अस्पताल को दवा चाहिए
आई एक्सक्लूसिव
-दवाई को भटक रहे जनरल ओपीडी के मरीज भी -बजट के अभाव का रोना रो रहा अस्पताल प्रशासन मेरठ। एक ओर जहां मेडिकल कॉलेज बजट के अभाव में सुविधाओं का रोना रो रहा है, वहीं जिला अस्पताल में भी बेसिक दवाओं का टोटा पड़ा है। आलम यह है कि जिला अस्पताल में जनरल ओपीडी के मरीजों को भी दवाओं के लिए भटकना पड़ रहा है। नहीं मिल रही दवाईदरअसल, पंडित प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल में पिछले एक माह से दवाओं का अकाल है। जबकि सामान्य और जरूरत की दवाओं का तो हाल बुरा है। हाल यह है कि जनरल ओपीडी वाले नजला और जुकाम के मरीजों को भी दवाई नहीं मिल रही है। ऐसे में डॉक्टर्स द्वारा लिखी गई दवाई के लिए मरीजों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। यहां तक कि मरीजों को दवाई के लिए प्राइवेट मेडिकल स्टोर्स का सहारा लेना पड़ रह है।
बॉक्स सिर्फ सस्ती दवाएं उपलब्ध -पैरासिटामॉल -सिट्राजिन -कैल्शियम -रेनिटिडीन -बी-कॉम्प्लेक्स -ओमेप्रोजॉल -एंटी फंगल ऑॅन्टमेंट -एंटासिट -मेट्रोजिल -सिप्लोफ्रॉक्सिन -फ्लूकोनाजॉल और बिफिलेक बॉक्स 260 प्रकार की दवाई दवा मांग सप्लाई मेटफॉर्मिन 40 10ग्लिक्टिन्स 35 5
ग्लैक्समेट 30 0 ओल्मीसॉटन 30 5 सिफोटेक्सिन 25 0 लीवोफ्लोक्सॉसिन 10 0 एंटीस्पॉमर्ेंटिक 25 5 मैट्रोप्रोरॉल 55 0 ईकोस्प्रिन एंटीरैबीज खत्म रैनटैक खत्म पेंटोप्रोजॉल खत्म इंसुलिन खत्म नोट- आंकड़े केवल शनिवार के लिए गए हैं। ओटी की दवाएं भी शॉर्ट सिफेटेक्सिन वन एमजी, मैट्रोजिल आईबी, और सिप्रॉफ्लैक्सिन फ्लूड इत्यादि। इन सभी दवाईयों का ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल होता है। इन दवाईयों का जिला अस्पताल और मेडिकल में पिछले एक माह से टोटा चल रहा है। जिसके चलते मरीजों प्राइवेट अस्पतालों में जाकर उपचार कराने को मजबूर होना पड़ रहा है।बजट के अभाव में दवाइयां शॉर्ट चल रही हैं। इस संबंध में आज सीएमओ से मिलकर चर्चा की गई है। शासन को पत्र लिखा गया है। चुनाव होने के चलते थोड़ा विलंब हो रहा है।
-डॉ। पीके बंसल, एसआईसी जिला अस्पताल बॉक्स कुल बेड - 300 रोजाना के मरीज - 2000 से 2500 सालाना मरीजों की संख्या - 45 से 50 लाख बजट - 2015-16 - 1.60 करोड़ 2016-17 - 90 लाख