गांधी बाग में स्वच्छता सिफर
-गांधी बाग की साफ-सफाई करवाने में कैंट बोर्ड विफल
- स्वच्छता अभियान चलाने के बावजूद नहीं हो रही सफाई पारुल। मेरठ। गांधी बाग में तीन दिन पहले मॉर्निग वॉकर्स ने कैंट बोर्ड के साथ मिलकर स्वच्छता अभियान चलाया, जिसमें लगभग पांच बोरे कचरा इकट्ठा किया गया। कचरे में प्लास्टिक वेस्ट, बीयर कैन, गिलास आदि थे। हैरानी की बात है कि स्वच्छता अभियान के बाद गांधी बाग का स्टाफ फिर सो गया है। सफाई और स्वच्छता के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। यानि एक दिवसीय जागरूकता के बाद तस्वीर जस की तस है। नहीं हैं मेनटेनेंसबाग में जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा हुआ है। प्लास्टिक बोतल, रैपर्स, प्लास्टिक गिलास, फूड वेस्ट के साथ शराब के डिब्बे भी जहां-तहां पड़े हुए हैं। घास बढ़ी हुई है। पेड़-पौधे पानी के इंतजार में सूख गए हैं। कई जगह काई जमी हुई है अगर कोई विजिटर हादसे का शिकार हो सकता है। वहीं मेनटेनेंस के नाम पर भी पार्क की स्थिति निल बट्टे शून्य है।
वीकेंड में बढ़ जाता है रशगांधी बाग में हर दिन घूमने आने वाले विजिटर्स से बोर्ड को रोजाना लगभग 4 से 5 हजार की कमाई हो जा रही है। जबकि वीकेंड में 6 से 7 हजार तक की कमाई का अनुमान है। अगर मंथली इंकम का औसत लगाया जाए बोर्ड को हर महीने लगभग डेढ़ लाख की आमदनी हो रही है।
काम नहीं कर रहे कर्मचारी गांधी बाग के रखरखाव पर बड़ी रकम खर्च करने के बाद भी इसकी दशा में सुधर नहीं है। ब्यूटीफिकेशन की पहली सीढ़ी साफ-सफाई और स्वच्छता पर ही कैंट बोर्ड जीरो है। कैंट बोर्ड अधिकारियों का कहना है कि वह अपने स्तर से पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद बाग में स्वच्छता कही दिखाई नहीं दे रही। ये है व्यवस्था पार्क का एरिया : 22 एकड़ डेली विजिटर : 350 सफाई कर्मचारी : 4 फर्स्ट शिफ्ट : सुबह 6 से 11 बजे तक सेकंड शिफ्ट : दोपहर 2 से 5 बजे तक ------ हमारा एरिया बंटा हुआ है। चार सफाई कर्मचारी हैं। हम सुबह आकर पार्क की सड़क साफ कर देते हैं। छोटे-मोटे लॉन भी एक-दो दिन छोड़कर साफ करते हैं। -राजू, सफाई कर्मचारी सड़क साफ करते हैं। लॉन भी साफ कर देते हैं। पूरे बाग का एरिया बहुत ज्यादा है। बाकि लोग आते हैं, खाते-पीते हैं गंदगी करते हैं हम इसमें क्या कर सकते हैं। -सुनील, सफाई कर्मचारी -------------------हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं। कर्मचारियों से पूरा काम लिया जा रहा है। पार्क को सुंदर बनाने के लिए भी हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।
-राजकुमार शर्मा, मेनटेनेंस इंचार्ज, गांधी बाग ---------- यहां सफाई की बहुत ज्यादा जरूरत है, जो डस्टबिन रखे हुए वह ड्रम ज्यादा लगते हैं इसलिए दिखाई नहीं देते। -समीर खान, विजिटर देखिए दूसरे शहरों की बात करें तो वहां के पार्क बहुत की सुंदर होते है। यहां ऐसा कुछ नहीं हैं। मेनटेनेंस बिल्कुल नहीं है। -सुरेश कुमार, विजिटर पार्क में सुंदरता नहीं हैं। बाकी सब तो ठीक है लेकिन यहां गार्डन की व्यवस्था बिल्कुल अच्छी नहीं है। यहां आने वाले लोगों को चाहिए कि वह गंदगी न फैलाएं। -जीमा खान, विजिटर