सहोदय की जनरल बॉडी मीटिंग में स्कूलों ने लिया फैसला

स्कूलों का दावा, दो साल में कई गुना बढ़ा आíथक नुकसान

जरूरतमंद लोगों की पूरी तरह से मदद करेंगे स्कूल

Meerut। आíथक दिक्कत ना होने के बाद भी जान बूझकर पेरेंट्स स्कूल फीस जमा नहीं कर रहे हैं। इसको आधार बनाकर अब स्कूलों में ऐसे बच्चों को चिन्हित किया जाएगा साथ ही उनके नाम काटे जाएंगे। इसका फैसला सहोदय की बैठक में लिया गया।

जनरल बॉडी मीटिंग हुई

शनिवार को हुई सहोदय की जनरल बॉडी मीटिंग में सभी स्कूलों ने विचार विमर्श के बाद यह निर्णय किया। इसके अलावा बैठक में कई और मुद्दों पर भी विचार विमर्श हुआ। संस्था के सेक्रेटरी राहुल केसरवानी ने बताया कि ज़ूम ऐप के जरिए हुई इस बैठक में संस्था के 59 सदस्य शामिल हुए।

जरूरतमंद की मदद

राहुल केसरवानी ने बताया कि कोरोना कफ्र्यू के दौरान मेडिसिन शॉप्स हॉस्पिटल दूध सब्जी समेत अन्य कार्यो से जुड़े व्यवसाय खुल रहे हैं जबकि ऐसे लोग भी अपने बच्चों की फीस देने में आनाकानी कर रहे हैं। स्कूलों की ओर से लिए गए निर्णय के तहत ऐसे सभी बच्चे जिनकी पिछले साल या इस साल की फीस जमा नहीं हुई है। उन्हें आगे कंटिन्यू नहीं किया जाएगा, हालांकि बच्चों के नाम काटने से पहले स्कूल बकायदा पेरेंट्स को नोटिस देंगे। अगर पेरेंट्स की ओर से इसका संज्ञान नहीं लिया जाता है, तब बच्चे का नाम काट दिया जाएगा। हालांकि इस दौरान सभी जरूरतमंद लोगों का सभी स्कूल पूरी तरीके से सपोर्ट करेंगे।

नहीं दे पा रहे सैलरी

राहुल केसरवानी ने बताया कि हाल ही में सरकार द्वारा इस साल फीस न बढ़ाने के फैसले का सभी स्कूल संचालकों ने स्वागत किया है। इसके साथ ही सभी ने सरकार के नियमों का पूरी तरीके से पालन करने पर भी सहमति जताई। वही कोरोना काल में स्कूलों की आíथक स्थिति को लेकर भी चिंतन किया गया। इस दौरान सामने आया कि स्कूलों में अभी भी करीब 35फीसदी फीस पिछले सेशन की बकाया है। जबकि कुछ स्कूलों में इस साल नया सत्र भी शुरू नहीं हो पाया है। स्कूलों को फीस ना मिलने की वजह से स्टाफ को सैलरी देने का आíथक संकट खड़ा हो गया है। स्कूल अब अपने सर्वाइवल तक के लिए परेशान हो गए हैं।

नहीं मिल रही सरकारी मदद

मीटिंग में स्कूलों के ट्रांसपोर्टेशन और उसके खर्चे को लेकर भी चर्चा हुई राहुल केसरवानी ने बताया कि स्कूलों के ट्रांसपोर्ट बंद हैं, लेकिन उनके सभी एक्सपेंसेस चालू है, जिसमें स्टाफ की सैलरी, रोड टैक्स, परमिट, फिटनेस, इंश्योरेंस, मेंटेनेंस, बैंकों की ई एम आई और डेप्रिसिएशन आदि शामिल है उन्होंने बताया कि स्कूल लगातार अपनी जेब से इस पर खर्चा कर रहे हैं। स्कूलों को मुश्किल घड़ी में भी सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली है। जबकि स्कूलों का इंफ्लेटेशन रेट भी दो सालों में 20 प्रतिशत से भी ज्यादा तक पहुंच गया है।

Posted By: Inextlive