दो दिन की ट्रांसपोर्ट'टेंशन'
28 और 29 अगस्त को हड़ताल रहेगी, स्कूल एसोसिएशन ने मोटर व्हीकल एक्ट में हुए संशोधन के विरोध में लिया फैसला
वेस्टर्न यूपी के 10 जिलों में हड़ताल, मेरठ में कई हजार स्टूडेंट्स होंगे प्रभावित Meerut। यूपी मोटर व्हीकल एक्ट में हुए एमेडमेंट्स के बाद प्राइवेट स्कूल ट्रांसपोर्ट आज से दो दिन हड़ताल पर रहेंगे। इस फैसले के बाद पेरेंट्स की परेशानी बढ़ गई है। मांगों को लेकर कनफडेरेशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल्स यानि सीआईएस के आह्वान पर मेरठ समेत वेस्टर्न यूपी के 10 जिलों में ये हड़ताल रहेगी, जिसकी वजह से मेरठ में ही कई हजार बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। ये हैं मांगे महिला कंडक्टर की तैनाती का नियम खत्म किया जाए। आरटीओ के अलावा जिला ट्रांसपोर्ट कमेटी और स्कूल ट्रांसपोर्ट सेफ्टी कमेटी न बनाई जाएं।स्कूल, कांट्रक्चुअल और प्राइवेट ट्रांसपोर्ट की जिम्मेदारी स्कूल प्रिंसिपल की नहीं होनी चाहिए।
स्कूली वाहनों पर जीएसटी, रोड टैक्स में रियायत मिलनी चाहिए
सीट बेल्ट लगाने के बाद वाहन में सीट से भी कम बच्चे आएंगे। इस नियम को हटाया जाए। डीआईओएस ने दिए निर्देशस्कूली ट्रांसपोर्ट की हड़ताल को देखते हुए डीआईओएस ने सभी स्कूलों को जाम न लगने देने के लिए निर्देश जारी किए हैं। डीआईओएस गिरजेश चौधरी ने बताया कि पेरेंट्स अपने बच्चों को लेने व छोड़ने के लिए खुद आएंगे जिसकी वजह से स्कूलों के बाहर जाम लगेगा। ऐसे में स्कूल टीचर्स की एक टीम की व्यवस्था स्कूल के गेट के बाहर करेंगे।
फैक्ट फाइल 10 जिलों के स्कूली वाहन हड़ताल में शामिल होंगे 600 से ज्यादा स्कूल सीआईएस के तहत शामिल होंगे। 100 से ज्यादा स्कूल मेरठ के हड़ताल में शामिल होंगे 60 हजार से अधिक स्टूडेंट्स मेरठ में प्रभावित होंगे 1 हजार से अधिक स्कूली और कॉंट्रेक्चुअल ट्रांसपोर्ट जिले में शामिल होगा। 40 हजार से अधिक पेरेंट्स को परेशानी झेलनी पड़ेगी सिक्योरिटी के लिहाज से सभी नियम जरूरी हैं। इन्हें अपडेट करने में स्कूलों को एक्स्ट्रा बर्डन वहन करना पड़ेगा। इतने भारी खर्च को उठाना स्कूलों के लिए मुमकिन नहीं है। हम इसके लिए प्रशासन और शासन को विस्तृत ज्ञापन देंगे। राहुल केसरवानी, सहोदय सचिव स्कूली बसों के नए नियम ऐसे हैं जिनको मानना प्रैक्टिकली संभव नहीं हैं। इस संबंध में हमने काफी विचार-विमर्श किया। बातचीत से हल नहीं निकलने के बाद ही हड़ताल का फैसला लिया गया है। डॉ। विशाल जैन, प्रेजिडेंट, सीआईएस इनका है कहनास्कूली ट्रांसपोर्ट बंद होने की वजह से हमें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। सभी कामकाजी हैं बच्चों को लाने-ले जाने के लिए किसी एक को ऑफिस से ऑफ लेना पड़ेगा
स्वाति त्यागी, पेरेंट ट्रांसपोर्टेशन के लिए जो नियम बनाए गए हैं स्कूलों को उन्हें फॉलो करना चाहिए। हड़ताल इस समस्या का हल नहीं हैं। हमारी परेशानी इससे बहुत बढ़ गई है। अनुज ये है बदले हुए नियम सीट बेल्ट बांधने की व्यवस्था जरूरी है। बस-वैन का रंग पीला व स्कूल का नाम लिखा होना जरूरी है। बस में इमरजेंसी एग्जिट जरूरी होगा। बस में लॉक होना जरूरी है। प्रेशर हॉर्न या मल्टीटोन हार्न नहीं होना चाहिए। अलार्म होना जरूरी है। फर्स्ट ऐड बॉक्स व दो किलो पावर का फायर एक्सटिंग्यूशर सिस्टम जरूरी होगा। बैग रखने के लिए रैक लगी होनी जरूरी है। बच्चों के उतरते व चढ़ते समय वाहन में रेड लाइट की व्यवस्था होनी चाहिए। स्पीड लिमिट 40 किमी प्रति घंटा से अधिक नहीं होनी चाहिए। व्हीकल में जीपीएस होना जरूरी है। पार्किंग एरिया में सीसीटीवी बस के अंदर सीसीटीवी बस में गर्ल्स के साथ महिला स्टाफ जरूरी15 साल से पुराना व्हीकल स्कूल में नहीं चल सकेगा
बस और कंडक्टर का वेरिफिकेशन हेल्थ चेकअप सहित व्हीकल की समय पर फिटनेस जरूरी