डोर-टू-डोर जाकर स्वास्थ्य विभाग लोगों को देगा कोरोना से बचाव की जानकारी

विभाग की टीमें लोगों से बीमारी छुपाने की बजाए मरीजों को ट्रेस करवाने में मदद करने के लिए भी जागरूक करेंगी

Meerut । कोविड-19 के लगातार बढ़ते मामलों के बीच स्वास्थ्य विभाग दूसरे विभागों के साथ मिलकर लोगों को इससे बचाव के लिए नई-नई तरकीब समझाने में जुटा है। इसके तहत ही अब विभाग डोर-टू-डोर जाकर लोगों को कोरोना से बचाव के तीन मूलमंत्र बताएंगा। हालांकि पोषण माह, कृमि मुक्ति अभियान के साथ ही संचारी रोग नियंत्रण माह के दौरान से आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए जागरूक कर रहे हैं। अधिकारियों को कहना है बीमारी रोकने के लिए एक-एक व्यक्ति का जागरूक होना जरूरी है।

ये हैं तीन मूलमंत्र

पहला मंत्र

जब भी घर से बाहर निकलें तो मुंह और नाक को मास्क से अच्छी तरह से ढककर रखें।

दूसरा मंत्र

किसी से भी मिलें या बैठक करें तो दो गज की दूरी बनाकर रखें।

तीसरा मंत्र

हाथों को साबुन या सेनेटाइजर से साफ रखें।

नियमों के बारे में जागरुक

प्रशासन का कहना है कि लोग कोरोना से बचाव के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। लोगों को ये समझना होगा कि जब तक दवाई या वैक्सीन नहीं आ जाती है, तब तक किसी तरह की ढिलाई न बरतने में ही सबकी भलाई है। ऐसे में विभाग लोगों के पास उन्हें इन नियमों के बारे में जागरुक करेगा। इसके साथ ही लोगों को गुनगुना पानी पीने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए हल्दी, धनिया, जीरा, लहसुन और अदरक आदि का अधिक से अधिक प्रयोग करने के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।

कांटेक्ट ट्रेसिंग पर जोर

कोरोना वायरस संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए विभाग की टीमें लोगों से बीमारी छुपाने की बजाए मरीजों को ट्रेस करवाने में मदद करने के लिए भी जागरुक करेंगी। इसके लिए विभाग की टीमें एकजुटता से कोविड-19 को परास्त करने की रणनीति तैयार कर रही हैं। इसके तहत टीमें शहर और गांव के लोगों के बीच में छोटे-छोटे समूह बनाकर कोरोना से बचने के टिप्स देंगी। इस प्रयास में स्वास्थ्य विभाग के साथ शिक्षा, पंचायती राज, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की टीमें शामिल होंगी।

बीमारी से बचाव के लिए हर एक व्यक्ति का जागरूक होना जरूरी है। अलग-अलग अभियानों के जरिए लोगों को सबसे अहम तीन बातों की जानकारी दी जाएगी। कोरोना से बचाव की जानकारी सरल और क्लीयर होने की वजह से लोगों समझने में आसानी होगी।

डॉ। राजकुमार, सीएमओ, मेरठ

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हेडिंग- किट होने पर मिलेगी होम आइसोलेशन को मंजूरी

- जांच में कई मरीजों के पास नहीं मिले उपकरण

- होम आइसोलेशन में लापरवाही पर स्वास्थ्य विभाग रखेगा नजर

मेरठ। होम आइसोलेशन में एडमिट होने वाले मरीजों को अब विशेष सावधानी बरतनी होगी। मरीजों के पास जहां होम आइसोलेशन किट होना अनिवार्य होगा। वहीं हेल्थ डिपार्टमेंट भी इसको लेकर मरीजों पर पैनी नजर रखेगा। होम आइसोलेशन में एडमिट होने वाले कई मरीजों के पास किट न होने के एवज में विभाग ने ये फैसला जारी किया है। विभागाधिकारियों का कहना है कि अब आइसोलेशन किट होने पर ही मरीज को होम आइसोलेशन की मंजूरी दी जाएगी।

ऑक्सीजन लेवल मेंटेन करना जरूरी

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार पिछले दिनों में कई मरीजों को होम आइसोलेशन से आईसीयू में एडमिट करना पड़ा था। एक तो मरीजों में ऑक्सीजन लेवल कम हो गया था, वहीं दूसरी बीमारियां भी मिली थी। जबकि होम आइसोलेशन की गाइडलाइन के अनुसार एडमिट मरीजों को नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की जानकारी विभाग को देनी होती है। इसके साथ ही अगर मरीज को कोई बदलाव महसूस होता है तो डॉक्टर को इसकी तुरंत जानकारी देनी होती है। मगर मरीजों के पास ऑक्सीमीटर न होने की वजह समय पर जांच नहीं हो पाई और हालात बिगड़ने के बाद अस्पताल में एडमिट कराया गया।

अब किट की जांच होगी

जिला सíवलांस अधिकारी डॉ। प्रशांत कुमार ने बताया कि होम आइसोलेशन में रहने वाले लक्षण विहीन कोविड कोरोना पॉजिटिव मरीजों को एक किट खरीदकर अपने पास रखनी होती है। जिसमें पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर, मास्क, ग्लब्स, सोडियम हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली वस्तुएं शामिल होती हैं। अब होम आइसोलेशन में एडमिट मरीजों के पास इस किट की उपलब्धता की भी जांच होगी।

ये है नियम

कोविड-19 की होम आइसोलेशन गाइडलाइन के अनुसार एडमिट मरीजों की बॉडी में ऑक्सीजन लेवल 95 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए। इसके लिए मरीजों के पास ऑक्सीमीटर का होना जरूरी है। ऑक्सीजन कम होने की स्थिति में मरीजों को सांस लेने में कठिनाई महसूस होती है तो कंट्रोल रूम से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर्स के अनुसार अस्पताल में एडमिट होने के डर की वजह से लोग इसे छुपाने की कोशिश कर रहे हैं। जिससे ये घातक साबित हो सकता है। इसके साथ ही अगर मरीज को सीने में लगातार दर्द व भारीपन होना, मानसिक भ्रम की स्थिति अथवा सचेत होने में असमर्थता, बोलने में दिक्कत, चेहरे या किसी अंग में कमजोरी और होंठों व चेहरे पर नीलापन आने जैसे हालात लगे तो भी तुरंत कंट्रोल रूम या डॉक्टर को बताना जरूरी होगा।

ये है जरूरी

उपचाराधीन या उसके किसी वस्तु के संपर्क में आने के बाद हाथों की सफाई अवश्य करें।

शौचालय का उपयोग करने के बाद, खाने से पहले और बाद में हाथों की सफाई अवश्य करें।

हाथ धोने के लिए कम से कम 40 सेकेंड तक साबुन के पानी का उपयोग करें या अल्कोहल आधारित हैंड सेनेटाइजर का इस्तेमाल करें।

हाथ धोने के बाद डिस्पोजेबल पेपर या टॉवल से हाथों को पोंछकर सुखा लें।

थ्री लेयर मास्क का इस्तेमाल बहुत जरूरी है।

Posted By: Inextlive