गंगा की तरह वरुणा नदी को साफ और सुंदर बनाने के लिए 201 करोड़ रुपये खर्च किए गए. दोनों साइड करीब 11 किमी तक चैनलाइजेशन व तटीय विकास कार्य कराये गए. लोहे कंक्रीट और पत्थर की रेलिंग लगाई गयी. इंटरलॉकिंग कर पाथवे का निर्माण कराया गया. इसके बाद 25 अक्टूबर को पीएम नरेंद्र मोदी ने वरुणा कॉरिडोर का लोकार्पण कर दिया. लेकिन आज देखेंगे तो सुधार की जगह बदहाली ही नजर आएगी.

वाराणसी (ब्यूरो)। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने शास्त्री घाट कचहरी से लेकर पुराना पुल तक वरुणा कॉरिडोर की पड़ताल की तो चौकाने वाली तस्वीरें सामने आईं। नदी के दोनों साइट लोहे, कंक्रीट और पत्थर की रेलिंग लगी हैं, जिसमें 120 टूटी मिलीं। 22 जगहों पर कटान से मिट्टी बहने से रेलिंग के नीचे पोल हो गयी है। पाथवे भी कई जगहों धंसा मिला। बांस-बल्ली और मलबा भरे बोरी के सहारे रोका गया है।

बोरियों के सहारे रोकी गयी कटान
पड़ताल में करीब 22 जगहों पर वरुणा कॉरिडोर में बने पाथवे के नीचे पोल दिखी। जानकारी करने पर पता चला कि बाढ़ में कटान से मिट्टी बह गई है। हालांकि ङ्क्षसचाई विभाग ने बाली की बोरियां व बांस-बल्ली से पाथवे को रोकने का प्रयास किया है। मिट्टी की कटान को लेकर शुरू से ही आशंका जाहिर की जा रही थी तो कार्यदायी संस्था ङ्क्षसचाई विभाग के अफसरों ने दावा किया था कि जीओ तकनीक से कॉरिडोर के किनारे घास लगाई गई है। इससे बाढ़ के दिनों में भी मिट्टी की कटान नहीं होगी लेकिन सारे दावे बेअसर साबित हुए।

मिट्टी के मद में खर्च हुए थे 21 करोड़
वरुणा नदी के दोनों किनारों पर पाथवे बनाने के लिए मिट्टी के मद में करीब 21 करोड़ खर्च होने की बात सामने आयी है। आपको आश्चर्य होगा यह जानकर कि वरुणा नदी के चैनलाइजेशन के लिए जिस 21 करोड़ रुपये मिट्टी के भुगतान का पेच फंस गया था। दरअसल, उसके लिए एक रुपये भी खर्च नहीं होने थे। वरुणा कॉरिडोर योजना में स्पष्ट प्रावधान था कि नदी की ड्रेङ्क्षजग से जो मिट्टी निकलेगी, उसका इस्तेमाल इसके चैनलाइजेशन के लिए दोनों किनारों को दुरुस्त करने में किया जाएगा।

पहले भी टूटी थी
वरुणा कारिडोर परियोजना की शुरुआत 2016 में हुई थी। उस वक्त सपा सरकार थी। मॉडल के तौर पर शास्त्री घाट को विकसित किया गया था, जबकि वर्ष 2017 में कार्य पूरा कर लेना था। खास यह कि इस अधूरे मॉडल कार्य में भी धांधली उजागर हुई थी। जो रेङ्क्षलग लगाई गई थी वह टूट गई थी। सपा सरकार में मंत्री रहे मनोज राय धूपचंडी ने आवाज उठाई तो रेङ्क्षलग बदली गई। पहले स्टील की लगाई गई थी जिसे बदलकर पत्थर का किया गया।

विनय जैन, प्रोजेक्ट मैनेजर ने कहा
शास्त्री घाट से पुराना पुल तक इंटरलॉकिंग व पक्की रोड बनी है। बाढ़ की वजह से कुछ जगहों पर मिट्टी हट गयी है। जिला प्रशासन को अब वरुणा कॉरिडोर हैंडओवर कर दिया गया है।

Posted By: Inextlive