Meerut : सर्दी के मौसम का आगाज हो चुका है. गुलाबी ठंड के साथ वातावरण में धुंध साफ दिखाई दे रही है. देर रात से ही हल्की धुंध होने की वजह से वाहनों की रफ्तार धीमी हो गई है. वहीं सुबह के समय भी कोहरे की वजह से लोगों के वाहनों की रफ्तार कम हो रही है. मौसम वैज्ञानिकों की मानें माने ये जो देर रात से शुरू होने वाले कोहरा जो सुबह तक रहता है वास्तव में स्मॉग है.


क्या है स्मॉगठंड की तरफ बढ़ते मौसम का मिजाज काफी दिनों से नमी भरा है। ये दीवाली भी नमी के माहौल में ही मनाई गई। वातावरण में फैली नमी के कारण एक चादर सी बन गई है और दीवाली के पटाखों और वाहनों से निकलने वाला धुंआ इस नमी की वजह से ऊंचा नहीं उठ पाया और उसने इस धुंध की शक्ल ले ली है। इस मौसम धुंआ, पॉल्यूशन और कोहरा मिलकर स्मॉग बना रहे हैं। हम सुबह उठकर जिसे कोहरा समझते हैं वो इन तीनों का मिलाजुला रूप है।इस बार होगा घना कोहरा
मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो इस बार मौसम का चक्र काफी एक्यूरेट रहा है। बेशक मार्च लास्ट तक गर्मी शुरू हो गई थी, मगर इस बार बरसात ने काफी लंबा समय खींचा। मौसम विज्ञान के अनुमान से पहले ही प्री मानसून आ गए थे और वो प्री मानसून भी काफी लंबे चले। इस बात को लेकर भी काफी कंफ्यूजन हुआ था कि ये प्री-मानसून नहीं बल्कि मानसून हैं। वहीं सितम्बर मिड तक बारिश काफी हुई। इसी बारिश की वजह से सर्दी का मौसम जल्दी आने लगा है। कई सालों बाद दीपावली पर इतनी ठंड हुई है कि लोगों ने अपने गर्म कपड़े पहनकर दीपावली के पटाखे जलाए। ये पार्टिकल्स हैं घातक


प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अनुसार धुंए में सस्पेंडेड पार्टिकल मैटर (एसपीएम), रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पार्टिकल मैटर (आरएसपीएम), सल्फर डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड, बेंजीन, कार्बन डाईऑक्साइड व कार्बन मोनो ऑक्साइड भी शामिल होते हैं। सस्पेंडेड पार्टिकल मैटर हवा में मौजूद वो तत्व हैं जो त्वचा से लेकर फेफड़े तक के लिए सबसे घातक हैं। एसपीएम व आरएसपीएम तत्व होने से हवा के निचले स्तर पर मौजूद होते हैं, लेकिन गैस मध्य व ऊपरी परत तक पहुंच जाती है। कोहरा पडऩे से हवा में प्रदूषक तत्व हो जाते हैं कम- एसपीएम की मानक क्षमता - 200  - आरएसपीएम की मानक क्षमता -100- एसओ 2 व एनओ 2 की मानक क्षमता 80 हैं।  बेगमपुल पर हवा में -  796 एसपीएम, 123 आरएसपीएम, 10.7 एसओ 2 व 46.4 एनओ 2 पाए गई हैं। केसरगंज में मानक के विपरीत वायु में 491 एसपीएम, 108 आरएसपीएम, 9.0 एसओ 2 व 35.6 एनओ 2 मौजूद हैं।मरीज जरा संभल जाएंये धुंध भरा मौसम हार्ट पेशेंट, एस्थमा के पेशेंट, ब्लड प्रेशर, डायबटीज आदि के मरीजों के काफी खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए इस मौसम में डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करें और उचित सावधानियां जरूर बरतें।

- सांस की तकलीफ होने पर डॉक्टर से कंसल्ट करें और इलाज कराने से कतराएं नहीं।- सबसे पहले डॉक्टर कुछ इन्हेल्र्स देते हैं उनका इस्तेमाल करें क्योंकि इनसे कई बार एस्थमा के आने वाले अटैक से बचा जा सकता है।- घबराएं नहीं क्योंकि इससे मांसपेशियों पर दबाव बढ़ता है और सांस लेने में ज्यादा तकलीफ होती है।- मौसम के बदलने के साथ अपना पूरा ध्यान रखें।- सांस अंदर की तरफ लें और बाहर को छोड़ते समय बीच में सांस न रोकें।- धूल, धुंए, धुंध, फॉग के मौसम में नाक पर रूमाल बांधे और जहां तक हो सके इनसे बचें।- घरेलू उपचार में टमाटर, गाजर, पत्तेदार सब्जियां एस्थमा के अटैक को कम करती हैं। रोज एक सेब खाने की आदत मरीज को एस्थमा से लडऩे की क्षमता देती है।-हार्ट, एस्थमा, बीपी आदि के मरीज सुबह के समय हवा में न निकलें। धुंध में सांस लेने में तकलीफ होती है जो कई बाद एस्थमा के अटैक का कारण बन जाती है। वहीं सुबह के समय होने वाली ठंड खून को जमा देती है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
'ये प्रिकॉशन लेने का मौसम है। अस्थमा और हार्ट पेशेंट को खासतौर पर ध्यान देना होगा। वहीं बच्चे और बुजुर्गों को भी सुबह की ठंड और धुंध से बचाना बेहद जरूरी है। क्योंकि इस समय रेस्प्रेट्री प्रॉब्लम बहुत ज्यादा होती है.'-डॉ। वीरोत्तम तोमर, ब्रांकोस्कोपिस्ट'पहली बार जब कोहरा पड़ता है तो गैस व प्रदूषक तत्व हवा के  निचले स्तर, यानी आम आदमी की पहुंच तक कोहरे के साथ आ जाते हैं। ऐसे में प्रदूषक तत्व लोगों के आंख में संपर्क में आने पर जलन पैदा करते हैं.  कोहरा जब ज्यादा हो जाता है तो हवा के ऊपरी स्तर पर मौजूद प्रदूषक तत्वों की उपस्थिति कम हो जाती है और स्थिति सामान्य हो जाती है.'- डॉ। अशोक अहलूवालिया, मौसम वैज्ञानिक

Posted By: Inextlive