिजली एक बार जाती है तो आने का नाम ही नहीं लेती. पावर कट का यही आलम रहा तो यहां की इंडस्ट्रीज तो बैठ ही जाएंगी और मेरठ की पहचान ही लुप्त हो जाएगी।
एक और झटका
उद्योग जगत तो पहले से ही परेशान है। ऐसे में अघोषित पावर कट को इंडस्ट्रीज के दुखती नसों को और दबाना हुआ। बिजनेसमैन को पावर कट के दौरान जेनरेटर का सहारा लेना पड़ता है। पेट्रोल-डीजल के दाम तो वैसे भी सातवें आसमान पर हैं। ऐसे में जेनरेटर का ज्यादा इस्तेमाल से उनके प्रॉडक्ट की लागत बढ़ जाती है।
पब्लिक पसीने-पसीने
शहर में चार घंटे से अधिक का कट नहीं होना चाहिए लेकिन मेरठ की जनता को 14 से 16 घंटे ही बिजली मिल रही है। कई इलाकों में तो कट के कारण इनवर्टर तक फेल हो रहे हैं।
बिजली विभाग का एक ही जवाब
सिटी में बिजली सुबह ग्यारह बजे गई। बिजली आने के इंतजार में बैठे लोगों का सब्र जब जवाब दे गया तो उन्होंने डिपार्टमेंट को फोन किया, वहां से जवाब मिला कि लखनऊ से ही कट का आर्डर है, दो बजे बिजली आ जाएगी। दो से ढाई बज गए लेकिन बिजली नहीं आई। फिर फोन मिलाया गया इस बार जवाब मिला शाम में पांच बजे बिजली आ जाएगी। लेकिन न तो बिजली आनी थी और न आई इस बार फोन करने पर आठ बजे का आश्वासन मिला। दरअसल लखनऊ से बिजली विभाग को एक कोड दिया जाता है जिसमें यह तय होता है कि कब से कब तक बिजली काटी जाएगी। उस दौरान दूसरे इलाके को पावर सप्लाई की जाती है ताकि ग्र्रिड पर लोड ना पड़े। लेकिन मेरठ में कुछ ज्यादा ही कट किया जाता है. वीआईपी एरिया में ज्यादा से ज्यादा से ज्यादा बिजली देने के लिए अन्य जगहों की बिजली काटी जाती है।