Meerut/Lucknow : मेरठ जिले में ट्वाटलेट घोटाले का खुलासा हुआ है. मेरठ और आसपास के इलाकों में ट्वायलेट बनाने के नाम पर लाखों रुपये का खेल किया गया. मामला डूडा के बनाये गए ट्वायलेट का है. शिकायत मिलने पर इसकी जांच करायी तो पूरा सच सामने आ गया. शासन से इस मामले में डूडा के अधिकारियों समेत कुल आठ लोगों पर मुकदमा दर्ज कर रिकवरी का आदेश दिया है.


गोलमालमेरठ जिले की सरधना नगर पंचायत में साल 2009-10 और 2010-11 में जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) के  न्यू आईएलसीएस योजना के तहत ट्वायलेट के कंस्ट्रक्शन में 27.90 लाख रूपये के गोलमाल का पता तब चला, जब नगर विकास मंत्री मोहम्मद आजम खां ने एक विभागीय जांच कराई। जांच में पता चला कि मेरठ में लगभग तीन सौ ट्वायलेट गायब हैं। दूसरे शब्दों में ये बनाये ही नहीं गए लेकिन कागजों में इसे बना हुआ दिखा दिया गया और इसका भुगतान भी करा दिया गया। आजम खां ने इन गड़बडिय़ों में लिप्त मोहम्मद आजम खां ने बताया कि इन नगर निकायों में डूडा के बनाये गए ट्वायलेट में लापरवाही और बड़े पैमाने पर गबन किए जाने की गंभीर शिकायतें मिलने पर विभागीय जांच बिठाई गई और इस जांच में शिकायतें सही पाई गईं है।कहां गए 293 Toilet


मंत्री ने बताया कि मेरठ की सरधना नगर पंचायत में शौचालयों के निर्माण में गड़बडिय़ों से संबंधी शिकायत की जांच में पाया गया कि वहां पर बनाये गए शौचालयों की कुल संख्या 1166 दिखाई गई है जबकि स्थल पर केवल 873 शौचालय ही निर्मित पाए गए। इस प्रकार 293 शौचालय जो बनाये ही नहीं गए उनका भी भुगतान कर दिया गया। उन्होंने बताया कि जांच में 32 लाभार्थी ऐसे भी पाए गए जिनके नाम सूची में दो बार दर्शाए गए हैं और उनका भी भुगतान कर दिया गया है। इस तरह शौचालयों का निर्माण किये बिना और लाभार्थियों के नाम सूची में दो-दो बार लिख कर 27.90 लाख रुपए का गैरकानूनी रूप से भुगतान किया जाना पाया गया है।इनके नामजॉच फाइलों को देखने पर पता चला कि फाइलों पर मेरठ के तत्कालीन परियोजना अधिकारी डूडा अतुल सिंह चौहान ने लिखा है कि काम पूरा किया गया है और संतोषजनक है। जबकि हकीकत में सैकड़ों ट्वायलेट ना सिर्फ गायब थे बल्कि गंभीर अनियमितता भी थी।होगी रिकवरीआजम खां ने मेरठ, डूडा के तत्कालीन परियोजना अधिकारी अतुल सिंह चौहान, सहायक परियोजना अधिकारी विपिन सिंह सेंगर, लेखाकार ईश्वर दयाल शर्मा, तत्कालीन अवर अभियंता घसीटा सिंह, तत्कालीन तहसीलदार सरधना और तत्कालीन अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत सरधना मीनू मलिक, स्लम सुधार सेवा समिति के अध्यक्ष को दोषी पाये जाने पर उनके खिलाफ आईपीसी की एंटी क्रप्शन एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कराकर प्रशासनिक कार्रवाई करते हुए सरकारी फंड के गबन की रिकवरी करने के लिए कार्रवाई करने की सिफारिश की है।बरेली में भी

इसी तरह बरेली जिले की नगर निकायों में शौचालयों के निर्माण को लेकर बिठाई गयी जांच में अब तक 13 नगर निकायों में शौचालयों के निर्माण में 173.53 लाख रुपयों का घोटाले का पता चला है।

Posted By: Inextlive