-90 प्रतिशत सरकारी भवनों में नहीं वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

-एमडीए के दफ्तर में भी खराब पड़ा वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

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Meerut: भूजल स्तर को लेकर गंभीर दिख रहे सरकार के विभाग ही वाटर हार्वेस्टिंग प्लान की खिल्ली उड़ा रहे हैं। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षा जल संचयन के प्रति लोगों को जागरूक करना तो दूर सरकार के नुमाइंदे खुद भी कान में तेल डाल चैन की नींद सोए हैं। इसका नतीजा है कि जनपद के सरकारी विभागों से लेकर सरकारी विभागों तक में कोई वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाया गया है। और यदि कहीं को वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा भी है तो वह अनदेखी का शिकार होने की वजह से अपने अंतिम दिन गिन रहा है।

बेपरवाह सरकारी विभाग

भूमि के गिरते जल स्तर ने मानव जीवन के भविष्य पर सवाल खड़ा कर दिया है। लगातार घट रहे जमीन के जल पर रोक लगाने और वाटर लेवल बनाए रखने के लिए सरकार रोजाना नित नए नियम व कानून बना रही है। इन नियमों के बीच सरकार ने घटते भू जल स्तर पर गंभीरता दिखाते हुए एक शासनादेश जारी किया था। शासनादेश के मुताबिक अर्बन प्लानिंग एक्ट के अंतर्गत शहर में सभी सरकारी व गैर-सरकारी भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए जाने थे। इस शासनादेश के माध्यम से सरकार ने भूजल स्तर को बनाए रखने का सपना संजोया था, मगर ऐसे में रोना इस बात है कि कानून का पालन कराने वाले सरकारी विभागों ने इस पर जरा भी गंभीरता नहीं दिखाई।

एमडीए पर सवाल

दरअसल, वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लेकर आए सरकारी आदेश को शहर में लागू कराने की मूल जिम्मेदारी मेरठ विकास प्राधिकरण की थी। क्योंकि अर्बन प्लानिंग एक्ट के अंतर्गत एमडीए ही शहर भर के कॉलोनियों, मकानों, इंडस्ट्रीज और संस्थानों के मानचित्र स्वीकृत करता है। यहां मजे की बात यह है कि पारंपरिक रूप से काम कर रहे एमडीए ने वाटर हार्वेस्टिंग प्लान को लेकर जरा भी जिम्मेदारी नहीं दिखाई और उसका नतीजा यह है कि आज शहर में 95 इमारतें वाटर हार्वेस्टिंग मानकों को पूरा नहीं करती।

फाइलों में हो रहा जल संचय

एमडीए का एक बड़ा खेल यहां भी है। असल में सरकारी नियम कायदों और अर्बन प्लानिंग एक्ट का अनुपाल करने के लिए एमडीए किसी भी इमारत का नक्शा पास करते समय दस्तावेजों में सारी औपचारिकताएं पूर्ण करा लेता है। दस्तावेजों में तमाम एनओसी के साथ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की औपचारिकता भी पूर्ण करा ली जाती है, ताकि नक्शा पास करने में कहीं कोई परेशानी न खड़ी हो। लेकिन इसके बाद एमडीए मौके पर बिल्डिंग का मुआयना करने भी नहीं जाता। उधर, एमडीए अफसरों से सांठगांठ कर बिल्डर भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में खर्च होने वाली रकम को अन्य कामों में यूज कर लेता है।

क्या कहते हैं आंकड़े --

-95 फीसद सरकारी भवनों ने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

-कमिश्नरी और कलक्ट्रेट जैसे दफ्तरों में प्लान पड़ा ठप

-वर्षा जन को संरक्षण को गंभीर नहीं सरकारी अफसर

-एमडीए, निगम और आवास-विकास जैसे सरकारी विभाग बने पंगु

-वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के नाम पर एमडीए कर रहा खेल

-वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के प्रति नहीं चलाया जाते जन जागरुक अभियान

-एमडीए के योजनाओं में भी नहीं लग रहे वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

-एमडीए कार्यालय में ठप पड़ा वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

सरकारी भवनों में ठप पड़े वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

-कमिश्नरी कार्यालय और आवास

-जिलाधिकारी कार्यालय व आवास

-सीडीओ दफ्तर व कार्यालय

-सभी एडीएम कार्यालय व आवास

-तीनों तहसील परिसरों में

-कचहरी परिसर

-विकास भवन

-डीएफओ कार्यालय और आवास

-सरकारी स्कूलों में

-पशु चिकित्सालय

-मेरठ विकास प्राधिकरण

-सभी पुलिस स्टेशन

-एसएसपी कार्यालय

-डीआईजी कार्यालय और आवास

-आईजी कार्यालय और आवास

-सिंचाई विभाग कार्यालय

-गांवों में पंचायत घर

-मेरठ मेडिकल कॉलेज

-जिला अस्पताल

-अब्दुल्लापुर जेल

-पीएसी कैंपस

-पीटीएस कैंपस

( नीर फाउंडेशन की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक )

Posted By: Inextlive