पूर्व की सरकार ने गंगा की तर्ज पर वरुणा नदी को भी पर्यटन स्थल बनाने की कवायद शुरू की थी. शास्त्री घाट से पुराना पुल तक वरुणा कारिडोर बनाया गया. नदी के दोनों छोर पर दस किमी तक चैनलाइजेशन एवं तटीय विकास के कार्य कराए गए जिसमें छह किमी तक इंटरलॉकिंग रेलिंग घाट निर्माण भी शामिल है. इस कार्य पर पानी की तरह 202 करोड़ रुपये बहाया गया.

वाराणसी (ब्यूरो)तीन साल से कॉरिडोर पर ई-रिक्शा चलाने, फूड कोर्ट, पिकनिक स्पॉट, रोप-वे, क्रूज, स्टीमर से सैर कराने समेत तमाम सब्जबाग दिखाया गया, लेकिन ढाक के तीन पात ही साबित हुए। शासन व प्रशासन की अनदेखी के चलते वरुणा कारिडोर ही खो गया है। कारिडोर के पग-पग पर अव्यवस्था पसरी है। जनता के पैसे का कैसे दुप्रयोग होता है, इसका उदाहरण भी है।

जगह-जगह टूटी पड़ी हैं रेलिंग
वरुणा नदी पर बने कारिडोर की दोनों साइटों पर लोहे, कंक्रीट और पत्थर की तीन हजार से अधिक रेलिंग लगी हैं। प्रशासन की अनदेखी के चलते शास्त्री घाट से पुराना पुल तक दोनों छोर पर 140 से अधिक रेलिंग टूट गयी हैं। 22 जगहों पर कटान से मिट्टी बहने से रेलिंग के नीचे पोल हो गयी है, जिसे बाली की बोरियां व बांस-बल्ली से रोकने का प्रयास किया गया है। छह किमी तक बना पाथवे कई जगहों पर धंस गया।

नदी में सीवर का पानी
गंगा की तरह वरुणा को पवित्र नदी माना जाता है। छठ समेत विशेष तीज-त्योहारों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते नदी किनारे बसे होटलों व मकानों का गंदा पानी नदी में आ रहा है। शास्त्री घाट से पुराना पुल तक नदी के किनारे करीब 50 होटल व तीन हजार मकान है, जिसमें एक लाख से अधिक आबादी रहती है। करीब छह किमी कारिडोर पर करीब 15 नालों को सीधे वरुणा नदी से जोड़ दिया गया है।

अराजक लोगों का अड्डा
वरुणा कारिडोर का कोई इस्तेमाल नहीं होने से यह अराजक लोगों का अड्डा बन गया है। अक्सर लोग जुआ खेलते और शराब पीते दिख जाएंगे। जगह-जगह ऑटो या चार पहिया गाडिय़ां भी खड़ी मिलेंगी, जिसमें अश्लील हरकतें होती हैं।

नदी के बराबर नाला भी
पुराना पुल से लेकर ढेलवरिया तक वरुणा नदी के समानान्तर नाला भी बह रहा है, जिसमें चौकाघाट, नक्खीघाट, शैलपुत्री, जलालीपुरा समेत कई मुहल्लों के घरों से निकलने वाला सीवर का पानी आ रहा है। इससे लगातार बदबू आ रही है और संक्रामक रोग फैलने की आशंका बनी है।

दो महीने बाद दौड़ेगा ई-रिक्शा
शहर में जाम की समस्या खत्म करने के लिए वरुणा कारिडोर पर करीब दो साल पहले ई-रिक्शा संचालित करने की योजना बनी थी। इसके लिए चौकाघाट, नक्खी घाट पुराना पुल के पास दोनों साइट छह रैम्प बनाने की योजना बनी। इसके लिए वीडीए को जिम्मेदारी सौंपी गयी। वीडीए ने तीन रैम्प का निर्माण करा दिया है। बाढ़ की वजह से तीन रैम्प अभी तक नहीं बन पाया है, जिसे मार्च तक पूरा लिया जाएगा। उम्मीद है कि अप्रैल से ई-रिक्शा का संचालन शुरू जाएगा।


25
अक्टूबर को पीएम नरेंद्र मोदी ने परियोजना का लोकार्पण किया

2021
जुलाई में वरुणा नदी के चैनलाइजेशन व कॉरिडोर विकास कार्य पूरा हो गया

05
साल पहले जुलाई 2016 सपा शासन में परियोजना की नींव रखी गई थी

201.65
करोड़ की परियोजना को वित्तीय वर्ष 2016-17 में स्वीकृति मिली थी

11
किलोमीटर तक कॉरिडोर पांच साल में बनकर तैयार हुआ


प्रोजक्ट पूरा हो गया है। अभी हाल ही में पीएम के हाथों से उद्घाटन भी हुआ था। शास्त्री घाट से पुराना पुल तक इंटरलॉकिंग व पक्की रोड बनी है। बाढ़ की वजह से कुछ जगहों पर मिट्टी हट गयी है। पाथवे भी धंस गया है, जिसे ई-रिक्शा संचालन से पहले सिंचाई विभाग द्वारा ठीक कराया जाएगा। इसके अलाव सुरक्षा को लेकर पुलिस व सफाई के लिए नगर निगम को कहा जाएगा।
-दीपक अग्रवाल, कमिश्नर

Posted By: Inextlive