न्यूटिमा हॉस्पिटल में दूरबीन द्वारा ढाई किलो की रसौली को निकालकर डॉ. प्रियंका गर्ग ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है। अत्याधुनिक हारमोनिक लेजर आयरस टेक्नोलॉजी और मारसीलेटर की मदद से सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया।


मेरठ (ब्यूरो)। न्यूटिमा अस्पताल की गायनिक लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ। प्रियंका गर्ग ने डॉक्टर्स-डे पर आयोजित प्रेस वार्ता में जानकारी देते हुए बताया कि पेरीमिनोपोस ऐज ग्रुप यानि 40-45 वर्ष की आयु में फाइब्रोयड यानि रसौली एक आम समस्या बनती जा रही है। भ्रमवश लोग फाइब्रोयड का जल्दी ऑपरेशन नहीं करवाते है, जिससे ये बड़े-बड़े हो जाते है। जितना बड़ा आकार उतने ही बड़े चीरे से उन्हें निकाला जाता था। पेट खोलकर निकालने से अंदर चिपकन बनने का खतरा रहता है और बाद में हर्निया भी बन सकता है। मरीज को बहुत दर्द सहन करना पड़ता है। ये फाइब्रोयड आंतों और पेशाब की नली से चिपक जाते है, जिससे कि ऑपरेशन के दौरान इन्हे चोट भी पहुंच सकती है।

डे-केयर सर्जरी
अत्याधुनिक हारमोनिक लेजर आयरस टेक्नोलॉजी का कैमरा एवं मारसीलेटर की सहायता से 15 वर्ष से ज्यादा अनुभव प्राप्त डॉ। प्रियंका गर्ग ने रसौली बिना रक्तस्त्राव के, छोटे दूरबीन के छेद से रसौली का सफल ऑपरेशन किया। ऑपरेशन के दौरान आईवीसी डाई द्वारा रसौली में कैंसर की जांच भी की गई। ये डे केयर सर्जरी है, मरीज उसी दिन से चल फिर सकती है, खा पी सकती है, नहा भी सकती है।

Posted By: Inextlive