दर-दर पर जल रहीं चिताएं, दाह संस्कार के लिए करना पड़ रहा इंतजार

रविवार को रात नौ बजे तक 54 शवों का अंतिम संस्कार

Meerut। कोरोना के हालात के बारे में सरकारी आंकड़े भले ही कुछ भी बोल रहे हैं, लेकिन सूरजकुंड श्मशान घाट का मंजर भयावह है। कदम-कदम पर जमीन पर ही चिताएं जल रही हैं। चिता की राख ठंडी भी नहीं होती कि तीन-चार शव अंतिम संस्कार के लिए पहुंच जाते हैं। अंतिम संस्कार स्थल पर पैर रखने की जगह तक नहीं है। श्मशान घाट के अंदर सड़क पर और हैंडपंप के पास तक दाह संस्कार करना पड़ रहा है। रात नौ बजे गेट बंद कर दिए जा रहे हैं। अंतिम संस्कार के इंतजार में शव एंबुलेंस में ही काफी देर तक रखने पड़ रहे हैं।

कम पड़ गई जगह

रविवार को सूरजकुंड श्मशान घाट में सुबह एक साथ कई शव पहुंचने से जगह कम पड़ गई। श्मशान के दूसरे गेट के बाद प्रवेश करते ही सड़क पर ही दाह संस्कार किया गया। दोपहर 12 बजे तक 22 शवों का अंतिम संस्कार हुआ। शाम छह बजे तक यह संख्या 49 तक पहुंच गई। सहायक नगर आयुक्त ब्रजपाल सिंह ने बताया कि शाम छह बजे तक आए 49 शवों में 17 कोरोना संक्रमित रहे। गंगा मोटर कमेटी के अनुसार रात नौ बजे तक यह संख्या 54 पहुंच गई। रात नौ बजे श्मशान के गेट बंद करने पड़े। गंगा मोटर कमेटी बढ़ती समस्या को देखते हुए छह नए प्लेटफार्म और बनाने जा रही है। कमेटी के पदाधिकारियों का कहना है कि एक दिन में अधिकतम 28 शवों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था है।

नगर निगम की अपील

सहायक नगर आयुक्त ब्रजपाल सिंह ने शहर के लोगों से अपील की है कि शहर में खड़ौली, नई बस्ती लल्लापुरा, अब्दुल्लापुर, रिठानी, कंकरखेड़ा में श्मशान घाट हैं। लोग वहां पर उन शवों का दाह संस्कार कर सकते हैं जिनकी मौत कोरोना से नहीं हुई है। इससे सूरजकुंड श्मशान घाट पर कोरोना संक्रमित शवों के दाह संस्कार में परेशानी नहीं होगी। इसके साथ ही कोरोना संक्रमण के खतरे से भी लोग बचेंगे।

Posted By: Inextlive