दो साल पहले नगर निगम ने मेरठ को 2022 तक कई योजनाओं के जरिए स्मार्ट सिटी बनाने का दावा किया था। मगर योजनाएं बस फाइलों तक ही सीमित रह गई।

मेरठ (ब्यूरो)। गौरतलब है कि सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट में मेरठ समेत गाजियाबाद, फिरोजाबाद, अयोध्या, गोरखपुर, मथुरा-वृंदावन और शाहजहांपुर को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की थी। इन शहरों को पीपीपी मॉडल के आधार पर स्मार्ट बनाने की योजना थी। जिसके लिए करीब 50 करोड़ का बजट सरकार द्वारा स्वीकृत किया जा चुका है। लेकिन स्मार्ट सिटी के तहत चयनित किए गए अधिकतर काम केवल फाइलों में प्लानिंग तक ही सीमित हैं।

फैक्ट्स एक नजर में
2020-21 के बजट में मेरठ समेत 6 शहरों का स्मार्ट सिटी के लिए हुआ था चयन
350 करोड़ रुपए का बजट सरकार ने किया था निर्धारित
50-50 करोड़ रुपये पहली किस्त के रूप में किए गए थे जारी
9 चौराहों स्मार्ट सिटी के तहत आईटीएमएस से हुए लैस
3 सड़कों का चयन स्मार्ट रोड के रूप में होने के बावजूद काम नहीं हो सका शुरू
123 से अधिक स्मार्ट स्कूल का चयन अभी तक नहीं किया
50 में से अभी तक केवल 2 दो बस डिपो पर फ्री वाईफाई सेवा हो पाई लागू
3 स्थानों पर बननी थी मल्टीलेवल पार्किंग

अटके पड़े ये काम
मल्टीलेवल कार पार्किंग
स्मार्ट रोड प्रोजेक्ट
स्मार्ट स्कूल योजना
सार्वजनिक स्थानों पर फ्र वाईफाई सेवा
जलीकोठी से बच्चा पार्क तक एलिवेटेड रोड
काली नदी पर 220 एमएलडी का एसटीपी

स्मार्ट सिटी से ये होता फायदा
जाम मुक्त सड़कें और चौराहें
सड़क पर झूलते तारों से मुक्ति
मुख्य मार्गों के किनारे पौधरोपण
24 घंटे जलापूर्ति
घनी आबादी वाले क्षेत्रों में अतिक्रमण मुक्त सड़कें
आधुनिक बस स्टाप
पुराने शहर का हैरिटेज के रूप में विकास
शत-प्रतिशत वाटर कनेक्शन
100 फीसदी सीवरेज सिस्टम

इन समस्याओं का नहीं हो सका निस्तारण
900 प्रतिदिन मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है, नगर निगम के पास कूड़ा निस्तारण प्लांट नहीं
13 एमडीए के और एक एसटीपी जल निगम का है।
नगर निगम के पास खुद का एसटीपी नहीं है
150 एमएलडी एसटीपी टेंडर की प्रक्रिया में हैं
अधिकांश सीवरेज नालों के जरिए बिना ट्रीट किए नदी में बहाया जा रहा है
40 फीसदी शहर के हिस्से में सीवर लाइन नहीं है।
300 से अधिक छोटे-बड़े खुले नाले जलनिकासी के लिए, जिनमें कूड़ा और गोबर बहाया जा रहा है।

नगर निगम की योजनाएं केवल कागजों तक सीमित रहती हैैं। असलियत यह है कि शहर में आज तक सफाई व्यवस्था नहीं बन पार्ई। जहां-तहां गंदगी पसरी रहती है।
विपिन तेवतिया

महीनों-महीनों नालों की सफाई नहीं की जाती है। जगह-जगह सड़कों पर गंदगी के ढेर लगे रहते हैैं। ये बेसिक चीजें ही पूरी नहीं हो पा रही हैैं तो बाकी सब छोड़ दीजिए।
राहुल बालियान

स्मार्ट सिटी बनाने का निगम का दावा कोरे कागज से ज्यादा कुछ नहीं। दो साल में बस कुछ चौराहों को सीसीटीवी से लैस कर देने से शहर स्मार्ट सिटी कैसे बनेगा।
परभीत कुमार

नगर निगम के कर्मचारी और अधिकारी बस खानापूर्ति और भ्रष्टाचार में लिप्त रहते हैैं। काम के नाम पर एक गाड़ी कभी-कभार कूड़ा लेने आ जाती है।
रोहित पंवार

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए लगातार सर्वे किया जा रहा है। कई योजनाएं शुुरू हो चुकी है। कुछ को लेकर प्लानिंग जारी है।
अमित शर्मा, प्रोजेक्ट मैनेजर

Posted By: Inextlive