सालभर पहले करीब पांच करोड़ रुपये की लागत से बने ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट अभी सुविधाओं से लैस नहीं हो पाया है. इस इंस्टीट्यूट का निर्माण जिस उद्देश्य से किया गया था वह साल भर बाद भी अधूरा है.

मेरठ (ब्यूरो). सालभर पहले करीब पांच करोड़ रुपये की लागत से बने ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट अभी सुविधाओं से लैस नहीं हो पाया है। इस इंस्टीट्यूट का निर्माण जिस उद्देश्य से किया गया था, वह साल भर बाद भी अधूरा है। न तो यहां ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वालों को यातायात के नियमों की ट्रेनिंग दी जा रही है और न ही उनका ड्राइविंग टेस्ट हो पा रहा है। उल्टा इस संस्थान का लाखों का अतिरिक्त खर्च विभाग को हर माह वहन करना पड रहा है।

स्किल का टेस्ट
दरअसल, लर्निंग लाइसेंस के बाद परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदकों के वाहन चलाने की स्किल का टेस्ट किया जाता है। इससे पहले यह सुविधा शास्त्रीनगर स्थित पुराने कार्यालय में थी। लेकिन वहां जगह की कमी के कारण ड्राइविंग टेस्ट नहीं हो पा रहे थे। इससे अनट्रेंड चालकों को लाइसेंस मिलने की समस्या बढ़ती जा रही थी।

सुविधाओं का इंतजार
इस समस्या के निवारण के लिए पांच करोड़ के बजट से साकेत आईटीआई में अत्याधुनिक ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीटयूट तैयार किया गया था। ताकि वहां आवेदकों से वाहन चलवा कर देखा जा सकें। इस ट्रेक पर वाहन चलाने में पास होने वालों को ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाना था। लेकिन करीब सवा साल से इस ट्रैक और इंस्टीट्यूट का कोई उपयोग नहीं हुआ। लोगों का कहना है कि आवेदकों से पहले की तरह ही सड़क पर वाहन चलवाकर देखा जाता है।

सेंसर पकड़ लेते हैं
आधुनिक टेस्टिंग ट्रेक पर कैमरे और सेंसर लगाए जाने थे। इस ट्रेक पर ड्राइविंग के दौरान हल्की सी भी गलती करने पर सेंसर पकड़ लेते हैं और सिस्टम आवेदक को फेल कर देता है। साथ ही डिजिटल क्लास रूम में आवेदकों को ड्राइविंग की बारीकियां भी सिखाने की व्यवस्था करनी थी। मगर संस्थान आज तक डिजिटली अपडेट नहीं हो सका है। परिवहन अधिकारियों की मानें तो ट्रेक पर कैमरे और सेंसर लगाने का ठेका शासन स्तर से होना था लेकिन अभी तक ठेका नहीं होने के चलते काम शुरू नहीं हो सका है।

बायोमेट्रिक सिस्टम नहीं
वहीं परमानेंट लाइसेंस के लिए अभ्यर्थियों को फोटो खिंचवाने और बायोमेट्रिक कराने की सुविधा भी इसी कार्यालय में शुरू होनी थी। लेकिन स्टाफ की कमी के कारण यहां यह सुविधा शुरू होने के बाद भी पूरी तरह चालू नहीं हो पा रही है। स्थिति यह है कि एक मात्र आरआई के भरोसे मुख्य कार्यालय और यह ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की जिम्मेदारी है।

कोटस-

साकेत कार्यालय में ड्राइविंग टेस्ट जिस तरह से हो रहा है वैसी खानापूर्ति पुराने कार्यालय में भी हो रही थी।
कपिल त्यागी

कार्यालय पूरी तरह तैयार है नहीं, आवेदकों को दो-दो जगह जाना पड़ रहा है। ट्रेक पर टेस्ट फिर भी नहीं हो पा रहा है।
पवन गोयल

विभाग को पूरी तरह अपडेट करने के बाद यह कार्यालय शुरू करना चाहिए था। इसलिए अधिकतर काम मुख्य कार्यालय में ही हो रहे हैं।
विभोर जैन

एक साल से यहां काम चल रहा है लेकिन कभी बजट कभी स्टाफ की कमी के कारण काम पूरा नहीं हो रहा है।
शुभम

वर्जन
ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट का काम लगभग पूरा हो चुका है। कैमरे और सेंसर लगने बाकी हंै। हालांकि ड्राइविंग टेस्ट रोजाना लिया जा रहा है। जल्द ही सेंसर का काम शुरू होगा।
राहुल शर्मा, आरआई

Posted By: Inextlive