एनसीआरटीसी और एसईसीआई ने आरआरटीएस कॉरिडोर के लिए एमओयू किया साइन

10 मेगावाट सौर ऊर्जा कम-से-कम तैयार करने का लक्ष्य है एनसीआरटीसी का

40 प्रतिशत सौर ऊर्जा से पूरी की जाएगी कुल ऊर्जा की आवश्यकता

रैपिड रेल के हर स्टेशन पर नहीं खुलेंगे सभी दरवाजे

सौर ऊर्जा से कम होगी ट्रेन के पा‌र्ट्स की मेंटेनेंस

Meerut। दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर सौर ऊर्जा से रोशन होंगे। इससे एनर्जी की सेविंग होगी और कार्बन उत्सर्जन में कमी से पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। इस संबंध में मंगलवार को एनसीआरटीसी ने आरआरटीएस के लिए एसईसीआई (भारतीय सौर ऊर्जा निगम) के साथ एमओयू पर साइन किए।

24 घंटे रोशन

एनसीआरटीसी की ओर से जारी रिलीज में कहा गया है कि कॉरपोरेशन की नीति में शामिल है कि वह अपनी ऊर्जा संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा आदि का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करेगा। इससे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर को 24 घंटे रोशन किया जाएगा। इससे स्वच्छ ऊर्जा उपयोग के अलावा बिजली खर्च और सीओ-2 उत्सर्जन में काफी कमी आएगी और इस प्रोजेक्ट को लाभ होगा। इस एमओयू पर एसईसीआई के सीएमडी जतिंद्र नाथ स्वैन, एनसीआरटीसी के एमडी विनय कुमार सिंह और एनसीआरटीसी के डायरेक्टर (विद्युत और रोलिंग स्टॉक) महेंद्र कुमार ने साइन किए।

ये किए जाएंगे काम

आरआरटीएस कॉरिडोर के स्टेशनों और डिपो पर सौर पैनल लगाए जाएंगे।

आरआरटीएस रोलिंग स्टॉक को रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम से लैस किया जाएगा, जो ट्रेन की गतिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवíतत करता है।

रीजेनरेटिव ब्रेकिंग के इस्तेमाल से पहियों, ब्रेक पैड्स आदि की टूट-फूट कम होगी और मेंटेनेंस पर खर्च कम होगा। साथ ही, कॉर्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा।

आरआरटीएस ट्रेनों में जरूरत के आधार पर चुनिंदा दरवाजों को खोलने के लिए पुश बटन होंगे। हर स्टेशन पर सभी दरवाजे खोलने की आवश्यकता को समाप्त कर देगा, जिससे ऊर्जा की बचत होगी

सभी आरआरटीएस स्टेशन और उनके परिसर, डिपो, कार्यालय स्थान और ट्रेनें ऊर्जा की बचत करने वाली एलईडी लाइटों से सुसज्जित होंगी।

प्रत्येक आरआरटीएस स्टेशनों पर प्लेटफार्म स्क्रीन डोर लगाए जाएंगे जो भूमिगत स्टेशनों में महत्वपूर्ण ऊर्जा खपत को बचाने में मदद करेंगे।

Posted By: Inextlive