ब्लड डोनेट, गोसेवा और लावारिस शव के अंतिम संस्कार का इंतजाम भी करती है संस्था, अब तक 1250 लोग संस्था से जुड़ चुके हैं

नेत्रदान करवाने समेत संस्था के सदस्य कुष्ठ आश्रम में जाकर रोजमर्रा की दैनिक जरूरतों का सामान भी करते हैं दान

'किसी का दर्द ले सके तो ले उधार, किसी के वास्ते तेरे दिल में हो प्यारजीना इसी का नाम है'

Meerut । राजकपूर साहब की फिल्म जोकर की ये लाइनें आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में भी सार्थक साबित हो रही हैं। जहां हर कोई अपनी पर्सनल लाइफ में व्यस्त है। किसी एक के पास दूसरे की मदद तक के लिए वक्त नहीं है। वहीं शहर की इंसानियत मानव सेवा समिति के सदस्य पर्सनल लाइफ से टाइम निकालकर न केवल समाजसेवा और गोसेवा कर रहे हैं बल्कि लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार का सामाजिक दायित्व भी निभा रहे हैं।

सेवा में जुटी संस्था

दरअसल, इंसानियत मानव सेवा समिति के अध्यक्ष सचिन मित्तल और सचिव आशुतोष वत्स के अलावा करीब 1250 लोग संस्था से जुड़कर समाजसेवा का काम कर रहे हैं। सचिन मित्तल ने बताया कि संस्था के सदस्य समय-समय पर कुष्ठ आश्रम में आटा, चीनी, दाल-चावल आदि सामान भी जरूरतमंदों तक पहुंचाने का काम भी करते हैं। संस्था के सदस्यनेत्रदान कराने से लेकर गोसेवा जैसे उपकार वाले कामों से भी पीछे नहीं हटते हैं।

लगवा रखे हैं पोस्टर-बैनर

सचिन आगे बताते हैं कि शहर में कई जगह संस्था ने अपने पोस्टर और बैनर भी लगवा रखे हैं। इन सभी पर पोस्टर और बैनर पर संपर्क सूत्र के साथ जिसकों भी खून की आवश्यकता हो वो आधी रात भी संपर्क कर सकते हैं का मैसेज लिखा है। अब तक संस्था के लोग सैंकड़ों लोगों को ब्लड डोनेट कर उन्हें नई जिंदगी देने का काम कर चुके हैं। इस बाबात संस्था के सचिव आशुतोष वत्स लगातार फोन पर सक्रिय रहते हैं। रात को तीन बजे भी वह अपने नंबर पर कॉल रिसीव करते हैं। आशुतोष वत्स ने बताया कि उन्होंने लोगों की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित किया हुआ है।

रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार

शहर में कहीं भी संस्था के लोगों को लावारिस शव की जानकारी मिलती है तो वे उसके अंतिम संस्कार का इंतजाम भी करते हैं। सचिन के मुताबिक लावरिस शव को मोर्चरी हाउस में रखा जाता है। जब तीन दिन तक शव की शिनाख्त नहीं हो पाती या कहें कि उसका कोई वारिस नहीं आता तो उस शव को संस्था को सौंप दिया जाता है। जिसके बाद संस्था शव के धर्मानुसार रीति-रिवाजों के साथ शव का अंतिम संस्कार कराती है। इसी के साथ-साथ नेत्रदान का फार्म भी भराते है, जो लोग मृत हो जाते है उनकी नेत्र निकालकर दूसरों के जीवन में रोशनी भरने के लिए दे देते है। कुष्ठ आश्रम में जाकर आटा दाल-चावल चीनी पहुंचाते है। लगातार यह अच्छा कार्य समिति के द्वारा किया जा रहा है, इसकी लोग सराहना भी कर रहे है।

Posted By: Inextlive