- स्टूडेंट्स की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे ऑटो

-7000 स्कूली वाहनों में सिर्फ 670 वाहन ही रजिस्टर्ड

- सिटी के 100 से अधिक स्कूलों में चलते हैं प्राइवेट वाहन

Meerut : सिटी के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की जिंदगी खतरे में है। जान हथेली पर रखकर मासूमों को घर से स्कूल और स्कूल से घर तक का रास्ता तय करते हैं। सिटी में दौड़ते ज्यादातर टैंपो, स्कूल वैन अवैध हैं। उनके पास न तो परमिट हैं, न ही बच्चों को स्कूल छोड़ने की कानूनी इजाजत। अंधाधुंध कमाई के चलते बच्चों को भेड़-बकरियों की तरह वैन और स्कूली ऑटो में ठूंसा जाता है। हैरानी इस बात से है कि ऐसी गाडि़यों के ड्राइवरों को परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस का खौफ क्यों नहीं है?

मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़

स्कूली वाहन सुरक्षा मानकों के साथ खुलेआम खिलवाड़ कर रहे हैं। आपके लाडलों को घर से स्कूल और स्कूल से घर पहुंचाने वाले ये वाहन किसी भी वक्त जानलेवा साबित हो सकते हैं। कई बार हो चुके हादसों के बावजूद सबक नहीं लिया जा रहा।

चल रहे हैं 7000 स्कूली वाहन

आरटीओ की फाइलों में महज 670 स्कूली वाहन स्टूडेंट्स को घर से स्कूल पहुंचा रहे हैं। जबकि सच्चाई इससे काफी अलग है। सिटी की सड़कों पर तकरीबन 7000 स्कूली वाहन बच्चों को ढो रहे हैं।

जिंदगी की कीमत 100 रुपए

आरटीओ ने आपके घर के चिराग की कीमत महज 100 रुपए आंकी है। ये हम नहीं बल्कि आरटीओ की रूल्स बुक कहती है। अगर अवैध रूप से स्कूली बच्चों को लेकर चलते हुए स्कूली वाहन को पकड़ा जाता है तो उन पर महज 100 रुपए का जुर्माना लगाया जाता है।

क्या हैं नियम

- 6 सीट से ज्यादा के वाहनों को ही स्कूली वाहन के रूप में पास दिया जाता है।

-ऑटो को स्कूली वाहन के रूप पास नहीं इश्यू किया जाता है।

-स्कूली वाहन 15 साल से ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए।

-वाहन में इमरजेंसी गेट होना चाहिए।

-अर्बन स्कूली वाहन सीएनजी होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन

- वाहन के आगे-पीछे बड़े अक्षरों में स्कूल वाहन लिखा हो।

- लीज की बसों में आगे-पीछे विद्यालयीन सेवा/ऑन स्कूल ड्यूटी लिखें।

-निर्धारित सीटों से अधिक विद्यार्थी न बैठाएं।

-बस में फ‌र्स्ट एड बॉक्स अनिवार्य है।

- खिड़कियों में आड़ी ग्रिल लगी हो।

- अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था हो।

- बस पर स्कूल का नाम एवं टेलीफोन नंबर बड़े अक्षरों में लिखा हो।

- ड्राइवर को भारी वाहन चलाने का कम से कम पांच वर्ष का अनुभव होना चाहिए।

- उसे पूर्व में ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन का दोषी नहीं ठहराया गया हो।

अन्य बिंदू

- स्कूल बसें निर्धारित रंग की होनी चाहिए।

- स्कूल बस का ड्राइवर यूनिफॉर्म में होना चाहिए।

- स्कूल एवं कॉलेज के प्राचार्य समय-समय पर वाहन से संबंधित दस्तावेज का सत्यापन करें।

पहले हुई घटनाएं

24.10.2016 को गगोल रोड पर स्कूली छात्रों से भरा टैंपो पलट गया

29.1.15 जंगेठी-लखवाया मार्ग पर स्कूल वैन पलटने से चार बच्चे घायल हो गए थे।

- 4.4.13 को मदर्स इंटरनेशनल स्कूल की बस अनियंत्रित होकर खेत में पलट गई थी। जिसमें 12 से अधिक बच्चों की जान जाने से बची थी।

- 19.4.13 को काली पलटन रोड सुबह 7 बजे ऑटो पलट गया था। जिसमें आठ बच्चे घायल हो गए थे।

वर्जन

बिना अनुमति के चलने वाले स्कूली वाहनों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा।

किरण यादव, एसपी टै्रफिक

टैंपो में स्कूली बच्चे बैठाना पूरी तरह से अवैध है। विभाग किसी टैंपो को स्कूली बच्चे बैठाने की अनुमति नहीं देता।

रंजीत सिंह, एआरटीओ

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Posted By: Inextlive