-भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ को जोड़ने वाली पुराने आरटीओ से हवेलिया तक रोड हो गयी है खस्ताहाल

-इस रोड पर स्थित है प्रदेश का एकलौता केंद्रीय तिब्बती संस्थान व नेत्रहीन विद्यालय

भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ को जोड़ने वाली सड़क की हालत पिछले डेढ़ साल से इतनी खराब है कि इस रोड से गुजरने वाले लोगों के लिए यह बड़ी परेशानी का सबब बन रहा है। पुराने आरटीओ से हवेलिया चौराहे को वाया तिब्बती संस्थान जोड़ने वाली 1300 मीटर रोड 33 जगहों पर टूटी है। इस कारण जहां वाहन चालकों की गाडि़यां रोज उबड़-खाबड़ सड़कों के कारण क्षतिग्रस्त हो रही हैं तो लोग आए दिन घायल हो रहे हैं। आलम यह है कि इस रोड पर स्थित केंद्रीय तिब्बती संस्थान सहित आसपास की कॉलोनियों व मुहल्ले में रहने वाले लोग बाहर निकलने से कतराते हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने गुरुवार को इस रोड की पड़ताल की।

सीन-1

पुराने आरटीओ से हवेलिया की ओर मुड़ते ही महज पांच मीटर आगे बढ़ते ही रोड दोनों साइड से टूटी है। जिस पर महीनों से गिट्टी डालकर छोड़ा हुआ है। इससे आने जाने वाले लोग आए दिन घायल होते रहते हैं और गाडि़यां भी बिगड़ती रहती हैं।

सीन-2

दो सौ मीटर आगे जीवन ज्योति नेत्रहीन विद्यालय है। विद्यालय के सामने पूरी रोड हर दिन धंस जाती है। इसे जैसे-तैसे बालू व गिट्टी से भरा जाता है। लेकिन ये नाकाफी है। यह सिलसिला पिछले छह महीने से चल रहा है। इससे नेत्रहीन स्टूडेंट्स व उनके परिजनों को आने जाने में मुश्किल होती है।

सीन-3

पुराने आरटीओ से छह सौ मीटर दूर स्थित एक अपार्टमेंट के सामने टूटी रोड पर चोक सीवर का पानी आए दिन बहता है। हालत यह है कि गड्ढों को गिट्टियों से भर दिया जाता है। आने जाने वाले लोग अगर संभलकर न चले तो गिरना तय है। यहां से उड़ रही धूल व गुबार लोगों को अपना मुंह ढकने को मजबूर कर देता है।

सीन-4

हवेलिया चौराहे से 20 कदम आगे पुराने आरटीओ की ओर एक तरफ रोड टूटी है तो दूसरी ओर मैनहोल का ढक्कन। इस जगह पर डेली कोई न कोई गिरता रहता है। डरे सहमें लोग अपने बच्चों को इस ओर जाने नहीं देते हैं। उनको हमेशा यह डर सताता रहता है कि कहीं हादसा न हो जाए।

बीच में फंस जाता है वाहन

दुनिया भर से सारनाथ पहुंचने के लिए एकमात्र यह रोड पूरी तरह से खस्ताहाल है। इतना ही नहीं चार से पांच प्वाइंट ऐसे हैं जहां सड़क इतनी ज्यादा टूटी है कि गाड़ी बीच ही फंस जाती है। उबड़ खाबड़ रोड के साथ ही धूल ने भी घरों में महीनों से कैद रहने पर मजबूर कर दिया है।

हर कदम पर लगान पड़ती है ब्रेक

रोड इतनी ज्यादा टूटी हुई है कि वाहन चालकों को एक बार अपनी गाड़ी की स्पीड घटाकर बहुत कम करनी पड़ती है तो कई जगहों पर पहले रोककर ही आगे बढ़ना पड़ता है। हालत यह है कि गाड़ी चलाने में थोड़ी भी निगाह गढ्डों से हटी कि दुर्घटना घट जाती है।

पूरे दिन गिट्टी-बालू भरने को चक्रमण करती है टीम

लोक निर्माण विभाग की टीम टूटे रोड के लिए पूरे दिन चक्रमण करती रहती हैं। जहां कहीं भी गड्ढा होता है उसे कर्मचारी गिट्टी व बालू से भर देते हैं। पिछले छह महीने से कर्मचारी डेली इस रोड पर गिट्टी व बालू भरने के लिए सुबह ही पहुंच जाते हैं।

खोदाई बन रहा कोढ़

इस रोड पर अक्सर होने वाली खोदाई भी मुश्किल पैदा कर रही है। कभी कैमरे के लिए तो कभी बिजली के लिए खोदाई होती रहती है। वर्तमान समय में बिजली विभाग की एजेंसी ने रोड पर जगह जगह खोदाई कर दी है। जिससे बड़े बड़े गड्ढे बन गए हैं। वहीं केबल भी रोड पर फैलाकर छोड़ दिया गया है। दुर्घटना को दावत देता है।

नगर निगम पैसा दे तो बने रोड

भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली सहित सटे हुए विधानसभा के विधायक प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। बावजूद इसके एक साल से ऊपर हो गये इस रोड के टूटे हुए लेकिन उनकी इस ओर नजर नहीं है। लोक निर्माण विभाग के जेई आलोक मणि पांडेय ने बताया कि कमिश्नर ने रोड बनाने के लिए नगर निगम के फंड से 57 लाख रुपये ट्रांसफर करने का आदेश दिया है। फंड ट्रांसफर होते ही रोड बनाने की प्रक्रिया स्टार्ट हो जाएगी।

बातचीत

यह रोड साल भर से अधिक समय से टूटी है। लेकिन इसकी कोई सुध लेने वाला नहीं है। घर से निकलने के पहले सौ बार सोचना पड़ता है। लेकिन कोई सुनने वाला भी तो नहीं है।

अरविंद लाल, शिव विहार

एक दो जगह रोड टूटी होती तो बात भी बन जाती। लेकिन पूरी रोड ही टूटी है। 24 घंटे धूल उड़ती रहती है। जिससे मुंह ढककर ही निकलना पड़ता है। गिट्टी के चलते हमेशा घायल होने का डर सताता रहता है।

अतुल मौर्या, बल्लभ विहार

रोड टूटने के कारण बहुत जरूरी होने पर ही बाहर निकलना होता है। वरना घरों में ही कैद रहता है पूरा परिवार। यहां तक कि रिलेटिव भी आने से कतराते हैं। बारिश होने पर तो और बुरा हाल हो जा रहा है।

सुरेंद्र पांडेय, मवइया

एक दो महीने नहीं करीब दो साल से यह रोड खराब हुआ है। जगह जगह टूटा हुआ है। संभलकर नहीं चले तो घायल होना तय है। अक्सर चोट चपेट लग भी जाती है। पर इंसान कितना घर में रहेगा। रोड पर तो निकलना ही पड़ता है।

सुबहान अली, मवइया

Posted By: Inextlive