शिप्रा रस्तोगी और ममता गर्ग को नहीं कोई सानी

बेटियों की शादी कराने के साथ ही उन्हें बना रहीं आत्मनिर्भर

Meerut जहां एक ओर देशवासी 73वां स्वतंत्रा दिवस मना रहे हैं, वहीं कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं, जो समाज के बेसहारों का सहारा बन उन्हें गरीबी और मजबूरी की बेडि़यों से आजादी दिलाने में जुटे हैं। ये कोई और नहीं बल्कि मेरठ की शिप्रा रस्तोगी और ममता गर्ग हैं, जिनका कोई सानी नहीं। दोनों ही गरीब मां-बाप की बेटियों की शादी कराने के साथ ही शिक्षा से वंचित लड़कियों को बना रहीं है आत्मनिर्भर। इतना ही नहीं, गोसेवा को धर्म बनाने के साथ ही असहाय बुजुर्गों की मदद कर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का काम भी दोनों बाखूबी कर रही है।

200 लड़कियों को दिलाई जॉब

मेरठ में रजबन रहने वाली शिप्रा रस्तोगी ऐसे लड़कियों का सहारा बनी हैं, जो अपने पैरों पर खड़े होने में समर्थ नहीं हैं या जिनके सिर पर किसी का साया नहीं है। शिप्रा ऐसी लड़कियों को विभिन्न तरह के कोर्स जैसे ब्यूटी पार्लर, सिलाई, कढ़ाई, कंप्यूटर आदि के डिप्लोमा कोर्स करवा रही है। अभी तक शिप्रा ऐसी 200 लड़कियों को वो अपने खर्च पर शिक्षित कर उनकी जॉब तक लगवा चुकी हैं। वहीं वो ओम सेवा समिति की अध्यक्ष भी हैं, जिसके तहत वो साल में दो ब्लड कैंप लगवाकर रेडक्रॉस सोसाइटी के लिए ब्लड डोनेट भी करवाती हैं। इसके अलावा भी शिप्रा ब्लड कैंप का आयोजन करवाती रहती हैं। शिप्रा ने ऐसी गायों को चारा खिलाने की जिम्मेदारी भी उठा रखी है, जिन्हें लोग सड़क छोड़ जाते हैं। उन्होंनें बताया कि वो ऐसी गायों के लिए एक गौशाला खोलने की तैयारी भी कर रही हैं। इसके साथ वो गरीब लड़कियों की शादियां भी करवाती हैं। संस्था के तहत व पर्सनल लेवल पर शिप्रा अब तक करीब सवा सौ लड़कियों की शादी करवा चुकी हैं। पिछले 10 सालों से सोशल वर्क से जुड़ी शिप्रा न केवल गरीब लड़कियों की शादी करवाती हैं बल्कि शादी के वक्त जरूरत का सामान भी खरीदकर लड़कियों को देती हैं।

उठा रही है पढ़ाने का खर्च

सूरजकुंड रहने वाली ममता गर्ग बीते 10 सालों से सैंकड़ों लड़कियों के लिए मसीहा बनी हुई हैं। ममता ऐसी लड़कियों की स्कूल फीस जमा करवाती हैं, जिनका परिवार किसी न किसी कारण से फीस जमा करने में असमर्थ होता है और इस कारण उनकी पढ़ाई बीच में रुक जाती है। इतना ही नहीं, ममता कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में रहने वाली ऐसी लड़कियों, जो आगे पढ़ना चाहती है उनको आठवीं के बाद नौवीं में दूसरे स्कूलों में एडमिशन भी दिलवाती है। वहीं ममता ऐसी लड़कियां की मदद को हर वक्त तत्पर रहती हैं, जो अनाथ होने की वजह से गलत संगति में पड़ जाती है। ऐसी सैंकड़ों लड़कियों का ममता गुरुकुल में एडमिशन करवा कर चुकी हैं। यहां लड़कियों की पढ़ाई के साथ-साथ उनकी काउंसलिंग करवाने का काम भी ममता अपने स्तर से कर रही हैं। उन्होनें बताया कि अभी पिछले साल ही औघड़नाथ मंदिर के पास उनको एक छह साल की छोटी बच्ची मिली थी। बकौल ममता, बच्ची अपनी मौसी के पास रहती थी। वहां बच्ची के साथ मारपीट भी होती थी। ऐसे में मैंने 25 हजार फीस जमा कर बच्ची का एडमिशन गुरुकुल में कराया। इतना ही नहीं, पुराने माहौल को भुलाने के लिए बच्ची की काउंसिलिंग भी करवाई। इसके साथ ही ममता असहाय व बुजुर्गो के लिए भी काम कर रही हैं। ममता उन मां-बाप की भी मदद करती हैं, जो कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण अपनी लड़कियों की शादी नहीं कर पाते हैं। ममता अभिलाषा नामक एजेंसी के जरिए ऐसे लोगों को भी राह दिखा रही हैं, जो जीवन से मायूस होकर हर उम्मीद छोड़ चुके हैं।

Posted By: Inextlive