'ब्लैक लिस्ट से हटाओ, वरना करेंगे आंदोलन'
सीसीएसयू में छात्रों ने ब्लैक लिस्ट से हटाने की मांग की तेज
छात्र बोले, छात्र हितों की आवाज उठाने पर ही किया गया ब्लैक लिस्टेड विलंब शुल्क और अस्थाई जेल हटाने की मांग पर अड़े छात्र Meerut। सीसीएसयू में अस्थाई जेल को हटाने की और विलंब शुल्क हटाने की मांग को लेकर स्टूडेंट को कुछ दिनों पहले ब्लैकलिस्टेड कर दिया गया था। जिसके चलते अब स्टूडेंट विरोध में है कि उनको ब्लैक लिस्ट से हटाया जाए, इसके साथ ही वो ये भी मांग कर रहे है कि बीते दिनों टीचर द्वारा स्टूडेंट पर अवैध संबंध का दवाब बनाया गया था, सके खिलाफ कार्रवाई भी की जाए। किए गए थे ब्लैकलिस्टेडदरअसल कोरोनाकाल में सीसीएसयू के छोटूराम कॉलेज में अस्थाई जेल बनाई गई थी। उसको लेकर जब स्टूडेंट का आवगमन हुआ तो अस्थाई जेल को स्टूडेंट ने हटाने की मांग की। ऐसे में उन स्टूडेंट पर यूनिवर्सिटी द्वारा ब्लैकलिस्टेड करने की कार्रवाई कर दी गई थी। अब विलंब शुल्क को लेकर भी बीते दिनों वहीं स्टूडेंट वीसी व रजिस्ट्रार के पास मुलाकात के लिए पहुंचे तो उनके खिलाफ एसएसपी को पत्र लिखने की बात की जा रही है।
टीचर पर मेहरबानी क्योंस्टूडेंट्स का कहना है कि अभी हाल फिलहाल में ही एक छात्रा को एडमिशन दिलाने के नाम पर उसे अवैध संबंध बनाने के लिए दवाब बनाने पर एक टीचर पर कार्रवाई नहीं की गई।
सीसीएसयू की ओर से अंतिम तिथि न बढ़ाकर प्रतिदिन के हिसाब से विलंब शुल्क तय किया है, जिसे दे पाना आíथक रूप से कमजोर छात्रों के लिए बहुत मुश्किल है। यूनिवर्सिटी में छात्र हितों के मुद्दों को शांतिपूर्वक रूप से उठाने पर छात्रों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया जाता है, जो गलत है। अंकित अधाना, पूर्व महामंत्री छात्र संघ यूनिवर्सिटी में छात्र हितों की आवाज उठाने वाले छात्रों का प्रवेश प्रतिबंध करना सही नहीं है। कैंपस में छात्र हितों के लिए उठने वाली आवाज दबने नहीं दी जाएगी। प्रतिबंधित छात्रों को प्रवेश दिया जाए। सागर बैसला, छात्र संघ अध्यक्ष कैंपस से अस्थाई जेल हटाने ओर परीक्षा तिथि बढ़ाने की मांग को लेकर विरोध किया था। कुलसचिव ने हमारा कैंपस में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है। छात्रों की आवाज को विश्वविद्यालय दबाना चाहता है। शान मोहम्मद, छात्र नेता, सीसीएसयू कैम्पस यूनिवर्सिटी को अंतिम तिथि बढ़ानी थी आíथक रूप से कमजोर छात्रों के लिए विलंब शुल्क दे पाना बहुत मुश्किल है सीसीएसय यूनिवर्सिटी को इस निर्णय को वापस लेना चाहिए। पवित गुर्जर, छात्र नेता