9 दिनों में महामाई अलग अलग रूपों में देती है दर्शन

इस बार घोडे़े पर सवार होकर आएंगी मां

58 साल बाद बना संयोग, अश्व पर सवार होकर आएंगी मां

1962 में बना था संयोग, जब घोड़े पर आई थी महामाई

17 अक्टूबर से शुरु हो रहे नवरात्र

कलश स्थापना का मुहूर्त

शुभ समय - सुबह 6.27 से 10.13 तक

अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 11.44 से 12.29 मिनट तक

Meerut। इस बार नवरात्र 17 अक्टूबर से शुरु हो रहे हैं। हालांकि, हर साल ये पितृपक्ष के समाप्त होने के अगले दिन से ही शुरु हो जाते थे, लेकिन इस बार मलमास ने पितृपक्ष और नवरात्रि के बीच करीब एक महीने का अंतर कर दिया है। ज्योतिषों के अनुसार नौ दिनों में मां अलग अलग रूपों में दर्शन देती हैं। इस बार मां मंगलवार को घोड़े पर सवार होकर आएंगी, जो अच्छे संकेत नहीं है, ऐसा पूरे 58 साल बाद हुआ है, 1962 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, ऐसे में शनि व गुरु दोनो नवरात्र पर अपनी राशि में विराजे, जो अच्छे कार्यो के लिए दृढ़ता लाने में बलवान होगा, मेहनती व अच्छे कार्यो में लगे लोगों के लिए शुभ, धन परिवार व ऐश्वर्य के लिए विशेष रहेगा।

घटनाओं का देता है वाहन संकेत

श्री विल्वेश्वरनाथ संस्कृत महाविद्यालय के प्रिंसिपल डॉ.दिनेशदत्त शर्मा के अनुसार मां के वाहन भविष्य की घटनाओं के संकेत देते हैं। अगर नवरात्रि की शुरुआत सोमवार या रविवार को हो रही है तो इसका मतलब है कि वो हाथी पर आएंगी। वहीं अगर शनिवार या फिर मंगलवार को कलश स्थापना हो रही है तो मां घोड़े पर सवार होकर आती है। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र का आरंभ होता है तो माता डोली पर आती हैं। वहीं बुधवार के दिन मां नाव को अपनी सवारी बनाती हैं.शास्त्रों के अनुसार रविवार के दिन विजयादशमी होने पर माता हाथी पर सवार होकर वापस कैलाश की ओर प्रस्थान करती हैं। माता की विदाई हाथी पर होने से आने वाले साल में खूब वर्षा होगी, जिससे अन्न का उत्पादन खूब होगा।

इस बार घोड़े पर आएंगे मां

ज्योतिष भारत ज्ञानभूषण के अनुसार इस बार दुर्गा पूजा और नवरात्रि की शुरूआत शनिवार से हो रही है ऐसे में मां घोड़े को अपना वाहन बनाकर धरती पर आएंगी। इसके संकेत अच्छे नहीं हैं। माना जाता है कि घोड़े पर आने से पड़ोसी देशों से युद्ध, सत्ता में उथल-पुथल और साथ ही रोग और शोक फैलता है। मां इस पर घोड़े पर आ रही है। इसके संकेत अच्छे नहीं है, ऐसे में कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए नवरात्रि के दौरान पूरे मन से देवी की अराधना करें। शारदीय नवरात्र का शुभारंभ चित्रा व स्वाति नक्षत्र तथा विषकुम्भ योग में इस प्रकार हो रहा है सत्ता पक्ष के विरुद्ध षड़यंत्र करके उथल- पुथल मचाएगा, देश के अंदर व सीमा पर देव दानव संस्कृति संग्राम के योग के साथ ही अच्छी वर्षा के अगले वर्ष कृषि उत्पादन लाभकारी भी हो जाएगा, पहले नवरात्र में लाल रंग के साथ ही पीले रंग का प्रयोग देवी मां की प्रसन्नता का कारक हो सकता है।

Posted By: Inextlive