शहरभर में नगर निगम की गाडिय़ां डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन में जुटी हैं। कूड़ा इक्ट्ठा कर निस्तारण प्लांट पर भी भेजा जा रहा है। यहां तक सारी चीजें ठीक हैैं। मगर प्रॉब्लम ये है कि लोहियानगर में वेस्ट टू एनर्जी के नाम पर केवल बैलेस्टिक सेपरेटर प्लांट लगाकर दो साल से कूड़े की छंटाई की जा रही है निस्तारण नहीं। जबकि नगर निगम पांच साल में कूड़ा निस्तारण पर करीब छह करोड़ रुपये खर्च कर चुका है।

मेरठ (ब्यूरो)। नेशनल हाईवे-235 के पास एमडीए की आवासीय कॉलोनी लोहियानगर में करीब 20 बीघा जमीन में कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई 80 फीट पहुंच गई है। वहीं इसकी गहराई करीब 60 फीट है। इस प्लांट के कूड़ा निस्तारण में नाम पर निगम ने पिछले 5 वर्ष में 6 करोड़ रुपये खर्च किए मगर 92 लाख टन कूड़े का पहाड़ कम होने के बजाए रोजाना बढ़ रहा है। स्थिति यह है कि इस प्लांट में निस्तारण के नाम पर बस कूड़ा सेपरेट खानापूर्ति की जा रही है। यानि केवल कूड़े को छान कर उसमें से मिटटी, प्लास्टिक, लोहा, पत्थर अलग किए जा रहे हैं। जबकि हर माह 10 लाख रुपए का भुगतान प्लांट संचालक को किया जा रहा है। इस कूड़े के पहाड़ से वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का संचालन करना था, जो अभी अधर में अटका है।

अधूरे मानकों पर संचालन
गौरतलब है कि गत माह तक नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ। गजेंद्र सिंह की निगरानी में प्लांट का संचालन हो रहा था। लेकिन उनको हटाकर अब सहायक नगरायुक्त ब्रजपाल सिंह को प्लांट संचालन और भुगतान की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि 2011 के शासनआदेश के अनुसार वैज्ञानिक विधि द्वारा एक्सपर्ट की निगरानी में ही कूड़ा निस्तारण किया जाना चाहिए। इसके लिए प्लांट पर एक एनवायमेंटल साइंस इंजीनियर या डॉक्टर की नियुक्ति होना जरुरी है। उनकी निगरानी में ही प्लांट का संचालन और भुगतान किया जाता है। बावजूद इसके प्लांट संचालन में मानकों का पालन भी नहीं हो रहा है।

शुरुआत से विवाद में प्लांट
करीब पांच साल पहले लोहियानगर में प्लांट की शुरुआत की गई थी तभी से यह प्लांट शुरुआत से ही विवादों में घिरा हुआ है। पहला विवाद जमीन को लेकर शुरु हुआ शहर के एक व्यापारी ने आरोप लगाया कि उसकी जमीन पर निगम ने प्लांट स्थापित कर दिया है। इसके बाद वेस्ट टू एनर्जी के लिए 15 एकड़ जमीन आर्गनिक साइक्लिंग कंपनी को दी गई थी। इसके कुछ समय बाद ही लखनऊ से आईएल एंडा एफएस को कूड़ा निस्तारण का ठेका दे दिया गया था। लेकिन आईएलएफएस का टेंडर कंपनी ब्लैक लिस्टेड होने के बाद कुछ समय बाद निरस्त हो गया। इसके बाद आर्गनिक साइक्लिंग ने कोर्ट में मामला डाल दिया कि आईएल एंड एफएस का टेंडर निरस्त हो गया है उससे पहले ठेका हमें दिया गया था तो नियमानुसार वापस ठेका हमें ही दिया जाए। आर्गनिक साइक्लिंग कंपनी के मुकदमें के चलते अभी तक वेस्ट टू एनर्जी प्लांट चालू नही हो पा रहा है।

कूड़ा निस्तारण के लिए वैज्ञानिक विधि से प्लांट का संचालन होता है इसलिए एनवायरमेंट साइंस एक्सपर्ट या डॉक्टर का होना जरुरी है। फिलहाल प्लांट में केवल कूड़े का सेग्रीगेशन और प्लास्टिक की बिक्री हो रही है। जल्द वेस्ट टू एनर्जी प्लांट शुरू होने के बाद कूड़े का निस्तारण होगा।
डॉ। गजेंद्र सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

कूडे के ढेर के कारण आसपास के गांवों में दिन भर बदबू और गंदगी फैली रहती है। इतना ही नहीं, भूमिगत जल भी दूषित होने लगा है।
देशपाल सिंह

कूड़े का ढेर इतना अधिक बढ़ चुका है कि अब हापुड़ रोड पर भी दूर-दूर तक कूड़ा फैला रहता है। हवा चलते ही कई-कई किमी दूर तक कूड़े की बदबू फैल जाती है।
राहुल चौधरी

लोहियानगर योजना का विकास कूड़े के पहाड़ के कारण अधर में अटक गया है। उद्योगपति भी यहां से दूरी बनाने लगे हैं। बेसिक सुविधाओं का विकास नही हो पा रहा है।
अरुण कुमार

वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के जरिए कूड़े के पहाड़ को कम करना था लेकिन निगम की ये योजना भी लगता है कि फाइलों में अटककर रह गई।
अंकित चौधरी

Posted By: Inextlive