-मेरठ कॉलेज के रक्षा अध्ययन विभाग ने 'भारत-चीन संबंध : संघर्ष या सहयोग' विषय पर आयोजित परिचर्चा में विशेषज्ञों ने रखी राय

Meerut : मेरठ कॉलेज के रक्षा अध्ययन विभाग की ओर से भारत चीन संबंध पर राष्ट्रीय परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस दौरान मुख्य वक्ता प्रो। गोपालजी मालवीय ने कहा कि भारत व चीन के संबंधों में हर उतार-चढ़ाव के बीच चीन पर कभी भी विश्वास नहीं किया जा सकता। चीन हमेशा साउथ चाइना सी पर अपना अधिकार जमाता है, जबकि इंडियन ओसन पर भारत के नाम से परहेज करता है। उन्होंने संबंधों में सुधार के लिए सख्त विदेशी नीति का पालन करने के साथ ही देश में चीन पर अध्ययन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। भारत को कूटनीति का इस्तेमाल करते हुए चीन के पड़ोसी दुश्मनों से दोस्ती बढ़ानी होगी।

भारतीय सेना कमजोर नहीं है

मिलिटरी इंटेलिजेंस के पूर्व महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल आरएन सिंह ने कहा कि चीनी सेना से भारतीय फौज किसी भी मामले में कमजोर नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1980 के बाद से हम ऐसी स्थिति में हैं कि चीन हमारा कुछ नहीं कर सकता। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 1980 के बाद से अब तक चीनी सीमा पर कोई गोलीबारी नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि चीन की गिरती अर्थव्यवस्था और भारत की अर्थव्यवस्था के कारण चीन परेशान है। भारत चीन के हर आक्रामक सवाल का जवाब देने को तैयार है। वहीं इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ नई दिल्ली के डिप्टी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एके आहुजा ने कहा कि चीन की बढ़ती शक्ति से भयभीत होने की बजाय हमें उसे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के तौर पर लेना चाहिए।

इनका रहा महत्वपूर्ण सहयोग

सेमिनार में दूसरे सत्र की अध्यक्षता लेफ्टिनेंट जनरल फिलिप कंपोज, तीसरे सत्र की अध्यक्षता लेफ्टिनेंट जनरल राकेश चंद्र ने की। इस अवसर पर डॉ। संजय कुमार गुप्ता द्वारा संपादित पुस्तक 'भारत-पाक संबंध : संघर्ष या सहयोग' का विमोचन भी किया गया। संगोष्ठी को सफल बनाने में डॉ। नीरज कुमार, डॉ। इसराइल मिश्रा, डॉ। मनोज त्रिपाठी, डॉ। मोहम्मद समीर हुसैन, डॉ। संदीप व डॉ। मोनू कुशवाहा का विशेष योगदान रहा।

Posted By: Inextlive