खुले में शौच मुक्त होने पर गत वर्ष ही ओडीएफ प्लस-प्लस का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद भी मेरठ नगर निगम की हकीकत अलग ही है। निगम को ओडीएफ प्लस प्लस प्रमाण पत्र तो मिल गया लेकिन इस व्यवस्था को बनाए रखने में निगम विफल साबित हो रहा है। शुक्रवार को विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर निगम ने शहर के कुछ शौचालयों के बाहर रंगोली बनाकर और साफ सफाई कर शौचालय दिवस की बधाई तो दे दी लेकिन जिन शौचालयों की हालत साल भर बदत्तर थी उनका हाल शौचालय दिवस पर भी नहीं सुधरा। और तो और आमजन की सुविधा के लिए शहर के बाजारों में बनाए गए सार्वजनिक शौचालयों पर विश्व शौचालय दिवस पर भी ताले लटके रहे।

मेरठ, (ब्यूरो)। गौरतलब है कि नगर निगम अंतर्गत कुल 45 सार्वजनिक शौचालय हैं इनमें से 25 का संचालन प्राइवेट एजेंसियोंं के हाथ में हैं। ऐसे में अगर हम बाकि बचे 20 सार्वजनिक शौचालयों की बात करें तो या तो इन पर साल भर ताला लटका रहता है या फिर इनमें गंदगी इस कदर होती है कि आम जन जाना पसंद नही करते हैं। ऐसे में यह कहना गलत ना होगा कि खुले में शौच मुक्त का दावा करने वाला निगम आम जन को शौचालय की अधूरी सुविधा उपलब्ध करा रहा है। इन शौचालयों का आम जन पूरी तरह लाभ नही उठा पा रहे हैं। इन सार्वजनिक शौचालय में स्थायी रूप से कर्मचारियों की तैनाती न होने के कारण इनका संचालन ठीक से नहीं हो पा रहा है। वहीं इस साल 10 नए आधुनिक शौचालय बनाए जाने का प्रस्ताव भी है। लेकिन जगह के अभाव में ये शौचालय अभी अधर में अटके हुए हैं।

12 हजार टॉयलेट्स का निर्माण
स्वच्छ भारत मिशन के तहत अनुदान के जरिए करीब 12000 घरों में शौचालयों का निर्माण शहरी क्षेत्र में हो चुका है। इसके बाद भी शहर में जगह जगह खुले में शौच बंद नही हो पा रहा है। इसका एक बहुत बड़ा कारण है कि निगम द्वारा सार्वजनिक शौचालयों की स्थित सही नही है। मलिन बस्तियों में सार्वजनिक शौचालयों की कमी है और जो 20 सार्वजनिक पिंक ब्लू शौचालय सही हालत में उनमें किराया वसूला जाता है। ऐसे में गरीब तबके के लोग इन प्राईवेट सार्वजनिक शौचालयों का लाभ नही उठा पा रहे हैं।

अधर में पिंक टॉयलेट्स
वहीं, लगातार मांग और योजना के बाद भी शहर के बाजारों और सार्वजनिक स्थलों पर निगम की पिंक शौचालय की योजना भी परवान नही चढ़ पा रही है। हालत यह है कि इस साल की शुरुआत में निगम ने पिंक शौचालय की कवायद शुरु की थी लेकिन वह भी कागजों तक सीमित रह गई। अभी शहर में रेलवे स्टेशन, तेजगढ़ी चौराहा और एल ब्लाक तिराहा, मवाना बस अड्डा, बेगमपुल, ईदगाह और कंकरखेड़ा शिवचौक समेत कुल आठ स्थानों पर पिंक शौचालय बने हुए हैं लेकिन ये सभी पेड शौचालय हैं। जबकि शहर के अधिकतर बाजारों में अभी तक पिंक शौचालय के लिए जगह तलाशी जा रही है।

शौचालयों की हालत खस्ता
नगर निगम के रिकार्ड के अनुसार शहर में अभी तक 90 सार्वजनिक यूरिनल बने हुए हैं। इनमें से करीब 51 यूरिनल अभी चालू हालत में नहीं हैं। इसके अलग बाजारों में बनाए गए अधिकतर यूरिनल में गंदगी और अव्यवस्था फैली हुई है। कहीं रैंप नहीं बने हैं तो कहीं पार्टिशन टूटा है। वहीं, इन यूरिनल प्लस शौचालयों में अभी तक पानी और बिजली कनेक्शन भी शुरु नहीं हो सका है।

ये सुविधा हैं जरुरी-
- सार्वजनिक व सामुदायिक शौचालयों में डस्टबिन होने चाहिए

- शौचालय में शीशा, साबुन, तौलिया की व्यवस्था होनी चाहिए

- महिलाओं के लिए सेनेटरी नेपकिन मशीन शौचालय में लगी हो

- दिव्यांग लोगों के लिए शौचालय में जाने के लिए रैम्प की व्यवस्था होनी जरुरी है

- शौचालय के बाहर स्वच्छता संदेश की पेंटिंग हो


अधिकतर शौचालयों में साफ सफाई नियमित रुप से कराई जा रही है। कुछ शौचालयों में खामियां है उनको रिपेयर कराया जा रहा है। शौचालय और यूरिनल की बेहतरी के लिए खुद शहर के लोगों का जागरुक होना भी जरुरी है क्योंकि हर यूरिनल पर चौकीदार या निगम कर्मी रखना संभव नही है।
- डॉ। गजेंद्र सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

Posted By: Inextlive