जेब में नहीं हैं नोट, कौन जाए रेस्टोरेंट
मुश्किल
ग्राहकों को उधार की सुविधा दे रेस्टोरेंट संचालक जेब में नहीं हैं नोट, कौन जाए रेस्टोरेंट - नोटबंदी से फीका पड़ा रेस्टोरेंट का स्वाद -नोटबंदी का हो रहा असर, आधे रह गए कस्टमर - उधार पर चल रही है दुकानदारी, फिर भी नहीं हैं ग्राहक Meerut । नोटबंदी का असर रेस्टोरेंट पर भी दिखने लगा है। विभिन्न फैमिली रेस्टोरेंट पर अब लोगों ने जाना कम कर दिया है, क्योंकि उनके पास खुल्ले पैसे ही नहीं है। ऐसे में रेस्टोरेंट संचालकों का भी बिजनेस आधा हो गया है। यही नहीं, रेस्टोरेंट संचालक अपने रोजमर्रा के कस्टमर को उधार तक की सुविधा दे रहे हैं। आधे हो गए है कस्टमररेस्टोरेंटस का इन दिनों बिजनेस आधा हो गया है। कस्टमर की संख्या भी पहले से कम हो गई है। जिसका कारण है पुराने नोट का बंद होना। ऐसे में अब बिजनेस के चलते रेस्टोरेंट वालों को थोड़ी परेशानी तो हो रही है, लेकिन वो पीएम के इस फैसले से खुश भी बहुत है। सदर स्थित चिल्ली रेस्टोरेंट के संचालक अभय शर्मा ने बताया कि उनका फैमिली रेस्टोरेंट है। नोटबंदी के बाद रेस्टोरेंट पर कस्टमर की संख्या आधी हो गई है।
उधार पर चल रहा है मामलारेस्टोरेंट संचालक अपने रोजमर्रा के कस्टमर को उधार तक की सुविधा दे रहे है। अगर कस्टमर के पास पांच सौ का नोट है और उन्हें कम का समान लेना है तो उनको उधार भी किया जा रहा है। रजबन स्थित डोसा सेंटर संचालक सुनील सिंह ने बताया कि उनके यहां तो रोजमर्रा के आने वाले कस्टमर जिनके पास खुल्ले पैसे नहीं है उनको उधार दिया जा रहा है।
खुले नहीं तो एडवांस कर दो जमा कुछ रेस्टोरेंट ऐसे भी है जिनके यहां पर कस्टमर के पास खुले पैसे नहीं है और वो रोजमर्रा के आनेवाले हैं। ऐसे कस्टमर के पुराने नोट चलाए जा रहे हैं पर एडवांस जमा करने की शर्त पर ही लिए जा रहे हैं। क्या कहते हैं रेस्टोरेंट कस्टमर पहले से आधे हो गए हैं, सारा काम चौपट हो गया है। कस्टमर पुराने नोट लेकर आते है तो उनसे एडवांस जमा कर लेते है, वरना पुराने नोट नहीं चला रहे हैं। जेम्स, मद्रासी डोसा रोजमर्रा के कस्टमर को उधार भी दे रहे हैं, कस्टमर कम तो हुए है, लेकिन ये कुछ ही दिनों की परेशानी है। हम प्रयास कर रहे हैं कि पीएम के फैसले पर किसी भी तरह से सपोर्ट करें।कीर्ति गुप्ता, डोसा 50
हमें आ रही है दिक्कत थोड़ी सी परेशानी तो आ रही है, अब हमने रेस्टोरेंट जाना कम कर दिया है। क्योंकि वहां पुराने नोट नहीं चल रहे हैं, नए मिलना मुश्किल है। सभी खर्च सोच समझकर करना पड़ रहा है। क्षमता रेस्टोरेंट संचालक तो पुराने नोट लेने से साफ मना कर रहे हैं। ऐसे में बहुत ही सोच समझकर खर्च करने पड़ रहा हैं। रेस्टोरेंट जाना ही कम कर दिया है। दीप्ती रेस्टोरेंट में जाने से पहले ये देखना पड़ता है कि हमारे पास कितने खुले पैसे है। क्योंकि पुराने नोट तो अब चलते नही हैं, जिससे काफी दिक्कत आ रही है। मिताली हम रेस्टोरेंट जाने से पहले तो ये देखते है कि हमारे पास कितने खुले पैसे है। अगर पुराने नोट है तो फिर रेस्टोरेंट जाना कैंसिल हो जाता है, क्योंकि रेस्टोरेंट संचालक तो नोट ले नहीं रहे हैं। पूजा अरोरा